Jeevan dharam

Krishna sakhi is about our daily life routine, society, culture, entertainment, lifestyle.

Monday, 17 February 2020

माला का आकार प्रकार

No comments :

माला का आकार प्रकारः-

माला सही बनी हुई होनी चाहिए। उसका बार-बार टूटना शुभ नहीं होता है माला को ढक कर हृदय के समीप लाकर जप करना चाहिए।

रुद्राक्ष की माला:- यह माला सर्वश्रेष्ठ मानी गई है अलग-अलग मुखों के रुद्राक्ष की माला से अलग- अलग सिद्धि प्राप्त होती है। सामान्यतः पंचमुखी रुद्राक्ष की माला का प्रयोग किया जाता है। महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय मन्त्र केवल रुद्राक्ष पर ही जपना चाहिए। सामान्यतः किसी भी मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं। विशेष कर शिव जी और उनके परिवार के लोगों के मन्त्र रुद्राक्ष पर विशेष लाभकारी होते हैं।

तुलसी की मालाः- यह माला वैष्णव भक्तों के लिए श्रीराम और श्रीकृष्ण की उपासना हेतु यह माला उत्तम मानी गई है। इस माला को केवल पूर्ण रूप से शाकाहारी तथा प्याज व लहसुन से सर्वथा दूर रहने वाले व्यक्ति के लिए ही  ही उत्तम मानी गई है। शिवजी, गणेशजी और भैरवजी की उपासना इस माला से निषिद्ध है। इस माला का प्रयोग कभी भी देवी और शिव जी के मन्त्रों का जप नहीं करना चाहिए।

मूंगे की मालाः- यह माला गणेष और लक्ष्मी की साधना में प्रयुक्त होती है धन संपति , द्रव्य और स्वर्ण आदि की प्राप्ति की कामना से की जाने वाली साधना की सफलता हेतु मूंगे की माला की अत्यधिक प्रभावषाली माना गया है। यह माला मंगल ग्रह की शांति में भी लाभदायक होती है।

हाथी दांत की मालाः- यह गणेष जी की उपासना में विषेष लाभदायक होती है।

कमलगट्टे की मालाः- यह माला धन प्राप्ति, शत्रु शमन और कर्ज मुक्ति के लिए प्रयुक्त होती है।

पुत्रजीवा की मालाः- यह माला संतान की प्राप्ति हेतु की जाने वाली साधना में प्रयोग होता है ।

चांदी की मालाः- यह माला धन की प्रचूर प्राप्ति, सात्विक अभीष्ट की पूर्ति के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है।

मोती की माला:- यह माला चंद्रमा की शांति में विशेष लाभदायक होती है।

पन्ने की माला:- इस माला का प्रयोग बुध ग्रह की शांति के लिए उपयोग कर सकते हैं।

कुषा ग्रंथि की मालाः- यह माला सभी प्रकार के शरीरिक और मानसिक विकारों का शमन करके साधक को स्वस्थ्य, निर्मल और तेजश्वी बनाती है। इसके प्रयोग से सभी प्रकार की व्याधियों का नाष होता है।

सफेद चंदन की मालाः- यह माला शांति पुष्टि कर्मों में तथा श्रीराम, विष्णु आदि देवताओं की उपासना में किया जाता है

लाल चंदन की माला:- यह माला गणेषोपासना, देवी साधना तथा धन धान्य की प्राप्ति के लिए की जाने वाली साधना में इसका विषेष रूप से प्रयुक्त होती है।

स्वर्ण मालाः-  यह माला धन प्राप्ति और कामनापूर्ति की साधना में उपयोगी होती है।

स्फटिक मालाः- यह माला चंद्रमा, शुक्र और शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त करवाता है। यह माला एकाग्रता , सम्पन्नता  और शान्ति की माला मानी जाती है।

शंख मालाः- यह माला तांत्रिक प्रयोगों में तथा शिवजी की पूजा साधना और सात्विक कामनाओं की पूर्ति हेतु

