सोमवती अमावस्या का महत्व Somwati Amavasya Ka Mahatwa | |
सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। कहते है सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya बड़े भाग्य से पड़ती है। | |
पांडव तरसते रहे लेकिन उनके जीवन में सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya कभी पड़ी ही नहीं। सोमवार भगवान चन्द्र को समर्पित दिन है। | |
भगवान चन्द्र को शास्त्रों में मन का कारक माना गया है। अत: इस दिन अमावस्या पड़ने का अर्थ है कि यह दिन मन सम्बन्धी दोषों के समाधान के लिये अति उत्तम है। | |
चूंकि हमारे शास्त्रों में चन्द्रमा को ही समस्त दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों का कारक माना जाता है। सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के ब्रत को भीष्म पितामह ने 'ब्रत शिरोमणि' अर्थात 'ब्रतराज' कहा है। अत: पूरे वर्ष में एक या दो बार पड़ने वाले इस दिन का बहुत विशेष महत्व है। | |
विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का विधान है। | |
सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya कलियुग के कल्याणकारी पर्वो में से एक है, लेकिन सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya को अन्य अमावस्याओं से अधिक पुण्य कारक मानने के पीछे भी शास्त्रीय और पौराणिक कारण हैं। सोमवार को भगवान शिव और चंद्रमा का दिन कहा गया है। सोम यानि चंद्रमा। अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का सोमांश यानि अमृतांश सीधे-सीधे पृथ्वी पर पड़ता है। शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya पर चंद्रमा का अमृतांश पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पड़ता है। | |
अमावस्या अमा और वस्या दो शब्दों से मिलकर बना है। शिव महापुराण में इस संधि विच्छेद को भगवान शिव ने माता पार्वती को समझाया था। क्योंकि सोम को अमृत भी कहा जाता है, अमा का अर्थ है एकत्र करना और वस्या वास को कहा गया है। यानि जिसमें सब एक साथ वास करते हों वह अमावस्या अति पवित्र सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya कहलाती है। यह भी माना जाता है की सोमवती अमावस्या में भक्तों को अमृत की प्राप्ति होती है। | |
निर्णय सिंधु व्यास के वचनानुसार इस दिन मौन रहकर स्नान-ध्यान करने से सहस्र गोदान का पुण्य फल प्राप्त होता है। हिन्दु धर्म शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष। इस दिन पीपल कि सेवा,पूजा, परिक्रमा का अति विशेष महत्व है। | |
शास्त्रों के अनुसार में पीपल की छाया से, स्पर्श करने से और प्रदक्षिणा करने से समस्त पापों का नाश, अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति और आयु में वृद्धि होती है। | |
पीपल के पूजन में दूध, दही, मीठा,फल,फूल, जल,जनेऊ जोड़ा चढ़ाने और दीप दिखाने से भक्तों कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहते है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में भगवान शिव जी तथा अग्रभाग में भगवान ब्रह्मा जी का निवास है। इसलिए सोमवार को यदि अमावस्या हो तो पीपल के पूजन से अक्षय पुण्य, लाभ तथा सौभाग्य की वृद्धि होती है। | |
इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर | |
१०८ बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है।और प्रत्येक परिक्रमा में कोई भी एक मिठाई, फल, मिश्री या मेवा चढ़ाने से विशेष लाभ होता है । प्रदक्षिणा के समय 108 फल अलग रखकर समापन के समय वे सभी वस्तुएं | |
ब्राह्मणों और निर्धनों को दान करें। मान्यता है की यदि कोई भी जातक ( स्त्री या पुरुष ) इस प्रक्रिया को कम से कम तीन सोमवती अमावस्या तक करे तो उसे जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है, | |
सारे कार्य सुगमता से बनने लगते है। इस प्रक्रिया से पितृ दोष का भी निश्चित ही समधान होता है। अतः हर जातक को सोमवती अमावस्या के दिन | |
पीपल का यह उपाय अवश्य ही करना चाहिए । | |
इस दिन जो स्त्री तुलसी व माता पार्वती पर सिन्दूर चढ़ाकर अपनी माँग में लगाती है वह अखण्ड सौभाग्यवती बनी रहती है । आज के दिन महिलाएँ कपड़ा, गहना, बरतन, अनाज अथवा कोई भी खाने की वस्तु वस्तुयें दान कर सकती है जिससे उनके जीवन में शुभता आती है,समाज में उनके परिवार का नाम होता है, यश मिलता है । | |
जिन जातकों की जन्मपत्रिका में घातक कालसर्प दोष KaalSarp Dosh है, वे लोग यदि सोमवती अमवस्या Somwati Amavasya पर चांदी के बने नाग-नागिन की विधिवत पूजा करके उन्हे नदीं में प्रवाहित कर दें, भगवान भोले भण्डारी पर कच्चा दूध चढ़ायें, पीपल पर मीठा जल चढ़ाकर उसकी परिक्रमा करें, धूप दीप जलाएं, ब्रह्मणो को यथा शक्ति दान दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद ग्रहण करें तो उन्हें निश्चित ही कालसर्प दोष से छुटकारा मिलेगा। |
Friday, 29 September 2017
सोमवती अमावस्या का महत्व Somwati Amavasya Ka Mahatwa
Thursday, 21 September 2017
सोमवती अमावस्या की कथा Somvati Amavasya Ki Katha
सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya से सम्बंधित अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक गरीब ब्रह्मण परिवार था, जिसमे पति, पत्नी के अलावा एक पुत्री भी थी। पुत्री धीरे धीरे बड़ी होने लगी, वह सुन्दर, सुशील, संस्कारवान एवं गुणवान थी, लेकिन गरीबी के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था।
एक दिन ब्रह्मण के घर एक साधू पधारे, वह कन्या के सेवाभाव से बहुत प्रसन्न हुए। कन्या को दीर्घ आयु का आशीर्वाद देते हुए साधू ने कहा की कन्या के हथेली में विवाह का योग नहीं है। ब्राह्मण ने साधू से उपाय पूछा कि कन्या ऐसा क्या करे की उसके हाथ में विवाह योग बन जाए। तब साधू ने अपनी अंतर्दृष्टि से ध्यान करके बताया कि कुछ दूरी पर एक गाँव में सोना नाम की धोबी महिला अपने पति, बेटे और बहू के साथ रहती है, वह बहुत ही संस्कारी तथा पति परायण है। यदि आपकी कन्या उसकी सेवा करे और वह इसकी शादी में अपने मांग का सिन्दूर लगा दे, उसके बाद इस कन्या का विवाह हो तो इस कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है। साधू ने बताया लेकिन वह महिला कहीं भी आती जाती नहीं है।
यह बात सुनकर ब्रह्मणि ने अपनी बेटी से धोबिन कि सेवा करने कि बात कही। कन्या प्रतिदिन तडके उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर, सफाई और अन्य सारे करके अपने घर वापस आ जाती। जब सोना धोबिन अपनी बहू से इसके बारे में पूछा के क्या वह यह सारे कार्य करती है तो बहू ने कहा कि माँजी मैं तो देर से उठती हूँ।तो सोना निगरानी करने करने लगी कि कौन तडके ही घर का सारा काम करके चला जाता है ।
एक दिन सोना ने उस कन्या को देख लिया, जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं।आप ब्राह्मण कन्या हो आपके द्वारा यह करने से मैं पाप कि भागी बन रही हूँ ।
तब कन्या ने साधू द्बारा कही पूरी बात बताई। सोना धोबिन पति परायण थी, उसमें तेज था। वह तैयार हो गई। सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे। उसमे अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा।
सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर कन्या की मांग में लगाया, उसके पति का स्वर्गवास हो गया । उसे इस बात का पता चल गया। वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भँवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी.उस दिन सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya थी। ब्रह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उसने ईंट के टुकडों से ही 108 बार भँवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की, और उसके बाद जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसके पति के मुर्दा शरीर में कम्पन होने लगा।
इसीलिए सोमवती अमवास्या Somvati Amavasya के दिन जो भी जातक धोबी, धोबन को भोजन कराता है, उनका सम्मान करता है, उन्हें दान दक्षिणा देता है, उसका दाम्पत्य जीवन लम्बा और सुखमय होता है उसके सभी मनोरथ अवश्य ही पूर्ण होते है ।
शास्त्रों के अनुसार चूँकि पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है। अत:, सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन भँवरी देता है, उसके सुख और सौभग्य में वृध्दि होती है। जो हर अमावस्या Amavasya को न कर सके, वह सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन 108 वस्तुओं कि भँवरी देकर सोना धोबिन और गौरी-गणेश कि पूजा करता है, उसकी कथा कहता है उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
एक दिन ब्रह्मण के घर एक साधू पधारे, वह कन्या के सेवाभाव से बहुत प्रसन्न हुए। कन्या को दीर्घ आयु का आशीर्वाद देते हुए साधू ने कहा की कन्या के हथेली में विवाह का योग नहीं है। ब्राह्मण ने साधू से उपाय पूछा कि कन्या ऐसा क्या करे की उसके हाथ में विवाह योग बन जाए। तब साधू ने अपनी अंतर्दृष्टि से ध्यान करके बताया कि कुछ दूरी पर एक गाँव में सोना नाम की धोबी महिला अपने पति, बेटे और बहू के साथ रहती है, वह बहुत ही संस्कारी तथा पति परायण है। यदि आपकी कन्या उसकी सेवा करे और वह इसकी शादी में अपने मांग का सिन्दूर लगा दे, उसके बाद इस कन्या का विवाह हो तो इस कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है। साधू ने बताया लेकिन वह महिला कहीं भी आती जाती नहीं है।
यह बात सुनकर ब्रह्मणि ने अपनी बेटी से धोबिन कि सेवा करने कि बात कही। कन्या प्रतिदिन तडके उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर, सफाई और अन्य सारे करके अपने घर वापस आ जाती। जब सोना धोबिन अपनी बहू से इसके बारे में पूछा के क्या वह यह सारे कार्य करती है तो बहू ने कहा कि माँजी मैं तो देर से उठती हूँ।तो सोना निगरानी करने करने लगी कि कौन तडके ही घर का सारा काम करके चला जाता है ।
एक दिन सोना ने उस कन्या को देख लिया, जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं।आप ब्राह्मण कन्या हो आपके द्वारा यह करने से मैं पाप कि भागी बन रही हूँ ।
तब कन्या ने साधू द्बारा कही पूरी बात बताई। सोना धोबिन पति परायण थी, उसमें तेज था। वह तैयार हो गई। सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे। उसमे अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा।
सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर कन्या की मांग में लगाया, उसके पति का स्वर्गवास हो गया । उसे इस बात का पता चल गया। वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भँवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी.उस दिन सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya थी। ब्रह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उसने ईंट के टुकडों से ही 108 बार भँवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की, और उसके बाद जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसके पति के मुर्दा शरीर में कम्पन होने लगा।
इसीलिए सोमवती अमवास्या Somvati Amavasya के दिन जो भी जातक धोबी, धोबन को भोजन कराता है, उनका सम्मान करता है, उन्हें दान दक्षिणा देता है, उसका दाम्पत्य जीवन लम्बा और सुखमय होता है उसके सभी मनोरथ अवश्य ही पूर्ण होते है ।
शास्त्रों के अनुसार चूँकि पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है। अत:, सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन भँवरी देता है, उसके सुख और सौभग्य में वृध्दि होती है। जो हर अमावस्या Amavasya को न कर सके, वह सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन 108 वस्तुओं कि भँवरी देकर सोना धोबिन और गौरी-गणेश कि पूजा करता है, उसकी कथा कहता है उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
Wednesday, 20 September 2017
सोमवती अमावस्या के उपाय Somvati Amavasya Ke upay
सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya को अत्यंत पुण्य तिथि माना जाता है । मान्यता है कि सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन किये गए किसी भी प्रकार के उपाय शीघ्र ही फलीभूत होते है । सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन उपाय करने से मनुष्यों को सभी तरह के शुभ फल प्राप्त होते है, अगर उनको कोई कष्ट है तो उसका शीघ्र ही निराकरण होता है और उस व्यक्ति तथा उसके परिवार पर आने वाले सभी तरह के संकट टल जाते है।
इस दिन जो मनुष्य व्यवसाय में परेशानियां से जूझ रहे हो, वे पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दिया जलाकर और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें तो उनकी व्यवसाय में आ रही समस्त रुकावट दूर हो जाएगी।
सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के पर्व पर अपने पितरों के निमित्त पीपल का वृक्ष लगाने से जातक को सुख-सौभाग्य, संतान, पुत्र, धन की प्राप्ति होती है और उसके समस्त पारिवारिक क्लेश समाप्त हो जाते हैं।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व समझा जाता है। कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य निश्चय ही समृद्ध, स्वस्थ और सभी दुखों से मुक्त होगा। सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya के ब्रत को भीष्म पितामह ने 'ब्रत शिरोमणि' अर्थात 'ब्रतराज' कहा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है।
इस दिन पवित्र नदियों, तीर्थों में स्नान, ब्राह्मण भोजन, गौदान, अन्नदान, वस्त्र, स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशिष्ट महत्त्व है। इस दिन यदि गंगा जी जाना संभव न हो तो प्रात:काल किसी नदी या सरोवर आदि में स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और तुलसी की भक्तिपूर्वक पूजा करें।
सोमवार भगवान शिव जी का दिन माना जाता है और सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya तो पूर्णरूपेण शिव जी को समर्पित होती है। इसलिए इस दिन भगवान शिव कि कृपा पाने के लिए शिव जी का अभिषेक करना चाहिए, या प्रभु भोले भंडारी पर बेलपत्र, कच्चा दूध, मेवे, फल, मीठा, जनेऊ जोड़ा आदि चढ़ाकर ॐ नम: शिवाय का जाप करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है।
मान्यता है कि सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन सुबह-सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर किसी भी शिव मंदिर में जाकर सवा किलो साफ चावल अर्पित करते हुए भगवान शिव का पूजन करें। पूजन के पश्चात यह चावल किसी ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें। शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमवस्या Somvati Amavasya पर शिवलिंग पर चावल चढ़ाकर उसका दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
शास्त्रों में वर्णित है कि सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन उगते हुए भगवान सूर्य नारायण को गायत्री मंत्र उच्चारण करते हुए अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होगी। यह क्रिया आपको अमोघ फल प्रदान करती है ।
सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन 108 बार तुलसी के पौधे की श्री हरि-श्री हरि अथवा ॐ नमो नारायण का जाप करते हुए परिक्रमा करें, इससे जीवन के सभी आर्थिक संकट निश्चय ही समाप्त हो जाते है।
जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, वह यदि गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें अवश्य ही मानसिक शांति प्राप्त होगी।
इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
इस दिन स्वास्थ्य, शिक्षा,कानूनी विवाद,आर्थिक परेशानियों और पति-पत्नी सम्बन्धी विवाद के समाधान हेतु किये गये उपाय अवश्य ही सफल होते है ।
इस दिन जो व्यक्ति धोबी,धोबन को भोजन कराता है,सम्मान करता है, दान दक्षिणा देता है, उसके बच्चो को कापी किताबे, फल, मिठाई,खिलौने आदि देता है उसके सभी मनोरथ अवश्य ही पूर्ण होते है ।
इस दिन ब्राह्मण, भांजा और ननद को फल, मिठाई या खाने की सामग्री का दान करना बहुत ही उत्तम फल प्रदान करता है।
इस दिन जो मनुष्य व्यवसाय में परेशानियां से जूझ रहे हो, वे पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दिया जलाकर और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें तो उनकी व्यवसाय में आ रही समस्त रुकावट दूर हो जाएगी।
सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के पर्व पर अपने पितरों के निमित्त पीपल का वृक्ष लगाने से जातक को सुख-सौभाग्य, संतान, पुत्र, धन की प्राप्ति होती है और उसके समस्त पारिवारिक क्लेश समाप्त हो जाते हैं।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व समझा जाता है। कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य निश्चय ही समृद्ध, स्वस्थ और सभी दुखों से मुक्त होगा। सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya के ब्रत को भीष्म पितामह ने 'ब्रत शिरोमणि' अर्थात 'ब्रतराज' कहा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है।
इस दिन पवित्र नदियों, तीर्थों में स्नान, ब्राह्मण भोजन, गौदान, अन्नदान, वस्त्र, स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशिष्ट महत्त्व है। इस दिन यदि गंगा जी जाना संभव न हो तो प्रात:काल किसी नदी या सरोवर आदि में स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और तुलसी की भक्तिपूर्वक पूजा करें।
सोमवार भगवान शिव जी का दिन माना जाता है और सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya तो पूर्णरूपेण शिव जी को समर्पित होती है। इसलिए इस दिन भगवान शिव कि कृपा पाने के लिए शिव जी का अभिषेक करना चाहिए, या प्रभु भोले भंडारी पर बेलपत्र, कच्चा दूध, मेवे, फल, मीठा, जनेऊ जोड़ा आदि चढ़ाकर ॐ नम: शिवाय का जाप करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है।
मान्यता है कि सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन सुबह-सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर किसी भी शिव मंदिर में जाकर सवा किलो साफ चावल अर्पित करते हुए भगवान शिव का पूजन करें। पूजन के पश्चात यह चावल किसी ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें। शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमवस्या Somvati Amavasya पर शिवलिंग पर चावल चढ़ाकर उसका दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
शास्त्रों में वर्णित है कि सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन उगते हुए भगवान सूर्य नारायण को गायत्री मंत्र उच्चारण करते हुए अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होगी। यह क्रिया आपको अमोघ फल प्रदान करती है ।
सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन 108 बार तुलसी के पौधे की श्री हरि-श्री हरि अथवा ॐ नमो नारायण का जाप करते हुए परिक्रमा करें, इससे जीवन के सभी आर्थिक संकट निश्चय ही समाप्त हो जाते है।
जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, वह यदि गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें अवश्य ही मानसिक शांति प्राप्त होगी।
इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
इस दिन स्वास्थ्य, शिक्षा,कानूनी विवाद,आर्थिक परेशानियों और पति-पत्नी सम्बन्धी विवाद के समाधान हेतु किये गये उपाय अवश्य ही सफल होते है ।
इस दिन जो व्यक्ति धोबी,धोबन को भोजन कराता है,सम्मान करता है, दान दक्षिणा देता है, उसके बच्चो को कापी किताबे, फल, मिठाई,खिलौने आदि देता है उसके सभी मनोरथ अवश्य ही पूर्ण होते है ।
इस दिन ब्राह्मण, भांजा और ननद को फल, मिठाई या खाने की सामग्री का दान करना बहुत ही उत्तम फल प्रदान करता है।
Saturday, 2 September 2017
शराब छुड़ाने के अचूक टोटके, Sharab Chudane ke achuk Totke
शराब छुड़ाने के अचूक टोटके
Sharab Chudane ke achuk Totke
Sharab Chudane ke achuk Totke
शनिवार के दिन शाम के समय शराब की एक पूरी बोतल या आधी बोतल लेकर उस शराब में 800 ग्राम सरसों के तेल मिलाकर उसे किसी बड़ी बोतल मे भर कर उसे अच्छी तरह से बंद कर दें l फिर उसे शराबी व्यक्ति के उपर से 21 बार उतारकर चुपचाप बिना किसी से बोले किसी बहती हुई नदी, या नहर के किनारे उस बोतल को उलटी करके गाड़ दे l कुछ ही दिनों मे उस व्यक्ति की शराब छुट जायेगी l जब आपका कार्य पूरा हो जाये तब आप किसी भी हनुमान मंदिर में प्रशाद अवश्य ही चढ़ा दें ।
यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा शराब पीता है तो उसकी पत्नी मंगल या शनिवार को चरखा चलाए और मन ही मन में बजरंग बलि से अपने पति की शराब की आदत छुड़वाने की प्रार्थना करें ।।
यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा शराब पीता है और उसके घर वाले चाहते है कि उसकी शराब छूट जाये तो उसकी पत्नी बिलकुल चुपचाप अपने पैरों के बिछुए को पानी से धो ले फिर पति की शराब की बोतल में से थोड़ी सी शराब किसी शीशी में लेकर उसमें अपने बिच्छुए डाल दे, यह बात वह किसी को भी नहीं बताये। फिर एक दो दिन के बाद उस शराब से अपना बिछुआ निकाल कर उस शराब को दूसरी किसी शराब की बोतल में डाल दें। ऐसा पांच मंगलवार या शनिवार करने से पति शराब से तौबा करने लगेगा ।
एक अन्य उपाय भी आजमा सकते है । शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार को सुबह सवा मीटर काला कपड़ा तथा सवा मीटर नीला कपड़ा लेकर इन्हे एक-दूसरे के ऊपर रखकर इसके उपर 800 ग्राम कच्चे कोयले, 800 ग्राम काली साबूत उड़द, 800 ग्राम जौ एवं काले तिल, 8 बड़ी कीलें तथा 8 सिक्के रखकर उसकी एक पोटली बांध लें। फिर जिस व्यक्ति की शराब छुड़वाना है उसकी लंबाई से आठ गुना अधिक लम्बा काला धागा लेकर उसे एक जटा वाले नारियल पर लपेट दें ।
* इस नारियल के ऊपर काजल का तिलक लगाकर उसे धूप-दीप अर्पित करके उस व्यक्ति की शराब पीने की आदत छुड़ाने की प्रार्थना करें। उसके बाद यह सारी सामग्री किसी बहती हुई नदी में प्रवाहित कर दें। फिर उसे प्रणाम करके घर वापस आ जाएं पीछे मुड़कर बिलकुल भी न देखें। घर के अंदर प्रवेश करने से पहले अपने हाथ-पैर जरूर धो लें । उसके बाद शाम को किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर तिल के तेल का दीपक लगाएं। इसे आने वाले बुधवार व शनिवार को एक बार फिर से दोहराएं। यह उपाय बिलकुल चुपचाप करें इसके बारे में किसी को भी नहीं बताएं । कुछ ही समय में अवश्य ही शराब का आदि व्यक्ति शराब छोड़ देगा ।
जो व्यक्ति अधिक शराब पीता है तो उसके घर का कोई भी सदस्य सात बताशे लेकर उन बताशों में सरसों के तेल की तीन-चार बूंदे डालकर फिर उन बताशे को हाथ से मसलकर चुपचाप घर से बाहर कहीं दूर ले जाकर फेंक दें। ऐसा 11 दिन लगातार करने से शराबी की शराब पीने की लत अवश्य ही छूट जाती है ।
एक प्रचलित टोटका है ……………जंगली कौवे के पंख को पानी में हिलाकर शराबी को 7 दिन तक पंख वाला पानी पिलाने से बड़े से बड़ा शराबी भी शराब की लत को छोड़ देता है ।
हमें उम्मीद है कि उपरोक्त बताये हुए उपायों / टोटको से आपको अपनी या किसी भी व्यक्ति की शराब की आदत को छुड़वाने में निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होगी ।
यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा शराब पीता है तो उसकी पत्नी मंगल या शनिवार को चरखा चलाए और मन ही मन में बजरंग बलि से अपने पति की शराब की आदत छुड़वाने की प्रार्थना करें ।।
यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा शराब पीता है और उसके घर वाले चाहते है कि उसकी शराब छूट जाये तो उसकी पत्नी बिलकुल चुपचाप अपने पैरों के बिछुए को पानी से धो ले फिर पति की शराब की बोतल में से थोड़ी सी शराब किसी शीशी में लेकर उसमें अपने बिच्छुए डाल दे, यह बात वह किसी को भी नहीं बताये। फिर एक दो दिन के बाद उस शराब से अपना बिछुआ निकाल कर उस शराब को दूसरी किसी शराब की बोतल में डाल दें। ऐसा पांच मंगलवार या शनिवार करने से पति शराब से तौबा करने लगेगा ।
एक अन्य उपाय भी आजमा सकते है । शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार को सुबह सवा मीटर काला कपड़ा तथा सवा मीटर नीला कपड़ा लेकर इन्हे एक-दूसरे के ऊपर रखकर इसके उपर 800 ग्राम कच्चे कोयले, 800 ग्राम काली साबूत उड़द, 800 ग्राम जौ एवं काले तिल, 8 बड़ी कीलें तथा 8 सिक्के रखकर उसकी एक पोटली बांध लें। फिर जिस व्यक्ति की शराब छुड़वाना है उसकी लंबाई से आठ गुना अधिक लम्बा काला धागा लेकर उसे एक जटा वाले नारियल पर लपेट दें ।
* इस नारियल के ऊपर काजल का तिलक लगाकर उसे धूप-दीप अर्पित करके उस व्यक्ति की शराब पीने की आदत छुड़ाने की प्रार्थना करें। उसके बाद यह सारी सामग्री किसी बहती हुई नदी में प्रवाहित कर दें। फिर उसे प्रणाम करके घर वापस आ जाएं पीछे मुड़कर बिलकुल भी न देखें। घर के अंदर प्रवेश करने से पहले अपने हाथ-पैर जरूर धो लें । उसके बाद शाम को किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर तिल के तेल का दीपक लगाएं। इसे आने वाले बुधवार व शनिवार को एक बार फिर से दोहराएं। यह उपाय बिलकुल चुपचाप करें इसके बारे में किसी को भी नहीं बताएं । कुछ ही समय में अवश्य ही शराब का आदि व्यक्ति शराब छोड़ देगा ।
जो व्यक्ति अधिक शराब पीता है तो उसके घर का कोई भी सदस्य सात बताशे लेकर उन बताशों में सरसों के तेल की तीन-चार बूंदे डालकर फिर उन बताशे को हाथ से मसलकर चुपचाप घर से बाहर कहीं दूर ले जाकर फेंक दें। ऐसा 11 दिन लगातार करने से शराबी की शराब पीने की लत अवश्य ही छूट जाती है ।
एक प्रचलित टोटका है ……………जंगली कौवे के पंख को पानी में हिलाकर शराबी को 7 दिन तक पंख वाला पानी पिलाने से बड़े से बड़ा शराबी भी शराब की लत को छोड़ देता है ।
हमें उम्मीद है कि उपरोक्त बताये हुए उपायों / टोटको से आपको अपनी या किसी भी व्यक्ति की शराब की आदत को छुड़वाने में निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होगी ।
शराब छुड़ाने का एक और अचूक उपाय, Sharab se chutkara pane ke upay
शराब छुड़ाने का एक और अचूक उपाय
शराब की आदत छुड़ाने के लिए खजूर बहुत अधिक सहायता देता है। इसके लिए पानी में कुछ खजूर घिसें फिर दिन में दो - तीन बार इस मिश्रण का सेवन करें। इससे शीघ्र ही शराब की आदत छूट जायगी ।
गाजर के जूस से शराब पीने की इच्छा कम होती जाती है । दिन में एक गिलास गाजर का जूस अवश्य ही पीये यह शराब को छोड़ने में बहुत सहायक होता है इससे नेत्रों की रौशनी बढ़ती है और पाचन तंत्र में भी सुधार होता है।
एक और आजमाया हुआ उपाय है शिमला मिर्च (कैप्सिकम ) लेकर जूसर से उसका रस निकाल लीजिए । इस रस का सेवन दिन में दो बार आधा आधा कप भोजन के बाद करें । इस अचूक उपाय से शराब की तलब अपने आप घटने लगती है और फिर जल्द ही पूरी तरह से समाप्त हो जाती है ।
शराब पीने वाले लोगो के शरीर मे सल्फर (SULPHUR) की बहुत ज्यादा कमी हो जाती है उसके लिए किसी भी होम्योपैथिक की दुकान से SULPHUR 200 खरीद कर इसका प्रयोग करे ये बहुत ही आसानी से शराब की लत को छुडा देता है। इसकी एक बूंद सुबह खाली पेट जीभ पर दाल लीजिये फिर आधे घंटे तक कुछ भी नहीं खाएं । ऐसा लगातार 5-6 दिन तक करें । इसके बाद हफ्ते में 2-3 बार इसे लेते रहे, लगातार डेढ़ से दो महीने तक ऐसे ही लेते रहने से बड़े बड़े पियक्कड की भी शराब की लत छूट जाती है ।
तंबाकू, गुटका,बीड़ी, सिगरेट आदि नशा करने वालो के शरीर में फास्फोरस (PHOSPHORUS) तत्व की कमी हो जाती है उसके लिए PHOSPHORUS 200 का ऐसे ही प्रयोग करे।इसके प्रयोग से तंबाकू, गुटका,बीड़ी, सिगरेट आदि सभी नशे की आदत अवश्य ही छूट जाती है।
500 ग्राम देसी अजवाइन को पीसकर उसे 7 - 8 लीटर पानी में दो दिन के लिए भिगो दें। फिर उसे धीमी आंच पर इतना पकाएं कि वह पानी लगभग 2 लीटर रह जाए। इस पानी को ठंडा होने पर छान कर किसी साफ बोतल में भर दें। अब जब भी आपकी शराब पीने की इच्छा हो आप इसे 5 - 5 चम्मच पियें । इसके सेवन में कुछ ही दिनों में शराब पीने कि आदत ख़त्म हो जाती है ।
शराब से कैसे छुटकारा पाएं ( Sharab Se kaise chutkara payen ),
शराब का नशा ( sharab ka nasha ) बहुत ही घातक माना जाता है । एक अनुमान के अनुसार शराब के नशे के कारण हर साल लगभग 40 लाख से ज्यादा लोगों की जान जाती है । एड्स, टीबी और हिंसा के शिकार व्यक्तियों को मिलाकर देखा जाए, तो भी शराब की चपेट में आकर जान खोने वाले लोग कहीं ज्यादा हैं ।
विश्व भर में हर 18 मौतों में एक मौत शराब की वजह से ही होती है। सड़क दुर्घटनाओं में भी सबसे ज्यादा मौतें शराब के नशे में गाड़ी चलाने से ही होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार शराब की वजह से हर 10 सेकेंड पर एक व्यक्ति की मौत होती है। विश्व भर में मरने वाले लोगों में से करीब 6 प्रतिशत आल्कोहल की वजह से मरते है ।
वैज्ञानिको के अनुसार लगभग 200 से ज्यादा बीमारियाँ शराब के कारण ही होती हैं । शराब से आपको लिवर का कैंसर या लिवर सिरोसिस होने का खतरा भी किसी दूसरे के मुकाबले 10 गुना ज्यादा होता है । इसके अतिरिक्त निमोनिया, एड्स, टीबी और नपुंसक होने का खतरा भी शराब की वजह से बढ़ता है। शराब हमारी यादाश्त पर भी बुरा प्रभाव डालता है। शराब पीने से नेत्रों की ज्योति भी कमजोर होती है।
शराब स्त्रियों के लिए तो बहुत ही ज्यादा खतरनाक है । इससे उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। उनकी होने वाली संतानो पर इसका बहुत ही दुषप्रभाव पड़ता है। वह कमजोर, मानसिक रूप से दुर्बल और विकलांग तक पैदा हो सकती है । शराब की वजह से महिलाओं में कोलन (मलाशय) और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बहुत बढ़ जाता है।
शराब स्त्रियों के लिए तो बहुत ही ज्यादा खतरनाक है । इससे उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। उनकी होने वाली संतानो पर इसका बहुत ही दुषप्रभाव पड़ता है। वह कमजोर, मानसिक रूप से दुर्बल और विकलांग तक पैदा हो सकती है । शराब की वजह से महिलाओं में कोलन (मलाशय) और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बहुत बढ़ जाता है।
इसके अतिरिक्त शराब की वजह से तमाम बुराइयों को भी बढ़ावा मिलता है क्योंकि शराब पीने के बाद व्यक्ति को किसी भी चीज़ का होश नहीं रहता है । वह सही और गलत का फैसला नहीं कर पाता है ।
शराब के नशे की वजह से घरेलू हिंसा, बलात्कार, मारपीट और आत्महत्या जैसे मामले बहुत ज्यादा बढ़ जाते है । जो लोग सक्षम नहीं है उनकी इस आदत की वजह से परिवार को बहुत ज्यादा आर्थिक दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है । उसके पत्नी बच्चो और परिवार के अन्य सदस्यों की बहुत सी आवश्यकतायें भी पूरी नहीं हो पाती है। इसलिए आल्कोहल के इस बुरे असर से आम लोगों को बचाने की बहुत ही जरूरत है।
हम यहाँ पर आपको कुछ ऐसे शराब छुड़ाने के आसान उपाय / शराब छुड़ाने के टोटके ( Sharab Chudane ke totke ) बता रहे है जिससे निश्चय ही किसी भी व्यक्ति की शराब की आदत छूट जाएगी ।
जो लोग शराब छोड़ना चाहते है उन्हें सुबह शाम सेब का रस पीना चाहिए और भोजन के साथ सेब का सेवन करने से भी शराब कि आदत छुट जाती है !
इसके अतिरिक्त यदि उबले हुए सेबों को दिन में तीन बार खिलाया जाए, तो भी कुछ ही दिनों में शराब पीने की आदत से छुटकारा मिल जाता है!
