Friday, 18 May 2018
Sammohan Sadhna
कृष्ण सम्मोहन बाण साधना
महा भारत में जब पांडव अज्ञात वास बनवास काट रहे थे तो एक बार वृह्नाल्ला बने अर्जुन को अपने गुरु जनों और कौरव सेना का सामना करना पड़ा | अर्जुन नहीं चाहते थे कि उन्हें कोई पहचाने इसलिए गुरुजनों का सामना नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने सम्मोहन बाण का इस्तेमाल कर सभी को सुला दिया और अपने भेद को भी छुपा लिया | कालान्तर में ऐसी विद्याएँ लुप्त होती गई जो गुरुकुल में शाश्त्रों की शिक्षा देते वक़्त प्रदान की जाती थी | जिनमें अस्त्र शस्त्र आदि विद्या भी दी जाती थी | सद्गुरु जी ने सभी विद्याओं को पुनर्जीवित कर इस धरा पर स्थापित किया | उन्होंने इन विद्याओं का ही नहीं बल्कि पुरे जीवन का मर्म समझाया जिसे प्राप्त करना हर साधक का लक्ष्य बन गया |
कुछ ऐसे दुर्लभ प्रयोग व साधनाएं होती हैं जिन्हें सहज प्राप्त करना संभव नहीं होता पर अगर जीवन के कठोर धरातल पर आगे बढना है तो इन साधनाओं को जीवन में महत्वपूर्ण स्थान देना ही होगा | आज हमारे गुरु जी को गये कितने साल हो गये हैं और आज फिर उन विद्याओं को लुप्त होने से बचाने की कोशिश की जरूरत है इसलिए सभी से कहता हूँ कि सिर्फ दीक्षा पर ही डिपेंड ना होयें | आगे बढ़कर साधनाओं को अपनाएं जो हमारे गुरुओं ने हीरक खंडो से भी ज्यादा मूल्यवान मोती लुटाये हैं उन्हें अपने जीवन में धारण करें तभी हमारे गुरुजनों का सपना पूरा कर पाओगे | अपनी सोच को बदलें और दूसरों के लिए आदर्श साबित हों नहीं तो आने वाली पीढियां धिक्कारेंगी कि आपने उनके लिए क्या किया | हमारे गुरुजन हम सभी को साधना की बहुत बड़ी विरासत देकर गये फिर क्यों नहीं उसे अपना रहे | इसके लिए साधक का भाव रखते हुए अपने और अपने माहोल को बदलने की कोशिश करें |
जहाँ बात सम्मोहन की हो तो श्री कृष्ण जी का चित्रण अपने आप हो जाता है और सिर श्रद्धा से अपने आप झुक जाता है और जीवन में प्रेम की लहर दौड़ जाती है, शरीर में रोमांच पैदा होने लगता है, हवा से संगीत तरंगें प्रवाहित होने लगती है, सारा वातावरण एक महक से भर उठता है, बादलों की गड़गड़ाहट से मेघ संगीत लहरी बजने लगती है यह सभी सम्मोहन तो है जो प्रकृति हमेशा करती है और आप सम्मोहित होते चले जाते हैं | दृश्य आप को अपनी ओर आकर्षित करते हैं | प्रकृति का यही गुण अपनाकर साधक श्रेष्ट बन जाता है और प्रकृति से एकाकार हो जाता है तो जीवन में सुगंध व्याप्त होती ही है | जब तक प्रकृति तत्व आप में नहीं आता कैसे एक अप्सरा और यक्षिणी को बुला पाओगे, संभव ही नहीं है | कैसे किन्नरी को अपने बस में कर पाओगे, इस तत्व के बिना नहीं हो सकता क्योंकि एक प्रकृति ही है जो सबको अपनी ओर आकर्षित करती है | जहाँ सन्यासी प्रकृति को पूरी तरह अपना लेते हैं तभी तो श्रेष्ठ बन पाते हैं और प्रकृति उन्हें स्वयं पालने लगती है | अगर साधक बन कर इस तथ्य को अपनाओगे तो सहज ही समझ जाओगे कि प्रकृति क्या चाहती है आपसे | आप त्राटक करते हो या कोई साधना उसमें प्रकृति को ही निहारते हो | उसी प्रकृति में व्याप्त