वैजयन्ती मालाः- यह माला विष्णु भगवान की आराधना में प्रयुक्त होती है।

पीली हल्दी या जीयापोता की माला:- यह माला देवी बगलामुखी की साधना में प्रयोग में लाई जाती है। 

हल्दी की मालाः- यह माला गणेष पूजा, वृहस्पति ग्रह तथा देवी बगलामुखी के लिए प्रयोग में लाई जाती है।

नील कमल या काली हल्दी की माला:- यह माला माँ काली के मंत्र जप और पूजा के लिए प्रयोग में लाई जाती है ।

माणिक्य, गारनेट, बिल की लकड़ी की माला:- यह माला भगवान सूर्य की विशेष कृपा प्राप्त करवाता है।

गोमेद, चंदन और कच्चे कोयले की माला:- राहु ग्रह के लिए यह माला उपयोगी है।

लहसुनिया की माला:- केतु ग्रह के लिए यह माला उपयोगी है।

लाल हकीक की माला:-  मंगल ग्रह अच्‍छी स्थिति में न हो तो इस माला को धारण किया जा सकता है। मंगल ग्रह के दुष्‍प्रभावों से बचने के लिए इसको धारण किया जा सकता है।

माला के प्रयोग की सावधानियां और नियम क्या हैं?
माला के मनकों की संख्या कम से कम २७ या १०८ होनी चाहिए. हर मनके के बाद एक गाँठ जरूर लगी होनी चाहिए।
मंत्र जप के समय तर्जनी अंगुली से माला का स्पर्श नहीं होना चाहिए साथ ही सुमेरु का उल्लंघन भी नहीं होना चाहिए।
मंत्र जप के समय माला किसी वस्त्र से ढंकी होनी होनी चाहिए या गोमुखी में होनी चाहिए।
मंत्र जाप करने के पूर्व हाथ में माला लेकर प्रार्थना करनी चाहिए कि माला से किया गया मंत्र जाप सफल हो ।
अगर आप अपनी कोई मनोकामना पूरी होते देखना चाहते हैं तो आपके लिए 27 रुद्राक्षों की माला उपयोगी है।
माला हमेशा व्यक्तिगत होनी चाहिए , दूसरे की माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
जिस माला से मंत्र जाप करते हैं , उसे धारण नहीं करना चाहिए।
ध्यान रखें, माला के हर दो मनकों के बीच गांठ अवश्य लगाएं। 
लक्ष्मी प्राप्ति हेतु लाल रंग का रेशमी धागा होना चाहिए। वहीं अगर आप तंत्र या मारण के लिए मंत्र जाप कर रहे हैं तो इसके लिए आप काले धागे का उपयोग करें।
मोक्ष प्राप्ति या शांति के लिए किए जा रहे मंत्र जाप के लिए 108 रुद्राक्ष का प्रयोग करें और इन्हें सफेद धागे में पिरोयें।

इन सब बातों को यदि आप ध्यान में रख कर पूजा या मन्त्र जप करते हैं तो आप शीघ्र ही मनोवांछित इच्छा की प्राप्ति कर सकते हैं।


नवग्रहों के अनुसार मालाओं के द्वारा जाप से चमत्कारी लाभ

No comments :