शराब के नशे की वजह से घरेलू हिंसा, बलात्कार, मारपीट और आत्महत्या जैसे मामले बहुत ज्यादा बढ़ जाते है । जो लोग सक्षम नहीं है उनकी इस आदत की वजह से परिवार को बहुत ज्यादा आर्थिक दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है । उसके पत्नी बच्चो और परिवार के अन्य सदस्यों की बहुत सी आवश्यकतायें भी पूरी नहीं हो पाती है। इसलिए आल्कोहल के इस बुरे असर से आम लोगों को बचाने की बहुत ही जरूरत है।
हम यहाँ पर आपको कुछ ऐसे शराब छुड़ाने के आसान उपाय / शराब छुड़ाने के टोटके ( Sharab Chudane ke totke ) बता रहे है जिससे निश्चय ही किसी भी व्यक्ति की शराब की आदत छूट जाएगी ।
जो लोग शराब छोड़ना चाहते है उन्हें सुबह शाम सेब का रस पीना चाहिए और भोजन के साथ सेब का सेवन करने से भी शराब कि आदत छुट जाती है !
इसके अतिरिक्त यदि उबले हुए सेबों को दिन में तीन बार खिलाया जाए, तो भी कुछ ही दिनों में शराब पीने की आदत से छुटकारा मिल जाता है!
होम्योपैथिक दवा SPIRTAS GLANDIUM QUERCUS शराब छुड़ाने में बड़ी कारगर सिद्द होती है । यह होम्योपैथिक दवा एक लीटर में बारह बूंद मिला कर रख लें, इस शराब सेवन करने से शराबी अरुचि सी होने लगेगी और वह दो तीन महीने में खुद ही शराब पीना बंद कर देंगे।
यह ध्यान दें की जब इस दवा के बाद शराबी की आदत छूट जाती है तो उसे दो माह तक सुबह शाम दो-दो चम्मच गुलकन्द अवश्य खिलाएं हैं और इसके पंद्रह बीस मिनट बा्द दो चम्मच अश्वगंधारिष्ट पानी के साथ दें । इससे खोया स्वास्थ्य वापस आ जाता है, कमजोरी दूर होती है ।
यह ध्यान दें की जब इस दवा के बाद शराबी की आदत छूट जाती है तो उसे दो माह तक सुबह शाम दो-दो चम्मच गुलकन्द अवश्य खिलाएं हैं और इसके पंद्रह बीस मिनट बा्द दो चम्मच अश्वगंधारिष्ट पानी के साथ दें । इससे खोया स्वास्थ्य वापस आ जाता है, कमजोरी दूर होती है ।
नींबू में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है।निम्बू हमारे शरीर में नेचुरल तरीके से डिटॉक्स करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने का काम है। नशे की आदत से छुटकारा पाने के लिए नित्य सुबह 3 से 4 ताजे नींबू का रस निकालकर गुनगुने पानी में मिलाकर खाली पेट सेवन करें।
इसके सेवन से शरीर के विषाक्त पदार्थ, अतिरिक्त चर्बी प्रभावी रूप से दूर होती हैं, एवं नशा करने की तलब भी नहीं होती है।
इसके सेवन से शरीर के विषाक्त पदार्थ, अतिरिक्त चर्बी प्रभावी रूप से दूर होती हैं, एवं नशा करने की तलब भी नहीं होती है।
पथरी से छुटकारा pathri se chutkara
पथरी ( Pathri ) होने पर एपल साइडर विनिगर ( सेब का सिरका ) का प्रयोग करें | इससे खुलकर पेशाब होता है और यह बहुत ही जल्दी पथरी को गला कर ( pathri ko gala kar ) बाहर निकाल देता है|
दो बड़े चम्मच एपल साइडर विनिगर , एक छोटी चम्मच शहद को एक कप गर्म पानी में मिलाकर दिन में दो तीन बार ले | इससे 15 से 20 दिनों में ही पथरी से छुटकारा ( pathri se chutkara ) मिल जाता है |
नारियल का पानी पीने से पथरी ( pathri ) में फायदा होता है। पथरी होने पर नारियल का प्रतिदिन पानी पीना चाहिए।
करेला वैसे तो बहुत कड़वा होता है परन्तु पथरी में रामबाण ( pathri me ramban ) की तरह काम करता है। करेले में मैग्नीशियम और फॉस्फोरस नामक तत्व होते हैं, जो पथरी को बनने से रोकते हैं।
पथरी होने पर दो छोटे चम्मच करेले के रस को सुबह शाम 8-10 दिन पियें इससे महीन महीन कणो में पथरी ( pathri ) टूटकर पेशाब के द्वारा बाहर निकल जाती है |
पथरी होने पर अजवाइन का अधिक से अधिक प्रयोग करें | अजवाइन के सेवन से दोहरा लाभ मिलता है, इससे पेशाब अधिक आता है और अजवाइन पथरी के कारणों को समाप्त करती है अर्थात इसके सेवन से पथरी दोबारा नहीं बनती है | प्रतिदिन प्रात: एक चम्मच अजवाइन को गर्म पानी के साथ लें | इससे एक माह में ही पथरी से छुटकारा ( pathri se chutkara ) मिलता है |
15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।
अंगूर में एल्ब्यूमिन और सोडियम क्लोराइड बहुत ही कम मात्रा में होता हैं, इसलिए किडनी में स्टोन के उपचार के लिए अंगूर को बहुत ही उत्तम माना जाता है। चूँकि इनमें पोटेशियम नमक और पानी भरपूर मात्रा में होते है इसलिए अंगूर प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में भी उत्कृष्ट रूप में कार्य करता है।
पका हुआ जामुन पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
किडनी में स्टोन को निकालने में बथुए का साग भी बहुत ही कारगर होता है। इसके लिए आप आधा किलो बथुए के साग को उबाल कर छान लें। अब इस पानी में जरा सी काली मिर्च, जीरा और हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर, दिन में चार बार पीने से शीघ्र ही फायदा होता है।
आंवला पथरी में बहुत फायदा करता है। नित्य प्रातः अवाले का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।
प्याज में गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसका प्रयोग से हम किडनी में स्टोन से निजात पा सकते है। लगभग 70 ग्राम प्याज को पीसकर और उसका रस निकाल कर पियें। सुबह, शाम खाली पेट प्याज के रस का नियमित सेवन करने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है।
पथरी ( pathri ) में पथरचट्टा के पत्ते अत्यंत लाभदायक है | पथरी होने पर सुबह शाम 4-5 पथरचट्टे के पत्तो को साफ करके चबा चबा कर खाएं एवं इनका रस निकाल कर पियें | इससे किसी भी तरह की पथरी गल कर निकल जाती है |
पथरी ( pathri ) में पथरचट्टा के पत्ते अत्यंत लाभदायक है | पथरी होने पर सुबह शाम 4-5 पथरचट्टे के पत्तो को साफ करके चबा चबा कर खाएं एवं इनका रस निकाल कर पियें | इससे किसी भी तरह की पथरी गल कर निकल जाती है |
दो बड़े चम्मच एपल साइडर विनिगर , एक छोटी चम्मच शहद को एक कप गर्म पानी में मिलाकर दिन में दो तीन बार ले | इससे 15 से 20 दिनों में ही पथरी से छुटकारा ( pathri se chutkara ) मिल जाता है |
नारियल का पानी पीने से पथरी ( pathri ) में फायदा होता है। पथरी होने पर नारियल का प्रतिदिन पानी पीना चाहिए।
करेला वैसे तो बहुत कड़वा होता है परन्तु पथरी में रामबाण ( pathri me ramban ) की तरह काम करता है। करेले में मैग्नीशियम और फॉस्फोरस नामक तत्व होते हैं, जो पथरी को बनने से रोकते हैं।
पथरी होने पर दो छोटे चम्मच करेले के रस को सुबह शाम 8-10 दिन पियें इससे महीन महीन कणो में पथरी ( pathri ) टूटकर पेशाब के द्वारा बाहर निकल जाती है |
पथरी होने पर अजवाइन का अधिक से अधिक प्रयोग करें | अजवाइन के सेवन से दोहरा लाभ मिलता है, इससे पेशाब अधिक आता है और अजवाइन पथरी के कारणों को समाप्त करती है अर्थात इसके सेवन से पथरी दोबारा नहीं बनती है | प्रतिदिन प्रात: एक चम्मच अजवाइन को गर्म पानी के साथ लें | इससे एक माह में ही पथरी से छुटकारा ( pathri se chutkara ) मिलता है |
15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।
अंगूर में एल्ब्यूमिन और सोडियम क्लोराइड बहुत ही कम मात्रा में होता हैं, इसलिए किडनी में स्टोन के उपचार के लिए अंगूर को बहुत ही उत्तम माना जाता है। चूँकि इनमें पोटेशियम नमक और पानी भरपूर मात्रा में होते है इसलिए अंगूर प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में भी उत्कृष्ट रूप में कार्य करता है।
पका हुआ जामुन पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
किडनी में स्टोन को निकालने में बथुए का साग भी बहुत ही कारगर होता है। इसके लिए आप आधा किलो बथुए के साग को उबाल कर छान लें। अब इस पानी में जरा सी काली मिर्च, जीरा और हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर, दिन में चार बार पीने से शीघ्र ही फायदा होता है।
आंवला पथरी में बहुत फायदा करता है। नित्य प्रातः अवाले का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।
प्याज में गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसका प्रयोग से हम किडनी में स्टोन से निजात पा सकते है। लगभग 70 ग्राम प्याज को पीसकर और उसका रस निकाल कर पियें। सुबह, शाम खाली पेट प्याज के रस का नियमित सेवन करने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है।
पथरी ( pathri ) में पथरचट्टा के पत्ते अत्यंत लाभदायक है | पथरी होने पर सुबह शाम 4-5 पथरचट्टे के पत्तो को साफ करके चबा चबा कर खाएं एवं इनका रस निकाल कर पियें | इससे किसी भी तरह की पथरी गल कर निकल जाती है |
पथरी ( pathri ) में पथरचट्टा के पत्ते अत्यंत लाभदायक है | पथरी होने पर सुबह शाम 4-5 पथरचट्टे के पत्तो को साफ करके चबा चबा कर खाएं एवं इनका रस निकाल कर पियें | इससे किसी भी तरह की पथरी गल कर निकल जाती है |
पथरी के देसी नुस्खे
पथरी के देसी नुस्खे
वर्तमान समय में पथरी की समस्या ( pathri Ki Samasya ) बहुत ही विकराल होती जा रही है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषो में पथरी ( pathri ) की परेशानी ज्यादा होती है ।