सुगंध आपकी आँखों के रास्ते आपमें भी व्याप्त हो जाती है | प्रकृति को निहारना ही अभ्यास है और अपना लेना सम्मोहन और प्रेम का संगीत या प्रकृति संगीत सुनना क्रिया है, उसे समझ लेना सम्मोहन है अब सवाल यह है कि ऐसा क्या करें कि प्रकृति का संगीत समझ आ जाये और सम्मोहन की क्रिया अपने आप संपन्न हो जाये जैसे प्रकृति में स्वयं ही होती है | उच्च कोटि के फकीरों और संतो में एक कहावत कही जाती है "कुदरत नार फकीरी की " अर्थात कुदरत या प्रकृति को अपना लेना ही जीवन की पूर्णता है और यही श्री कृष्ण जी का दिव्य सन्देश है क्योंकि वो बार-बार कहते हैं कि अर्जुन तुम मुझे पहचानो, मैं नदियों में गंगा नदी हूँ, दरखतों में पीपल हूँ आदि आदि | ऐसे बहुत उदाहरण देकर अर्जुन को समझाया | क्योंकि श्री कृष्ण पूर्ण सम्मोहन का रूप हैं और प्रकृति को अपना चुके थे तभी जर्रे जर्रे में व्याप्त हैं | इसलिए कृष्ण नाम से बड़ा कोई सम्मोहन मंत्र नहीं है | यहाँ एक सम्मोहन बाण साधना दे रहा हूँ जो गोपनीय तो है ही और अपने आपमें पूर्ण सम्मोहन लिए हुए है | मेरी स्वयं की परखी हुई है |
साधना विधि
1. इसे अष्टमी या श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन और बंसंत पंचमी से शुरू किया जा सकता है | यह 21 दिन की साधना है |
2. इसमें जाप वैजयन्ति माला से करें |
3. मन्त्र जाप 21 माला क है |
4. जप के वक़्त शुद्ध घी की ज्योत लगा दें |
5. गुरु पूजन, गणेश पूजन और श्री कृष्ण पूजन अनिवार्य है |
6. भोग के लिए दूध का बना प्रशाद मिश्री में छोटी इलायची मिलाकर पास रख लें |
7. हो सके तो षोडश प्रकार से पूजन करें नहीं तो मिलत उपचार जैसा आपको आता है कर लें |
8. वस्त्र पीले और आसन पीला हो |
9. दिशा उत्तर रहेगी |
10. साधना के अंत में पलाश की लकड़ी ड़ाल कर उसमें घी से दस्मांश हवन करना है | ऐसा करने से साधना सिद्ध हो जाती है और आपकी आँखों में सम्मोहन छा जाता है |
इसका प्रयोग भलाई के कार्यो में लगाएं, यह अमोघ शक्ति है |
मन्त्र
|| ॐ कलीम कृष्णाय सम्मोहन बाण साध्य हुं फट ||
||Om kleem krishnaye smmohan baan sadhya hum phat ||
हवन करते वक़्त मन्त्र के अंत में स्वाहा लगा लें |
Ruchi Sehgal
Jawala Malini Sadhna
अद्भुत सम्मोहन प्राप्ति श्री ज्वालामालिनी साधना –
सुख समृद्धि पर ग्रहण होता है गृह कलेश, क्योंकि घर में तनाव पूर्ण माहौल ही प्राथमिक होता है इसके साथ ही यदि आपका उच्चाधिकारी आपके अनुकूल नहीं है या आपके बच्चे या आपकी पत्नी आपके अनुकूल न हो तो भी जीवन में उदासीनता घर कर जाती है | यह साधना एक अद्भुत साधना है जो कि साधक को ऐसा दिव्य सम्मोहन देती है जिससे उसके कार्य सहज ही होने लगते हैं, लोग उसकी बात का आदर करते हैं, उसकी वाणी में अद्भुत प्रभाव आ जाता है, छोटे बड़े सब उसको इज्जत देते हैं | वह अपने आस पास के माहौल को और लोगों को अपने अनुकूल रखने और परिचित या अपरिचित व्यक्ति के साथ मधुर संबंध बनाने और अपने व्यक्तिगत जीवन की आ रही अनेक समस्याओं को दूर करने में सक्षम हो जाता है |
विधि
1. यह साधना 11 दिन की है | इसमें हर रोज 11 माला जप अनिवार्य है |