========================================
यूं तो मालाएं कई प्रकार की होती हैं। जैसे फूलों की, रत्नों की, बीजों की एवं धातुओं की आदि। कुछ को हम आभूषण के रूप में धारण करते हैं तो कुछ को मन एवं एकाग्रता के लिये न केवल गले में धारण करते हैं बल्कि हाथों से जाप करने के प्रयोग में भी लाते हैं। ऐसे में अधिकतर लोग तुलसी या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करते हैं। यदि हम नवग्रह से सम्बंधित मालाओं से जप करे तो अबश्य हमें चमत्कारी प्रभाब देखने को मिलेंगे और हमें मन की शांति और मनोबांछित फल भी प्राप्त होंगे ....................
हल्दी की माला===========
यह माला भगवान गणे्यजी की व भगवान बृहस्पति की उपासना के लिए उचित मानी गई है। यह माला विशेषकर धनु व मीन राशि वाले जातकों के लिए उपयोगी मानी जाती है। बृहस्पति (गुरु) को सभी देवताओं के गुरु माना जाता है, इन्हें ज्ञान का देवता भी कहा जाता है। यदि बच्चों का मन पढ़ाई में लगता हो तो इस माला को धारण करने से काफी लाभ मिलता है, इसको धारण करने से गुरु ग्रह संबंधित सभी दोष नष्ट हो जाते हैं।

जामुन की गुठली की माला============
यह माला शनिदेव की उपासना के लिए उचित मानी जाती है। इसको धारण करने से शनि से संबंधित सभी दोष नष्ट हो जाते हैं। यह प्राय मकर व कुंभ राशि के जातकों के लिए उपयोगी मानी जाती है।

कमल गट्टे की माला---------- कहा जाता है मां लक्ष्मी देवी का श्रीमुख पदम के समान सुन्दर, कान्तियुक्त है, और पदम समान है आप पदम से पैदा हुई हैं और आप का एक नाम पदमाक्षि भी है आपकी प्रसन्नता के लिए कमल गट्टा प्रायः सरोवरों और झीलों में पैदा होता है यह कमल पुष्प का बीज माना जाता है। कमल पुष्प लक्ष्मी एवं विष्णु को अत्यधिक प्रिय है इसे अनेक नामों से जाना जाता है संस्कृत भाषा में पुण्डरीक, रक्तपदम, नीलपदंम हिन्दी में कमल पंजाबी में नीलोफर फारसी में गुलनीलोफर अरबी में करंबुलमा कहते हैं।
जो मनुष्य उत्तम लक्ष्मी की प्राप्ति की कामना करता हो वह कमल गट्टे की 108 दाने की माला पर लक्ष्मी का मंत्र जप करने से शीघ्र सफलता मिलती है एवं धन आगमन होता है। कमल गट्टे की माला द्वारा कनक धारा मंत्र का जप करने से स्वर्ण वर्षा होती है ऐसा शास्त्रों का प्रमाण है। अक्षय तृतीया को कमलगट्टे की माला पर लक्ष्मी गायत्री मंत्र जप करने से सौ गुना अत्यधिक फल प्राप्त होता है। कमलगट्टे की माला धारण करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं तथा अपने भक्तों को हमेशा धनधान्य से शोभित करती हैं।
लाल चंदन की माला==========
चन्दन दो प्रकार के पाये जाते हैं रक्त एवं श्वेत रक्त-चन्दन की माला देवियों के लिए उपयुक्त है श्वेत चन्दन की माला देवताओं के लिए। चन्दन के वृक्ष प्रायः आसाम के जंगली क्षेत्रों में पाये जाते हैं इसकी लकड़ी भारी होती है जो पानी में डूब जाती है चन्दन का गुण शीतल है जो हर प्रकार से शीतलता प्रदान करता है। श्वेत चन्दन में मनमोहक सुगन्ध पायी जाती है यह इसका प्रधान गुण है चन्दन कई रोगों को शान्त करता है जैसे- तृषा, थकान, रक्त विकार, दस्त, सिर दर्द, वात पित्त, कफ, कृमि और वमन आदि। इसे अनेक भाषा में अनेक नामों से जाना जाता है।