आयुर्वेद में किडनी में स्टोन ( Kidney me Stone ) के इलाज में कुलथी को बहुत लाभदायक माना गया है। गुर्दे की पथरी ( gurde ki pathri ) और गॉल ब्लैडर की पथरी ( Gall bladder ki pathri ) पित्ताशय की पथरी ( Pittashay ki pathri ) लिए कुल्थी अत्यंत फायदेमंद औषधि है।
कुलथी उड़द के समान होती है। यह देखने में लाल रंग की होती है, इसका सूप या इसकी दाल बना कर पथरी के रोगी को दी जाती है। कुल्थी में पथरी एवं शर्करानाशक गुण होते है। कुल्थी ना केवल वात एवं कफ का शमन करती है वरन उनको शरीर में संचय भी नहीं होने देती है। कुल्थी के नित्य सेवन से पथरी गल कर निकल जाती है ।
आयुर्वेद में कुल्थी को पथरीनाशक बताया गया है। कुलथी में विटामिन ए होता है, यह शरीर में विटामिन ए की पूर्ति करके पथरी को रोकने में मदद करती है । और यह पथरी बनने की कारण को भी समाप्त करती है, जिससे पथरी दोबारा नहीं बनती है। कुल्थी के सेवन से पथरी छोटे छोटे टुकड़ो में टूट जाती है , कुल्थी मूत्र की मात्रा और वेग बढ़ाती है जिससे पथरी पेशाब के द्वारा शरीर से आसानी से बाहर चली जाती है । इसके सेवन से मोटापा भी दूर होता है।
250 ग्राम कुल्थी को अच्छी तरह से साफ कर लें, इसमें किसी भी तरह का कंकड़-पत्थर निकाल लें। फिर इसे रात में लगभग तीन लीटर पानी में भिगो कर ढक कर रख दें। प्रात: भीगी हुई कुल्थी को उसी पानी में धीमी आग पर चार घंटे तक पकाते रहे। फिर जब यह तीन लीटर की जगह एक लीटर पानी ही रह जाए तब इसे पकाना बंद कर दें। इसके पश्चात चालीस -पचास ग्राम देशी घी में सेंधा नमक, काली मिर्च, हल्दी, जीरा आदि डाल कर इसका छौंक लगाए। अब पथरी की रामबाण दवा तैयार है।
आप इस सूप को दिन में दोपहर के भोजन के स्थान पर पी जाएं ( इसका सूप काले चनों के सूप की तरह ही लगता है।) या कम से कम 250 ग्राम पानी अवश्य पिएं। अगर 250 ग्राम पियें तो इसे दिन में दो बार पियें ।
इसके नियमित सेवन से दो सप्ताह में ही बिना ऑपरेशन के गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गल कर बाहर निकल जाती है, और दोबारा कभी नहीं बनती है।
यदि दोपहर का भोजन आवश्यक लगे तो इस सूप के साथ एक रोटी लें , या मुंग की दाल के साथ इस सूप के एक घंटे बाद खाना खा सकते है।
कुल्थी की दाल को अन्य दालो की तरह ही पका कर प्रतिदिन रोटी के साथ खाने से भी पेशाब के रास्ते से पथरी टूट कर निकल जाती है।
वर्तमान समय में पथरी की समस्या ( pathri Ki Samasya ) बहुत ही विकराल होती जा रही है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषो में पथरी ( pathri ) की परेशानी ज्यादा होती है ।
आयुर्वेद में किडनी में स्टोन ( Kidney me Stone ) के इलाज में कुलथी को बहुत लाभदायक माना गया है। गुर्दे की पथरी ( gurde ki pathri ) और गॉल ब्लैडर की पथरी ( Gall bladder ki pathri ) पित्ताशय की पथरी ( Pittashay ki pathri ) लिए कुल्थी अत्यंत फायदेमंद औषधि है।
कुलथी उड़द के समान होती है। यह देखने में लाल रंग की होती है, इसका सूप या इसकी दाल बना कर पथरी के रोगी को दी जाती है। कुल्थी में पथरी एवं शर्करानाशक गुण होते है। कुल्थी ना केवल वात एवं कफ का शमन करती है वरन उनको शरीर में संचय भी नहीं होने देती है। कुल्थी के नित्य सेवन से पथरी गल कर निकल जाती है ।
आयुर्वेद में कुल्थी को पथरीनाशक बताया गया है। कुलथी में विटामिन ए होता है, यह शरीर में विटामिन ए की पूर्ति करके पथरी को रोकने में मदद करती है । और यह पथरी बनने की कारण को भी समाप्त करती है, जिससे पथरी दोबारा नहीं बनती है। कुल्थी के सेवन से पथरी छोटे छोटे टुकड़ो में टूट जाती है , कुल्थी मूत्र की मात्रा और वेग बढ़ाती है जिससे पथरी पेशाब के द्वारा शरीर से आसानी से बाहर चली जाती है । इसके सेवन से मोटापा भी दूर होता है।
250 ग्राम कुल्थी को अच्छी तरह से साफ कर लें, इसमें किसी भी तरह का कंकड़-पत्थर निकाल लें। फिर इसे रात में लगभग तीन लीटर पानी में भिगो कर ढक कर रख दें। प्रात: भीगी हुई कुल्थी को उसी पानी में धीमी आग पर चार घंटे तक पकाते रहे। फिर जब यह तीन लीटर की जगह एक लीटर पानी ही रह जाए तब इसे पकाना बंद कर दें। इसके पश्चात चालीस -पचास ग्राम देशी घी में सेंधा नमक, काली मिर्च, हल्दी, जीरा आदि डाल कर इसका छौंक लगाए। अब पथरी की रामबाण दवा तैयार है।
आप इस सूप को दिन में दोपहर के भोजन के स्थान पर पी जाएं ( इसका सूप काले चनों के सूप की तरह ही लगता है।) या कम से कम 250 ग्राम पानी अवश्य पिएं। अगर 250 ग्राम पियें तो इसे दिन में दो बार पियें ।
इसके नियमित सेवन से दो सप्ताह में ही बिना ऑपरेशन के गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गल कर बाहर निकल जाती है, और दोबारा कभी नहीं बनती है।
यदि दोपहर का भोजन आवश्यक लगे तो इस सूप के साथ एक रोटी लें , या मुंग की दाल के साथ इस सूप के एक घंटे बाद खाना खा सकते है।
कुल्थी की दाल को अन्य दालो की तरह ही पका कर प्रतिदिन रोटी के साथ खाने से भी पेशाब के रास्ते से पथरी टूट कर निकल जाती है।
पथरी का इलाज !
1.
पथरी के लिए एक बहुत ही आजमाया हुआ उपाय है जो पुराने समय से चला आ रहा है |
नित्य प्रात: दो चम्मच प्याज के रस को पिसी मिश्री के साथ मिलाकर पीने से केवल 20-25 दिन में ही पथरी गल कर निकल जाती है|
नित्य प्रात: दो चम्मच प्याज के रस को पिसी मिश्री के साथ मिलाकर पीने से केवल 20-25 दिन में ही पथरी गल कर निकल जाती है|
2.
स्नेहा ही पथरी में सहजन बहुत उपयोगी है |
आप पथरी में 25 ग्राम सहजन की जड़ की छाल को लगभग 250 ग्राम पानी में उबालें फिर छान लें । फिर इसे थोड़ा गर्म रहने पर ही अपनी माता जी को पिलायें । इसको पीने से कैसी भी पथरी हो, वह कट के गल के 20-25 दिनों में ही निकल जाती है ।
आप पथरी में 25 ग्राम सहजन की जड़ की छाल को लगभग 250 ग्राम पानी में उबालें फिर छान लें । फिर इसे थोड़ा गर्म रहने पर ही अपनी माता जी को पिलायें । इसको पीने से कैसी भी पथरी हो, वह कट के गल के 20-25 दिनों में ही निकल जाती है ।
3.
एक पानी से भरा गिलास में दो चम्मच मेथी दाना डाल कर उसे रात में भिगो दें। सुबह इस पानी को छानकर खाली पेट पी जाएं और उन मेथी के दानो को चबा चबा कर खा लें | रात भर पानी में मेथी भिगोने से पानी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट गुण बढ जाते हैं।
इसका एक महीने तक नित्य सेवन करने से शरीर की पथरी गल कर निकल जाती है और पथरी होने के कारणों पर प्रहार होता है अर्थात भविष्य में पथरी बनने नहीं पाती है |
इसका एक महीने तक नित्य सेवन करने से शरीर की पथरी गल कर निकल जाती है और पथरी होने के कारणों पर प्रहार होता है अर्थात भविष्य में पथरी बनने नहीं पाती है |
4. 6 ग्राम पपीते की जड़ पीस कर इसे 50 ग्राम पानी में अच्छी तरह से घोल कर साफ़ कपडे से छान ले और पथरी के मरीज़ को पीला दे।
इस घोल को लगातार 21 दिन तक रोगी को पिलाने से पथरी गल कर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है।
admin memorymuseum.net
5.
पथरी के मरीज़ो के लिए तरबूज़ की गिरी ( मिंगी ) रामबाण का काम करती है । तरबूज के बीजों का छिलका निकालकर सुबह सुबह उसकी 15 ग्राम गिरी को सिलबट्टे पर थोड़े से पानी के साथ अच्छी तरह से पीस / घोट लें फिर इसमें आधा लीटर पानी मिलाकर थोड़ी सी पिसी हुई मिश्री भी मिलाएं जिससे इसका स्वाद मीठा हो जाये फिर खाली पेट ही इसे धीरे धीरे पी लें ।
इस उपाय को सुबह शाम दोनों समय लगभग 11 दिन करें । इससे गुर्दे और मूत्राशय की पथरी आसानी से गल कर निकल जाती है , ह्रदय को बल मिलता है , ह्रदय के रोगों में भी लाभ मिलता है । यह बहुत ही आसान, परीक्षित, और बहुत कम खर्चे का इलाज है ।
इस उपाय को सुबह शाम दोनों समय लगभग 11 दिन करें । इससे गुर्दे और मूत्राशय की पथरी आसानी से गल कर निकल जाती है , ह्रदय को बल मिलता है , ह्रदय के रोगों में भी लाभ मिलता है । यह बहुत ही आसान, परीक्षित, और बहुत कम खर्चे का इलाज है ।
6.
लगातार 15 दिन तक दिन में दो बार 100 ग्राम चुकंदर का जूस और 100 गाजर का जूस ( एक बार में 200 ग्राम ) बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से गाल ब्लाडर और किडनी दोनों ही जगह की पथरी नष्ट हो जाती है ।
इसको लेने के बाद एक घंटे तक कुछ भी ना लेंवे ।
इसको लेने के बाद एक घंटे तक कुछ भी ना लेंवे ।
7.
गॉल ब्लैडर अर्थात पित्त की थैली में पथरी को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट पचास मिली लीटर नींबू का रस पिएं इससे 10 से 12 दिन में ही आराम मिलता है,गॉल ब्लैडर की पथरी गलने लगती है ।
8.
कई लोगो को पथरी का ऑपरेशन कराने के बाद भी पथरी हो जाती है, या आपको पथरी नहीं है और आप चाहते है कि आपको कभी ना हो तो आप होमियोपेथी दवा है CHINA 1000 की दो-दो बूंद सीधे जीभ पर एक ही दिन 3 बार सुबह-दोपहर-शाम डाल दीजिए |
यह दवा इतनी कारगर है की फिर जीवन मे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा।
यह दवा इतनी कारगर है की फिर जीवन मे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा।
9.