2. इसमें आसन पीले रंग का लेना है और आपकी दिशा उत्तर की तरफ मुख रहेगा |
3. देवी भगवती या ज्वालामालनी का चित्र स्थापित करें | चित्र का पूजन धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प, अक्षत, फल आदि से करें | भोग में आप किसी भी तरह की मिठाई इस्तेमाल कर सकते हैं | एक पानी वाले नारियल को तिलक कर मौली बांध कर देवी माँ को अर्पित करें |
4. फिर मूँगे की माला से निम्न मंत्र की 11 माला 11 दिन तक करें |
5. 11 दिन के बाद सभी पूजा की हुई सामग्री जल प्रवाह कर दें | फल आदि प्रसाद अपने परिवार में बाँट दें |
6. गुरु पूजन और गणेश पूजन हर साधना में अनिवार्य होता है इस बात को हमेशा याद रखें |
मंत्र
|| ॐ नमो आकर्षिनी ज्वाला मालिनी देव्यै स्वाहा ||
|| Om Namo Aakarshini Jwala Maalini Devyai Swaha ||
Ruchi Sehgal
Hatha Jodi sadhna
हत्था जोड़ी साधना || ||
हाथ जोड़ी या हत्थाजोड़ी एक तांत्रिक जड़ी है | इसका छोटा सा पौधा होता है जिसके पत्ते ऊपर से हरे और नीचे से सफ़ेद होते हैं | यह कई जगह पर अचानक मिल जाता है मगर बिना पहचान के इसे हासिल करना मुश्किल है| हत्थाजोड़ी बंगाले जिसे सपेरे भी कहते हैं जो सांप दिखाते व पकड़ते हैं उनके पास से आसानी से मिल जाती है | क्योंकि एक जानवर होता है जिसे हमारे यहाँ तो गोव कहते हैं जो इस जड़ी को खा लेती है | जिससे जब तक उसे मारा ना जाये वो मरती नहीं | चाहे उस पर कोई वाहन भी चढ़ा दिया जाए फिर भी बहुत मुश्किल से उसे मारा जाता है जो तीन से 4 फिट तक भी हो जाती है | सामान्य यह 2 फिट तक सभी जगह मिल जाती है | पहाड़ में इस का घर आना बहुत शुभ माना जाता है | लेकिन सपेरे इसे पकड़ लेते हैं और इसे मार कर इसके पेट से हत्थाजोड़ी प्राप्त कर लेते हैं | इसका चमड़ा भी काम आता है | इसके चमड़े का जूता बनाकर अगर पहन लिया जाये तो सफ़र चाहे कितना भी पैदल कर लो थकावट नहीं होती | दूसरा आप इसे किसी पंसारी से प्राप्त कर सकते हैं, वो भी आपको मंगा कर दे सकते हैं | तीसरा आप इसे किसी पूजा की दुकान से भी ले सकते हैं या कई बार सडकों के किनारे शहर में कुछ लोग माला आदि बेचते हैं जो कपडा बिछा कर बैठे होते हैं उनसे भी यह आसानी से 2-3 सौ में मिल जाती है | हमारे यहाँ से भी ले सकते हो मगर जहाँ से भी लें, देख कर लें, क्योंकि कई जगह प्लास्टिक से या सींक से भी बनी मैंने हत्था जोड़ी देखी है | यह लकड़ी होती है जो जड़ में बनती है | इसलिए ध्यान से लें |
विधि
यह प्रयोग मेरा आजमाया हुआ है | आप कहीं से भी हत्था जोड़ी लेते हो सबसे पहले उसे स्नान कराकर शुद्ध करें | उसे गऊ के दूध से स्नान करा कर गऊ के घी में मीठा सिंदूर मिला कर उस पर लेप करें या थोड़ा लगा दें | फिर उसे मीठे सिन्दूर में रख दें | उसमें पाँच लोंग, पाँच इलाची छोटी वाली और 8 -10 दाने अक्षत या धान के रख सकते हैं | अब उस पर निम्न मन्त्र का 11000 जाप कर उसे सिद्ध कर लें | उससे पहले उसका पंचौपचार से पूजन करें | धूप दीप लगायें और मन्त्र मूँगे की माला से जपें |
मन्त्र
|| ॐ नमश चण्डीकाये नमः ||