स्फटिक एवं रुद्राक्ष========
स्फटिक एक सामान्य प्राप्ति वाला रंगहीन तथा प्रायः पारदर्शक मिलने वाला अल्पमोली पत्थर है। यह पत्थर देखने में कांच जैसा प्रतीत होता है। स्फटिक पत्थर से विशेष कटिंगदार मन के बना कर मालायें भी बनायी जाती हैं, जो अत्यन्त आकर्षक होने के बावजूद अल्पमोली होती हैं। स्फटिक पत्थर से बनी विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियां एवं यंत्र बनाये जाते हैं। यह पंचमुखी ब्रह्मा का स्वरूप है इसके देवता कालाग्नि हैं इसके उपयोग से दुःख और दारिद्र नष्ट होता है। पुण्य का उदय होता है शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है एवं यह पाप का नाशक है।
पंचवक्त्रः स्वयं रुद्रः कालाग्निर्नाम नामतः।।

रुद्राक्ष स्वयं कालाग्नि नाम रुद्र का स्वरूप है, पर-स्त्री गमन करने से जो पाप बनता है तथा अभक्ष्य भक्षण करने से जो पाप लगता है वह सब रुद्राक्ष के धारण करने से नष्ट हो जाते हैं। इसमें कोई संशय नहीं यह पंचतत्त्वों का प्रतीक है। अनेक औषध कार्य में इसका उपयोग होता है। यह सर्वकल्याणाकारी, मंगलप्रदाता एवं आयुष्यवर्द्धक है। महामृत्युंजय इत्यादि अनुष्ठानों में इसका ही प्रयोग होता है। यह अभीष्ट सिद्धि प्रदाता है। यह सर्वत्र सहज सुलभ होने के कारण इसका महत्व कुछ काम हो गया है परंतु शास्त्रीय दृष्टि से इसका महत्त्व कम नहीं है। पांचमुखी रुद्राख मेष, धनु, मीन, लग्न के जातकों के लिए अत्यन्त उपयोगी माना गया है।
मूंगा माला======
यह खूबसूरत माला मूंगें के पत्थरों से बनायी गई है। मंगल ग्रह की शांति के लिए मंगल ग्रह की शांति के लिए इस माला का प्रयोग किया जाता है। विशेषकर मेष और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए उपयोगी मानी जाती है। मूंगा एक जैविक रत्न है। यह समुद्र से निकाला जाता है। अपनी रासायनिक संरचना में मूंगा कैल्शियम कार्बोनेट का रुप होता है। मूंगा मंगल ग्रह का रत्न है। अर्थात् मूंगा धारण करने से मंगल ग्रह से सम्बंधित सभी दोष दूर हो जाते है। मूंगा धारण करने से रक्त साफ होता है तथा रक्त से संबंधित सभी दोषदूर हो जाते है।
मूंगा मेष तथा वृष्चिक राषि वालों के भाग्य को जगाता है। मूंगा धारण करने से मान-स्वाभिमान में बृद्धि होती है। तथा मूंगा धारण करने वाले पर भूत-प्रेत तथा जादू-टोने का असर नहीं होता। मूंगा धारण करने वाले की व्यापार या नौकरी में उन्नति होती है। मूंगा कम से कम सवा रती का या इससे ऊपर का पहनना चाहिए। मूंगा 5, 7, 9, 11 रती का शुभ होता है। मूंगे को सोने या तांबे में पहनना अच्छा माना जाता है।
नवरत्न की माला=======
ज्योतिष शास्त्र की भारतीय पद्धति में सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र शनि, राहु तथा केतु को ही मान्यता प्राप्त है। अनुभवों में पाया गया है कि रत्न परामर्श के समय उपरोक्त नवग्रहों को आधार मान कर दिया गया परामर्श अत्यधिक प्रभावी तथा अचूूक होता है। यहाँ पर हम इन्हीं नवग्रहों के आधार पर नवरत्न माला के बारे में परिचय प्राप्त करेंगे। असली नवरत्न माला में अनेक गुण पाये जाते हैं इसे धारण करने मात्र से अनेक सफलता एवं सिद्धियां प्राप्त होती हैं इसमें अपनी एक अद्भुत विशेषता होती है तथा अनेक तात्विक संरचनायें होती है।