पथरी की होमियोपेथी मे एक अचूक दवा है, उसका नाम हे BERBERIS VULGARIS ये MOTHER TINCHER है । यह दवा होमियोपेथी की दुकान से ले आएं, इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई कप गनगुने पानी मे मिलाकर सुबह,दोपहर,शाम और रात अर्थात दिन में 4 बार लें । इसको लगातार डेढ़ महीने तक लेना है ,दो महीने भी लग जाते है |
इससे कही भी स्टोन हो चने हो गोलब्लेडर मे हो या फिर किडनी मे हो, या फिर मुत्रपिंड मे , यह दवा सभी स्टोन को पिघलाकर निकाल देती है ।
आप दो महीने बाद चैक करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कि पथरी पूर्णतया ख़त्म हो गयी है अथवा उसका कुछ अंश बचा भी है। यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है | यही दवा से पित की पथरी gallbladder stones भी ठीक कर देती है ।
इससे कही भी स्टोन हो चने हो गोलब्लेडर मे हो या फिर किडनी मे हो, या फिर मुत्रपिंड मे , यह दवा सभी स्टोन को पिघलाकर निकाल देती है ।
आप दो महीने बाद चैक करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कि पथरी पूर्णतया ख़त्म हो गयी है अथवा उसका कुछ अंश बचा भी है। यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है | यही दवा से पित की पथरी gallbladder stones भी ठीक कर देती है ।
10.
गलबलेडर की पथरी का अचूक उपाय :-
गलबलेडर अर्थात पित्त की पथरी में नित्य पाँच दिन तक दिन में चार गिलास सेब का ताजा निकाला हुआ जूस पियें और 5, 6 सेब भी खाएं । छठवें दिन रात में भोजन ना करें वरन शाम को एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच सेंधा नमक लें , उसके दो घंटे बाद पुन: एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच सेंधा नमक लें , उसके और दो घंटे बाद रात को सोने से पहले आधा कप जैतून या तिल के तेल का आधे कप नींबू के रस में अच्छी तरह से मिला कर सेवन करें , पथरी अवश्य ही निकल जाएगी , प्रात: शौच में आपको हरे रंग की पथरी नज़र आ जाएगी ।
गलबलेडर अर्थात पित्त की पथरी में नित्य पाँच दिन तक दिन में चार गिलास सेब का ताजा निकाला हुआ जूस पियें और 5, 6 सेब भी खाएं । छठवें दिन रात में भोजन ना करें वरन शाम को एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच सेंधा नमक लें , उसके दो घंटे बाद पुन: एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच सेंधा नमक लें , उसके और दो घंटे बाद रात को सोने से पहले आधा कप जैतून या तिल के तेल का आधे कप नींबू के रस में अच्छी तरह से मिला कर सेवन करें , पथरी अवश्य ही निकल जाएगी , प्रात: शौच में आपको हरे रंग की पथरी नज़र आ जाएगी ।
11.
पथरी का होमियोपेथी इलाज !
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होमियोपेथी मे किसी भी होमियोपेथी के दुकान पर BERBERIS VULGARIS की देव का MOTHER TINCHER ! लेना है ये उसकी पोटेंसी हे|
अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुनगुने पानी मे मिलाकर दिन मे कम से कम तीन बार और अधिक से अधिक चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है । इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेते रहने से जितनी भी कही भी हो गोलब्लेडर ( gall bladder ) ,किडनी या फिर मुत्रपिंड मे हो यह दवा उन सभी पथरी को गलाकर निकल देती है ।
99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी हो सकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े। तो आप दो महीने बाद सोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रह गया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए । यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है |
पथरी दोबारा भविष्य मे ना बने उसके लिए एक और होमियोपेथी दवा CHINA 1000 का उपयोग करें । इस दवा की एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंद सीधे जीभ पर डाल दीजिए । सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्य कभी भी पथरी की शिकायत नहीं होगी ।
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होमियोपेथी मे किसी भी होमियोपेथी के दुकान पर BERBERIS VULGARIS की देव का MOTHER TINCHER ! लेना है ये उसकी पोटेंसी हे|
अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुनगुने पानी मे मिलाकर दिन मे कम से कम तीन बार और अधिक से अधिक चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है । इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेते रहने से जितनी भी कही भी हो गोलब्लेडर ( gall bladder ) ,किडनी या फिर मुत्रपिंड मे हो यह दवा उन सभी पथरी को गलाकर निकल देती है ।
99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी हो सकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े। तो आप दो महीने बाद सोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रह गया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए । यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है |
पथरी दोबारा भविष्य मे ना बने उसके लिए एक और होमियोपेथी दवा CHINA 1000 का उपयोग करें । इस दवा की एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंद सीधे जीभ पर डाल दीजिए । सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्य कभी भी पथरी की शिकायत नहीं होगी ।
12.
गुर्दे में पथरी होने पर 15 दिन तक लगातार 5 - 6 ग्राम कच्चा पपीता और इतना ही गुड लेकर उसमें 4 बूंद कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह शाम खाली पेट लें , इस दौरान पालक, टमाटर आदि का सेवन ना करें । 15 दिन के बाद पथरी चैक कराएं , पूरी सम्भावना है कि पथरी निकल चुकी होगी ।
13.
सदैव भोजन भोजन के बाद पेशाब करने की आदत डालें। इससे पथरी का डर बिलकुल भी नहीं रहता है।
राशिनुसार वृक्षों / पौधो की सेवा
हर व्यक्ति चाहता है कि उसे जीवन में हर सुख मिले, उसकी कार्यों की सर्वत्र सराहना हो उसे हर क्षेत्र में सफलता मिले, इसके लिए वह हर जतन भी करता है । लेकिन क्या आप जानते है कि वृक्ष भी आपके मित्र आपके मददगार हो सकते है। जी हाँ यह बिलकुल सत्य है । हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार वृक्षों में शक्तियाँ विधमान होती है जो उनकी पूजा / सेवा करने वालो की मदद भी करती है । | |
शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को जीवन में वृक्ष अवश्य ही लगाने चाहिए । वृक्षों को लगाने एवं उनकी सेवा करने से उन वृक्षों में रहने वाली शुभ शक्तियाँ हमारी मित्र हमारी मददगार बन जाती है । | |
ज्योतिष के अनुसार सभी राशियों के लिए अलग-अलग वृक्ष बताए गए हैं। इन वृक्षों की विधि-विधान से पूजा करने पर कुंडली में स्थित सभी नौ ग्रहों के दोष सहज ही दूर होते हैं। यदि कोई व्यक्ति इनकी विधिवत पूजा नहीं कर पाता हो तो वह प्रतिदिन केवल एक लोटा जल अपनी राशि से संबंधित वृक्ष में चढ़ाएं। ऐसा करने पर भी जातक को सकारात्मक फल प्राप्त होते है। इन वृक्षों / पौधों की सेवा करने के शुभ प्रभाव से व्यक्ति सदैव निरोगी, सुखी और समृद्धिशाली रहता है।ध्यान रहे कि जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए। | |
अपनी राशि अनुसार यहाँ पर बताये गए वृक्षों / पौधों को नित्य प्रात: एक लोटा जल अर्पित करें :- | |
1.मेष एवं वृश्चिक राशि :- मेष एवं वृश्चिक राशि के जातक अपनी राशि के स्वामी मंगल ग्रह के लिए 'खैर' के वृक्ष पर नित्य एक लोटा जल अर्पित करें मंगलवार के दिन लाल कपडे में खैर की जड़ या चन्दन की लकड़ी को लाकर अपनी तिजोरी में रखे । | |
2.वृषभ एवं तुला राशि :- वृषभ एवं तुला राशि के जातक अपनी राशि के स्वामी शुक्र ग्रह के लिए 'गूलर' के वृक्ष पर नित्य एक लोटा जल अर्पित करें । इस राशि के जातक शुक्रवार के दिन गूलर के पेड़ की जड़ या पलाश के फूलो को सफ़ेद कपडे में लपेटकर अपने घर/करोबार की तिजोरी में रखे । | |
3.मिथुन एवं कन्या राशि :-मिथुन एवं कन्या राशि के जातक अपनी राशि के स्वामी बुध ग्रह के लिए 'अपामार्ग' के वृक्ष पर नित्य एक लोटा जल अर्पित करें । इस राशि के जातक बुधवार के दिन अपामार्ग के पेड़ की जड़ या लकड़ी को अपनी तिजोरी में रखे । | |
4.कर्क राशि : कर्क राशि के जातक 'पलाश' के वृक्ष पर नित्य एक लोटा जल अर्पित करें एवं पलाश के फूलो को अपनी तिजोरी में रखे । धन का आभाव नहीं रहेगा । | |
5.सिंह राशि :-सिंह राशि के जातक 'आंकड़े के पौधे' पर नित्य एक लोटा जल अर्पित करें । इस राशि के जातक रविवार को आंकड़े के फूलो को अपनी तिजोरी में रखे, भाग्य साथ देने लगेगा । | |
6.धनु एवं मीन राशि :-धनु एवं मीन राशि के जातक 'पीपल' के वृक्ष पर नित्य (रविवार को छोड़ कर ) एक लोटा जल अर्पित करें । इस राशि के जातक गुरुवार के दिन पीपल या पीले चन्दन की लकड़ी को अपने धन स्थान में रखे धन का कभी भी अभाव नहीं रहेगा । | |
7.मकर एवं कुंभ राशि :- मकर एवं कुंभ राशि के जातक अपनी राशि के स्वामी शनि ग्रह के लिए 'शमी' के वृक्ष पर नित्य एक लोटा जल अर्पित करें । इस राशि के जातक काले कपडे में शमी के पेड़ की जड़ को अपनी तिजोरी में रखे, कार्यो से अवरोध दूर होने लगेंगे । | |