इस मन्त्र का 11000 जाप करने से हत्था जोड़ी सिद्ध हो जाती है | उसे किसी भी काम में इस्तेमाल कर सकते हैं |
अब उस पर धन प्राप्ति या वशीकरण प्रयोग कर सकते हैं | सिद्ध हत्था जोड़ी को आप कहीं भी कोर्ट आदि में मुक़दमे की सफलता के लिए भी साथ लेकर जा सकते हैं | नौकरी आदि के इंटरव्यू आदि में भी ले जा सकते हैं | इससे सफलता मिल जाती है | अब धन प्राप्ति का प्रयोग लिखता हूँ |
धन प्राप्ति प्रयोग
एक सादा कागज लें | उस पर 9 घर का एक यंत्र बनायें | उसके प्रत्येक घर में श्रीं बीज अंकित करें | जिसे केसर या चन्दन से लिखें | अब सिद्ध हत्था जोड़ी उस कागज पर जिस पर यंत्र लिखा है रख दें और उसकी पंचौपचार से पूजा करें | फिर निम्न मन्त्र की 9 माला जाप करें | जाप मुंगे या कमल गट्टे की माला से कर सकते हैं | 9 माला के बाद उसे छुए नहीं बस ऐसे ही पड़ा रहने दें | अब सुबह उठकर एक माला फिर मन्त्र जपें और उस यंत्र में ही लपेट कर मोली बांध दें मगर मोली में गांठ ना लगायें, वैसे ही लपेट दें ताकि यंत्र उसके साथ रहे | अब उसे उठा कर किसी भी डिब्बी में रख लें | जब भी पैसों की जरूरत हो एक माला हत्था जोड़ी के सामने इसी मन्त्र का जप करें और अपनी इच्छा बोल दें और एक बात खास है | अगर आपने इस पर धन प्राप्ति का प्रयोग या वशीकरण प्रयोग किया है तो भूल कर भी दुसरे आदमी को मत दिखाएँ, नहीं तो सारी शक्ति चली जायेगी और दोबारा उसे ठीक नहीं किया जा सकता | मैंने जब यह प्रयोग सिद्ध किया था तो बहुत संभाल के रखता था | इसी के दम से मैं आधा इंडिया घूमा | जब भी जरूरत होती पाँच सौ रुपये कहीं ना कहीं से मिल जाते | फिर एक दिन मैं अपने एक दोस्त के यहाँ गया और उसने मुझे किसी बहाने से दुकान पर भेज दिया और मेरे बैग में से हत्था जोड़ी चोरी कर ली और जब मैं जाने लगा तो जय गुरुदेव कहा तो उसकी कोई चीज नीचे गिर गई | जिसे वो उठाने के लिए झुका जिससे हत्था जोड़ी की डिब्बी उसकी जेब से निकल कर मेरे आगे गिर गई | मैंने उठा ली और उसे बहुत कोसा मगर उसने हत्था जोड़ी देख ली थी | उसके बाद धन मिलना बंद हो गया और मुझे उसे जल प्रवाह करना पड़ा और दोबारा नई हत्था जोड़ी लेनी पड़ी | इसलिए कहता हूँ कि उसे दूसरा आदमी ना देखे प्रयोग के बाद चाहे आपका कितना भी खास हो | सिद्ध हत्था जोड़ी को यंत्र पर रख धूप दीप से पूजा कर निम्न मन्त्र का 9 माला और फिर सुबह एक माला जपना है | फिर उसे किसी डिब्बी में रख लेना है जहाँ भी किसी शुभ कार्य के लिए शुभ कार्य के लिए जा रहे हों, उसका दर्शन कर के जाएँ, आप का काम सिद्ध हो जायेगा क्योंकि तांत्रिक इसमें चामुंडा का वास मानते हैं, जो ठीक भी है | हर दीपावली पर इसकी पूजा जरुर करें |
यह मन्त्र रविवार रात्रि करना है | आसन लाल लें और वस्त्र कोई भी पहन लें काला रंग छोड़ कर | दिशा उतर ठीक है | जब मंत्र जप पूरा हो जाए तो वहीँ सो जाएँ |
साबर मन्त्र
|| ॐ हलीम हलीम चलीम चलीम महालक्ष्मी श्रीं श्रीं सूली सूली हिली हिली ॐ ||
|| om hleem hleem chleem chleem mahalakshmi shreem shreem suli suli hili hili om ||
Ruchi Sehgal