इसकेे अलग-अलग दानें अपने से सम्बन्धित ग्रहों की रश्मियों को अपने आप समाहित करके धारण करने वाले को लाभ प्रदान करती हैं इस नवरत्न माला में वैज्ञानिक आधार पर निम्न तात्विक सरंचाना पायी जाती हैं जैसे- अल्यूमिनियम आक्सीजन, क्रोमियम तथा लौह, कैल्शियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम, बेरोलियम, मिनयिम, फ्लोरीन, हाइड्रोक्सिल, जिक्रोनियम, आदि तात्विक संरचनायें पायी जाती हैं।
समय-समय पर हुए शोध कार्यो तथा ज्योतिषियों को हुए विशेष अनुभवों के आधार पर प्रत्येक रत्न या रत्न नवग्रहों में से किसी एक ग्रह विशेष से सम्बद्ध किया गया है।
प्रस्तुत माला में सारे ग्रहों के रत्नों को समाहित किया गया है इस माला को धारण करने से अनेक लाभ हैं जैसे यश, सम्मान, वैभव, भौतिक समृद्धी में फायदा तथा कफ रोग, शीत रोग, ज्वर रोग आदि रोगों में लाभ होगा। तथा सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी।
रुद्राक्ष माला==========
रुद्राक्ष माला सभी प्रकार के सिद्धियों एवं जप के लिए सर्वोत्तम माना गया है रुद्राक्ष माला पर सभी प्रकार के जप किये जा सकते हैं तथा बाल्यावस्था से लेकर वृद्धवस्था तक के सभी व्यक्तियों के लिए रुद्राक्ष माला सर्वोपरि माना गया है। धारण करने के लिए एक दाने से लेकर 108 दाने तक माला धारण की जाती है तथा जप के लिए 27 दानें से लेकर 1008 दानें तक की माला उपयोग में लायी जाती है। आवश्यकता एवं इच्छानुसार एक से अनेक दानों तक की माला धारण की जा सकती है।
शास्त्रों में प्रमाण मिलता है कि शरीर के अनेक अंग में रुद्राक्ष अधिक से अधिक धारण करने से ज्यादा लाभ मिलता है असली रुद्राक्ष माला धारण करने से रक्त चाप, वीर्य दोष मिला होता है बौद्विक विकास एवं मानसिक शान्ती होती है व्यापार आदि में लाभ होता है। सभी वर्गो के लिए सम्मान एवं कीर्ति प्राप्त होती है।
रुद्राक्ष माला के अनेक लाभ
===========================
ऊदर तथा गर्भाशय से रक्तचाप तथा हृदय रोग से सम्बन्धित अनेक बिमारियों के लिए छः मुखी रुद्राक्ष की माला को हाँडी में पानी डालकर भिगोये रखें प्रत्येक 24 घंटे पश्चात यह रुद्राक्ष का जल खाली पेट प्रातःकाल पीते रहें निश्चित लाभ होगा। मस्तिष्क सम्बन्धी विकारों से पीड़ित व्यक्तियों तथा मस्तिष्कीय कार्य करने वाले लोगां को शक्ति प्राप्ति के लिए चारमुखी रुद्राक्ष की माला चाँदी के किसी बरतन में पानी डालकर भिगोये रखना चाहिए। प्रत्येक 24 घंटे के अन्तराल से यह रुद्राक्ष जल प्रातः खाली पेट पियें। यह प्रयोग चमत्कारी प्रभाव प्रकट करता हैं।
शंख माला=========
शंख/ सीप अक्सर ज्वार भाटे के समय समुद्र के तट से प्राप्त होते है। इसको धारण करने वाले को संसार के समस्त प्रकार के लाभ मिलते है। इसके पहनने से चन्द्रमा संबंधी दोष नष्ट हो जाते है। यह माला विशेषकर कर्क राशि के जातकों के लिए उपयोगी मानी जाती है।