इन्हीं पेड़ों की लकड़ियों से संबंधित राशियों के ग्रहों की शांति हेतु हवन भी करना श्रेष्ठ होता है । हमारे पूर्वजो ने पेड़ों की रक्षा के लिए पेड़ों में जल चढ़ाने की परंपरा बनाई थी ताकि धर्म के कारण लोग पेड़ों पर जल अर्पित करके उनकी सेवा और रक्षा करते रहे। इन पेड़ों की पूजा, इन्हे जल अर्पित करने से हमारी कई समस्याएं तो दूर होती ही हैं यह हरियाली के लिए भी फायदेमंद है। अत: हर मनुष्य को अपनी राशिनुसार वृक्षों की सेवा अवश्य ही करनी चाहिए । |
Friday, 1 September 2017
मुकदमें में विजय पाने के कुछ खास उपाय / टोटके
जब भी आप अदालत में जाएँ तो किसी भी हनुमान मंदिर में धूप अगरबत्ती जलाकर, लड्डू या गुड चने का भोग लगाकर एक बार हनुमान चालीसा और बजरंग बान का पाठ करके संकटमोचन बजरंग बलि से अपने मुकदमे में सफलता की प्रार्थना करें .........आपको निसंदेह सफलता प्राप्त होगी
आप जब भी अदालत जाएँ तो गहरे रंग के कपड़े ही पहन कर जाएँ ।
अपने अधिवक्ता को उसके काम की कोई भी वास्तु जैसे कलम उपहार में अवश्य ही प्रदान करें ।
अपने कोर्ट के केस की फाइलें घर में बने मंदिर धार्मिक स्थान में रखकर ईश्वर से अपनी सफलता, अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करें ।
यदि ग्यारह हकीक पत्थर लेकर किसी मंदिर में चदा दें और कहें की मैं अमुक कार्य में विजय होना चाहता हूँ तो निश्चय ही उस कार्य में विजय प्राप्त होती है ।
यदि आप पर कोई मुसीबत आन पड़ी हो कोई रास्ता न सूझ रहा हो या आप कोर्ट कचहरी के मामलों में फँस गए हों, आपका धैर्य जबाब देने लगा हो, जीवन केवल संघर्ष ही रह गया हो, अक्सर हर जगह अपमानित ही महसूस करते हों, तो आपको सात मुखी, पंचमुखी अथवा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहियें ।
मुकदमे में विजय हेतु कोर्ट कचहरी में जाने से पहले ५ गोमती चक्र को अपनी जेब में रखकर , जो स्वर चल रहा हो वह पाँव पहले कोर्ट में रखे अगर स्वर ना समझ आ रहा हो तो दाहिना पैर पहले रखे , मुकदमे में निर्णय आपके पक्ष में होने की संभावना प्रबल होगी ।
जब आप पहली बार मुकदमें से वापिस आ रहे तो रास्ते में किसी भी मजार में गुलाब का पुष्प अर्पित करते हुए ही अपने निवास पर आएँ ।
यदि किसी व्यक्ति का कोर्ट कचहरी में कोई मुकदमा चल रहा हो और उसमें उसको दण्ड मिलने की / हारने की सम्भावना हो तो वह अपने वजन के बराबर कोयले को बहते पानी में बहाये, ईश्वर से अपने इस जन्म और पिछले जन्मो के पापो के लिए क्षमा मांगे और अपनी किसी भी बुरी आदत को हमेशा के लिए त्याग दें , इससे उसको न्यायालय से लाभ मिलने के योग बढ़ जायेंगे ।
मुकदमें अथवा किसी भी प्रकार के वाद विवाद में सफलता हेतु लाल ध् सिंदूरी मूँगा त्रिकोण की आक्रति का सोने या तांबे मिश्रित अंगूठी में बनवाकर उसे दाहिने हाथ के अनामिका उंगली में धारण करें , इससे सफलता की संभावना और अधिक हो जाती है ।
षष्ठी तिथि के स्वामी भगवान शिव के पुत्र और देवताओं के सेनापति भगवान कार्तिकेय हैं। इनकी कृपा से निर्भयता प्राप्त होती है, राजद्वार , मुक़दमे आदि में सफलता मिलती है ।
मुक़दमे / राज द्वार में विजय प्राप्त करने के लिए षष्टी की शाम को नियमपूर्वक किसी भी शिव मंदिर में जाकर भगवान कार्तिकेय के सामने तेल के 6 दीपक जला कर उनसे अपने मुकदमें में , शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें , सफलता प्राप्त होती है।
जीवन में सभी प्रकार के कष्टों और संकटों को दूर करने के लिए , मुक़दमे में विजय के लिए नित्य एवं षष्टी के दिन तो अनिवार्य रूप से भगवान कार्तिकेय के गायत्री मंत्र
"ओम तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोद्यात:॥"
का जाप अवश्य ही करना चाहिए ।
जिनकी कुंडली में मंगल की दशा चल रही हो या कोई जातक मुक़दमे में फंसा हो तो उसे भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है ।
षष्टी के दिन भगवान कार्तिकेय पर नीला रेशमी धागा चढ़ाकर उसे अपनी बाँह में बाँधने से शत्रु परास्त होते है, मुक़दमे , राजद्वार, समाज में विजय मिलती है।
प्रॉपर्टी बेचने के उपाय | Property Bechne ke upay
हर व्यक्ति चाहता है की उसका अपना बढ़िया मकान हो । व्यक्ति के जीवन की कमाई, उसकी पहचान उसका अपना भवन होता है। लेकिन बढ़ती महंगाई और बढ़ती आबादी के अनुरूपकारण हर व्यक्ति को मकान मिलना संभव नहीं होता है। दुनिया की आधी से ज्यादा किराये के मकानों में रहती है।
जानिए, प्रॉपर्टी बेचने के उपाय, Property Bechne ke upay,संपत्ति बेचने के उपाय, Sampati Bachne ke Upay,
भूमि की खरीद फरोख्त का व्यवसाय बहुत प्राचीन काल से ही चल रहा है । एक एक भूमि सम्पति बहुत बार बेचीं खरीदी जाती है और दिन प्रति दिन इसका बाजार मूल्य बढ़ता ही जाता है । वर्तमान समय में भी बहुत बड़ी आबादी प्रापर्टी डीलिंग , बिल्डर आदि व्यवसाय में लगी हुई है, या बहुत से लोग ऐसे भी है जिनकी एक से अधिक प्रापर्टी है और वह उसको सपने समय पर बेच कर लाभ अर्जित करना चाहते है । प्रापर्टी में बहुत बार यह भी समस्या आ जाती है कि उसमें कोई ना कोई विवाद निकल आता है , या समय पर अच्छी कीमत पर वह बिक नहीं पाती है ।
प्रापर्टी डीलिंग, स्वयं की भूमि अथवा मकान बनाने, अपनी सम्पत्ति से लाभ अर्जित करने के लिए चतुर्थ भाव का बली होना आवश्यक होता है, मंगल ग्रह को भूमि ,भवन का और चतुर्थ भाव का कारक माना जाता है, इसलिए प्रापर्टी डीलिंग सम्बन्धी कार्यों मे, अपना मकान बनाने के लिए, अपनी सम्पति को बेच कर लाभ कमाने में मंगल की स्थिति कुंडली में शुभ तथा बली होनी चाहिए, अगर ऐसा नहीं है मंगल को बलवान करने के उपाय करे ,जातक को भूमि-भवन सम्बन्धी कार्यों में उत्तम लाभ प्राप्त हो।
मंगल को भूमि तो शनि को निर्माण का कारक माना गया है। इसलिए जब भी दशा/अन्तर्दशा में मंगल व शनि का संबंध चतुर्थ/चतुर्थेश से बनता है, तब व्यक्ति अपना घर बनाता है, वह अगर अपनी कोई सम्पति बेचने चाहे तो उसे अच्छा मूल्य मिलता है, उसे भूमि , प्रापर्टी डीलिंग के कार्यों में श्रेष्ठ सफलता मिलती है,उसकी अपनी सम्पति भी अच्छे दामों में बिक जाती है ।
यदि आपकी जमीन-जायदाद, भवन, फ्लैट हो या दुकान अगर लाख कोशिशों के बावजूद अधिक या आपके मनचाहे दामों में नहीं बिक पा रही हो तो कभी-कभी चाय की पत्ती जमादार को दें दिया करें ।
जो जातक चाहते की उनकी सम्पति अच्छे मूल्य पर बिक जाय , या जो लोग प्रापर्टी का कार्य करते हैउन्हें सदैव एक चांदी का चौकोर टुकड़ा अपने पास रखना चाहिए ।
भूमि का कारोबार करने वाले अथवा जिनकी कोई सम्पति जैसे भूमि, मकान, दुकान आदि फंस गई है , वह उसे बेचना चाहते है ऐसे लोग चांदी के गिलास में नियमित पानी पीने नियम बनायें ।
मान्यता है कि हमेशा सफेद टोपी पहनने से सम्पति के कार्यों में सफलता मिलती है , सम्पति अच्छे दामो जाती है ।
एक लाल रंग के लिफाफे में जिस मकान या दुकान को आपने बेचना है उसकी एक कील रख कर उसे बहते हुए पानी / नदी में प्रवाहित कर दें और यदि आपको कोई जमीन बेचनी है तो उसकी थोड़ी से मिटटी को लेकर उस लिफाफे में डालकर प्रवाहित कर दें । इस उपाय को करते समय वास्तु पुरुष से अपनी उस संपत्ति को अच्छे दामो में बेचने के लिए प्रार्थना करते रहे । यह उपाय बिना किसी को भी बताये हुए बिलकुल चुपचाप करना चाहिए ।
यदि आप कोई संपत्ति बेचना चाहते किन्तु वो बिक नहीं रही है तो आप 86 बादाम को घर मने ले आये ।फिर सोमवार को सूर्योदय के बाद नहा धो कर मंदिर जाकर शिवलिंग पर दो बादाम चढ़ा कर भगवान भोलेनाथ से अपनी प्रार्थना करें फिर उनमें एक उठा कर घर ले आयें और वो बादाम एक साफ़ डिब्बे में रख दें यह उपाय पूर्ण श्रद्धा से लगातार 43 दिन तक करे और 44 वें दिन उन सारे बादामों को जो 43 दिन तक इकट्ठे हो गए है उन्हें सूरज डूबने से पहले ही नदी / बहते हुए पानी मे प्रवाहित कर दे। लेकिन यह ध्यान रहे यदि आप का काम 43 दिनों से पहले ही पूर्ण हो जाये तो भी यह उपाय बीच में नहीं छोड़ना चाहिए इसको पूर्ण अवश्य ही करें ।
अगर आप अपनी किसी जमीन या भवन को बेचकर उसकी अच्छी कीमत चाहते है तो आप अपने घर के वायव्य कोण ( पश्चिम उत्तर दिशा ) में अपनी जमीन के जिसको बेचना है उसके कागज रखे , उस पर एक किनारे पर हल्दी का छींटा लगा दें , आपको अपनी सम्पति के शीघ्र और उत्तम दाम मिल जायेंगे।( आप अपनी संपत्ति बेचने के लिए क्या उपाय कर रहे है यह किसी को भी ना बताये / उपाय चुपचाप करें। )
प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के उपाय
आज के युग में हर विद्यार्थी चाहता है कि उसका भविष्य उज्जवल हो, वह जीवन में बहुत आगे बड़े, उसकी शिक्षा सार्थक हो, उसका श्रेष्ठ कैरियर हो। उसके लिए वह बहुत सी प्रतियोगी परीक्षा pratiyogi praiksha की तैयारी करता है, उनमें बैठता है , अथक परिश्रम करता है । लेकिन श्रेष्ठ कैरियर, shresth carier प्रतियोगी परीक्षा pratiyogi praiksha में कम्पटीशन बहुत ज्यादा होता है, और स्थान बहुत ही कम , अत: बहुत से विद्यार्थी लाख प्रयास के बाद भी अपना इच्छित स्थान नहीं प्राप्त कर पाते है ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आप अपनी कड़ी और योजनाबद्ध मेहनत के साथ कुछ आसान सी बातो को ध्यान में रखे तो आपको अपने परिश्रम के उत्कर्ष परिणाम प्राप्त होते है । यहाँ पर हम आपको कुछ आसान से उपाय बता रहे है जिससे आपको प्रतियोगी परीक्षा में सफलता अवश्य ही प्राप्त कर सकेंगे,