स्फटिक माला=========
स्फटिक एक सामान्य प्राप्ति वाला रंगहीन तथा प्रायः पारदर्शक मिलने वाला अल्पमोली पत्थर है। यह पत्थर देखने में कांच जैसा प्रतीत होता है। सिलिका आक्साइड का एक रूप यह स्फटिक पत्थर स्वयं में विशेष आब तथा चमकयुक्त नहीं होता, लेकिन विशेष काट में काटने तथा पालिश करने पर इसमें चमक पैदा की जा सकती है। अच्छी काट के स्फटिक नगीने आभूषणों में प्रयोग किये जाते हैं। स्फटिक पत्थर से विशेष कटिंगदार मन के बना कर मालायें भी बनायी जाती हैं, जो अत्यन्त आकर्षक होने के बावजूद अल्पमोली
होती हैं। स्फटिक पत्थर से बनी विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियां एवं यंत्र बनाये जाते हैं।
स्फटिक माला से अनेक लाभ
यह केवल स्वास्थ्य लाभ के लिए नहीं बल्कि आध्यात्मिक क्षेत्र एवं बुद्धि जनित कार्य करने वाले के लिए भी अत्यन्त लाभकारी है।
सोमवार को स्फटिक माला धारण करने से मन में पूर्णतः शान्ती की अनुभूति होती हैं एवं सिर दर्द नहीं होता।
शनिवार को स्फटिक माला धारण करने से रक्त से सम्बन्धित बिमारियों में लाभ होता है।
अत्यधिक बुखार होने की स्थिति में स्फटिक माला को पानी में धोकर कुछ देर नाभि पर रखने से बुखार कम होता है एवं आराम मिलता है।
तुलसी स्फटिक माला==========
स्फटिक अत्यन्त आकर्षक होने के बावजूद अल्पमोली होते हैं। स्फटिक पत्थर से विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियां एवं यंत्र बनाये जाते हैं तथा आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के पौधे को चमत्कारी पौधा माना गया है। इससे बनी हुई माला पहनने से पाचन शक्ति, तेज बुखार, दिमाग की बिमारिया एवम् वायु संबंधित अनेक रोगों में लाभकारी है। यह केवल स्वास्थ्य लाभ के लिए नहीं बल्कि आध्यात्मिक क्षेत्र एवं बुद्धि जनित कार्य करने वाले के लिए भी अत्यन्त लाभकारी है। इसलिए तुलसी स्फटिक माला लक्ष्मीजी एवम् विष्णु जी की उपासना के लिए प्रयोग में लाई जाती है।
सोमवार को यह माला धारण करने से मन में पूर्णतः शान्ती की अनुभूति होती हैं एवं सिर दर्द नहीं होता।
शनिवार को यह माला धारण करने से रक्त से सम्बन्धित बिमारियों में लाभ होता है।
तुलसी माला=========
तुलसी की माला विष्णु, राम और कृष्ण से संबंधित जपों की सिद्धि के लिए उपयोग में लाई जाती है। इसके लिए मंत्र ॐ विष्णवै नमः का जप श्रेष्ठ माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के पौधे को चमत्कारी पौधा माना गया है। इससे बनी हुई माला पहनने से व्यक्ति की पाचन शक्ति, तेज बुखार, दिमाग की बिमारियॅा एवम् वायु संबंधित अनेक रोगों में लाभकारी है।

वैयजंती माला=====
यह मोती प्राय घास से प्राप्त होते है। यह माला भी शनिदेव की उपासना के लिए प्रयोग में लाई जाती है। इसको धारण करने से शनिदेव की कृपा दृष्टि तथा धारणकर्ता को अनेक प्रकार की सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह माला मकर व कुंभ राशि के जातकों के लिए उपयोगी है।


माला का जप करके दूर कर सकते हैं बड़ी से बड़ी समस्‍याएं

No comments :

माला का जप करके दूर कर सकते हैं बड़ी से बड़ी समस्‍याएं
प्राचीन काल से ऋषि मुनि माला जप करके अपनी साधना सिद्ध करते आ रहे हैं। विभिन्‍न प्रकार की मालाओं से जप करके आप भी कई विकारों को दूर कर सकते हैं


रुद्राक्ष माला
यह माला शिव पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। तुलसी, चन्दन, स्वर्ण, मुक्ता, प्रवाल आदि की माला से करोड़ों गुना अधिक फल रूद्राक्ष माला पर जाप करने से प्राप्त होता है। हृदय रोग, ब्लड प्रेशर (रक्त चाप) आदि से यह रक्षा करती है, अकाल मृत्यु योग को टालने की अभूतपूर्व शक्ति इसमें है।


स्फटिक माला
यह माला शक्ति की प्रतीक लक्ष्मी-सरस्वती व दुर्गा जाप के लिये उत्तम है। गायत्री मंत्र के लिये भी यह सर्वोत्तम है। संक्षेप में देवी जाप के लिये स्फटिक माला के उपयोग से मंत्र शीघ्र सिद्ध होता है। यह आर्थिक स्थिति में सुधार लाती है। उच्च रक्त चाप के रोगियों को व क्रोध शान्ति के लिये यह माला अचूक है।


सफेद चन्दन
इस माला का प्रयोग शान्तिपुष्टि कर्मों में व श्री राम, विष्णु व अन्य देवताओं की उपासना में होता है। इसके धारण करने से शरीर में ताजगी स्फूर्ति का संचार होता है।


लाल चन्दन
देवी जाप के लिये यह सर्वोत्तम माला मानी गयी है। मंगल शान्ति के लिये लाल चन्दन की माला धारण करना लाभकारक है।

तुलसी माला
विष्णु प्रिय तुलसी की माला विष्णु अवतार राम व कृष्ण जी की उपासना हेतु सर्वाेत्तम है। शरीर व आत्मा की शुद्धि के लिये यह माला धारण करना उत्तम है।

मूंगे की माला
मंगल ग्रह की शान्ति की लिये इसे धारण करना उपयुक्त है व हनुमान जी की साधना के लिये यह सर्वोत्तम है।
8/15 वैजयन्ती माला
वैष्णव भक्तों व लक्ष्मी जाप में प्रयोग की जाती है।
9/15 कमल गट्टे की माला
लक्ष्मी प्राप्ति व लक्ष्मी जाप के लिये सर्वोत्तम है।
10/15 पुत्र जीवा की माला
इसका प्रयोग संतान प्राप्ति के लिए की जाने वाली साधनाओं में होता है।
11/15 स्फटिक व रूद्राक्ष मिश्रित माला
रूद्राक्ष व स्फटिक माला शिवशक्ति का प्रतीक हैं। रूद्राक्ष लो ब्लड़ प्रेशर (निम्न रक्त चाप) को व स्फटिक हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्त चाप) को नियन्त्रित करता है अर्थात् दोनों में समन्वय बनाए रखता है। इस माला पर शिव व शक्ति दोनों का जाप किया जा सकता है।
12/15 रूद्राक्ष व सोने के दानों की माला
रूद्राक्ष के साथ सोने के दाने रूदाक्ष की शक्ति में कई गुना वृद्धि करते हैं। सोना सबसे शुद्ध धातु है। धारक को रूद्राक्ष के गुणों के साथ-साथ शान्ति व समृद्धि की प्राप्ति होती है।
13/15 नवरत्न माला
यह नवग्रह की शान्ति के लिये धारण की जाती है, इससे मानसिक शान्ति की प्राप्ति होती है।
14/15 हल्दी की माला
बृहस्पति के व बगलामुखी के जाप केवल इसी माला पर कारगर हैं।
15/15 मोती माला
मोती की माला भाग्य-वृद्धि करती है। पुत्र प्राप्ति के लिये यह उत्तम है।