जानिए प्रतियोगी परीक्षा में सफलता उपाय, pratiyogi pariksha me safalta ke upay, श्रेष्ठ कैरियर के उपाय,shresth cariyer ke upay ।
ब्राम्ही का नित्य सेवन करने वाले विधार्थियों की बुद्धि त्रीव होती है स्मरण शक्ति बडती है इसलिए उन्हें परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त होती हैं।
विद्यार्थियों को परीक्षा में अपने पास कपूर और फिटकरी रखनी चाहिए, इससे एकाग्रता बनी रहती है। इससे मानसिक रूप से मजबूती आती है नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती हैं ।
किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्ति हेतु हर गुरुवार को नियम से किसी भी गाय को पीले पेड़े अवश्य खिलाये ।
विद्यार्थी को चहिये की वह गणेश चालीसा का पाठ करें और बुधवार को गणपति जी को बेसन के लड्डू और दूर्वा अर्पित करें।
विद्यार्थी को चाहिए की वह अपनी पड़ाई की मेज या कमरे की ईशान की दीवार पर माँ सरस्वती की तस्वीर जरुर लगायें और रोज उनसे बेहतर विद्या प्राप्ति के लिए आग्रह करें ।
परीक्षा देने जाते समय यदि छात्र मीठा दही या अन्य कोई भी मीठा खाकर जाये तो उसे निश्चित ही सफलता प्राप्त होती है ।
परीक्षा में शत प्रतिशत सफलता के लिए विद्यार्थी छात्र छात्रा को रोज नियम से उगते हुए सूर्य देव को फूल ,लाल चंदन, चावल आदि डालकर जल चडाने एवं उनका ध्यान करने से अति विशेष लाभ की प्राप्ति होती है , इस नियम का जीवन पर्यंत पालन करने से व्यक्ति को जीवन में सदैव सफलता की प्राप्ति होती है ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आप अपनी कड़ी और योजनाबद्ध मेहनत के साथ कुछ आसान सी बातो को ध्यान में रखे तो आपको अपने परिश्रम के उत्कर्ष परिणाम प्राप्त होते है । यहाँ पर हम आपको कुछ आसान से उपाय बता रहे है जिससे आपको प्रतियोगी परीक्षा में सफलता अवश्य ही प्राप्त कर सकेंगे,
जानिए प्रतियोगी परीक्षा में सफलता उपाय, pratiyogi pariksha me safalta ke upay, श्रेष्ठ कैरियर के उपाय,shresth cariyer ke upay ।
ब्राम्ही का नित्य सेवन करने वाले विधार्थियों की बुद्धि त्रीव होती है स्मरण शक्ति बडती है इसलिए उन्हें परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त होती हैं।
विद्यार्थियों को परीक्षा में अपने पास कपूर और फिटकरी रखनी चाहिए, इससे एकाग्रता बनी रहती है। इससे मानसिक रूप से मजबूती आती है नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती हैं ।
विद्यार्थी को चहिये की वह गणेश चालीसा का पाठ करें और बुधवार को गणपति जी को बेसन के लड्डू और दूर्वा अर्पित करें।
विद्यार्थी को चाहिए की वह अपनी पड़ाई की मेज या कमरे की ईशान की दीवार पर माँ सरस्वती की तस्वीर जरुर लगायें और रोज उनसे बेहतर विद्या प्राप्ति के लिए आग्रह करें ।
परीक्षा देने जाते समय यदि छात्र मीठा दही या अन्य कोई भी मीठा खाकर जाये तो उसे निश्चित ही सफलता प्राप्त होती है ।
डूबा हुआ / फँसा हुआ धन प्राप्त करने के उपाय
कई बार लोग किसी की मदद के लिए, दुकान, मकान, प्लाट या किसी रोजगार, किसी कंपनी या किसी सरकारी विभागों से कोई काम निकलवाने के धन दे देते है या अपना ही धन किसी के पास रखवा देते है लेकिन समय पर वह व्यक्ति आपका धन नहीं लौटाता है या आपका वह काम भी नहीं होता है और आपको आपका दिया धन भी नहीं वापस मिल पाता है तब बहुत ज्यादा मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है । धन वापस मिलने के सारे प्रयास विफल होते है, सम्बन्ध भी ख़राब हो जाते है । तब जब आपको सारे उपायों में असफलता मिले और आपको सारे रास्ते बंद नज़र आये तो ऐसी परिस्तिथियों में आप ये उपाए ईश्वर पर पूरी श्रद्धा और विश्वास से करें , आपको अवश्य ही लाभ नज़र आएगा।
यदि आपका धन किसी के पास फंस गया है और वह उसे वापस नहीं कर रहा तो आप रोज सुबह नहाने के पश्चात एक ताम्बे के पात्र में जल लेकर उसमें लाल मिर्च के 11 बीज डालकर सूर्यदेव को जल अर्पण करके उनसे अपने पैसे वापसी के लिए प्रार्थना करें।। इसके साथ ही "ओम आदित्याय नमः" की नित्य एक माला का जाप करें।
यदि किसी व्यक्ति के पास आपका धन फँसा है और वह देने में समर्थ है परन्तु फिर भी नहीं दे रहा है तो 2 'राजा कौड़ी' यह किसी भी पूजा की दुकान पर मिल जाएगी उस व्यक्ति के घर के सामने डाल दे जिसके पास आपका धन फँसा है इससे उसका मन बदल जाएगा और वह शीघ्र ही आपका धन आपको लौटा देगा । यह उपाय बिलकुल चुपचाप करें ।
किसी बुधवार के दिन, ( अगर कृष्ण पक्ष का बुधवार या बुधवार को पड़ने वाली अमावस्या हो तो और भी अच्छा है ) शाम के समय मीठे तेल की पाँच पूड़ियाँ बना कर उसमें सबसे ऊपर की पूड़ी पर रोली से एक स्वास्तिक का चिन्ह बनायें और उसके उपर सरसों का तेल डाल कर गेहूं के आटे का एक दिया रख लें। फिर दिया जलाकर उसपर भी रोली से तिलक करें और पीले अथवा लाल रंग के पुष्प अर्पित करें। इस दौरान लगातार भगवान श्री गणेश से उस व्यक्ति से अपना धन वापस दिलाने की प्रार्थना करते रहें। फिर बाएं हाथ में काली सरसों और काली उड़द के कुछ दाने लेकर निम्न मंत्र का 21 बार जप करते हुए उसे पूड़ी तथा दिए के उपर छोड़ते जाएँ ।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं ह्रैं ह्रूं ह्रः हेराम्बाय नमो नमः।
मम धनं प्रतिगृहं कुरु कुरु स्वाहा।
तत्पश्चात उसी रात को समस्त सामग्री को ले जाकर चुपचाप उस व्यक्ति के घर के मुख्य द्वार के सामने कुछ दुरी पर / सड़क के पार किसी ऐसे स्थान पर रख दें जहाँ से उसका मुख्यद्वार या घर नज़र आता हो।
और यदि आपको जिसके पास आपका पैसा फंसा है उसका पता नहीं मालूम है तो किसी भी शनिवार के दिन दक्षिण दिशा की ओर मुख कर हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सामने एक सरसों के तेल का दीपक जलाएं, फिर उसमें सरसों के कुछ दाने, 2 लौंग और एक कपूर का टुकड़ा डाल कर 3 बार बजरंग बाण का पाठ करें और बजरंग बलि जी से प्रार्थना करें की वह व्यक्ति ( जिसके पास आपका धन फंसा है ) आपका सारा धन शीघ्र से शीघ्र वापस कर दे। इसके पश्चात इसी जलते हुए दीपक से एक चम्मच पर एक दो बूँद तेल लगा कर उसे लौ पर रखकर काजल बना लें।
फिर एक नए पतले, मुलायम कपड़े पर शमी वृक्ष की लकड़ी की कलम से उसी काजल से उस व्यक्ति का नाम लिखें जिसके पास आपके पैसे फँसे हैं। अब इस कपडे की पतली पतली बत्ती बना लें एवं आटे का एक दिया बनाकर उसमे तिल का तेल डाल इस बत्ती को जलाकर पुनः हनुमान जी की प्रतिमा के आगे 5 बार बजरंग बाण का पाठ करें और धन वापस प्राप्ति की प्रार्थना करें। ऐसा 21 शनिवार लगातार करें और इस बीच यदि आपका धन वापस मिल जाय तब भी इसे पूरा अवश्य ही करें । धन मिलने पर यथा संभव लड्डू , नारियल बूँदी आदि का प्रशाद चढ़ाएं ।
अपना डूबा हुआ धन प्राप्त करने के लिए आप शुक्रवार को कपूर को जला कर उसका काजल बना ले। फिर एक भोजपत्र पर उस व्यक्ति का नाम लिखे जिसके पास आपका धन है। इसके बाद आप उस कागज़ पर 7 बार थपकी देते हुए उस व्यक्ति से अपने धन की वापसी के लिए कहें फिर उस भोजपत्र को अपनी तिजोरी / अलमारी / बक्सा जहाँ पर आप धन रखते है उसके नीचे दबा दें।
अगर आप उसको जानते है तो काजल से भोजपत्र पर उसका नाम लिखकर वह कागज अपने पास रखकर उसके पास जाएँ और बिलकुल शान्त होकर उसको किसी भी तरीके से 7 बार थपकी देकर अपना धन वापस करने के लिए कहे और घर आकर उस भोजपत्र को उपरोक्त विधि से दबा दें । धीरे धीरे आपके धन की वापसी होने लागगी। यह समस्त उपाय बहुत ही कारगर है इन्हे बिलकुल चुपचाप पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से करना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि धैर्य बनाये रखना चाहिए ।
अपना भवन बनाने के अचूक उपाय / टोटके
अपना भवन बनाने के अचूक उपाय / टोटके
इस धरती में हर व्यक्ति चाहता है कि उसका अपना खुद का घर हो , जहां वह अपनी मनमर्जी के अनुसार रह सके, खा पी सके , उसे सजा सँवार सके, अपने परिवार के सदस्यों के साथ जीवन व्यतीत कर सके
व्यक्ति के जीवन की कमाई, उसकी पहचान उसका अपना भवन होता है।
लेकिन यह भी सत्य है कि आज की महँगाई के दौर में अपने लिए किसी अच्छी , सुरक्षित और जहाँ पर आधारभूत सुविधाएँ हो ऐसी जगह घर बना पाना एक टेढ़ी खीर भी है। दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी किराये के मकानों में रहती है।
स्वयं की भूमि अथवा मकान बनाने के लिए चतुर्थ भाव का बली होना आवश्यक होता है, मंगल ग्रह को भूमि,भवन का और चतुर्थ भाव का कारक माना जाता है,
अगर आप भी चाहते हैं आपका अपना घर, तो यहाँ पर बताये जा रहे कुछ उपायों को अवश्य ही करें .इनको करने से शीघ्र ही आपके घर खरीदने के योग बनेंगे , मार्ग में आने वाली बाधाएं शान्त होगी ।
* ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल या शनि ग्रह से संबंधित कोई ग्रह दोष हो तो उसे अपने घर का सपना पूरा करने में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए अपनी कुंडली किसी अच्छे ज्योतिष को दिखाकर मंगल और शनि के उपाय अवश्य ही कर लें ।
* मंगल को भूमि तो शनि को निर्माण का कारक माना गया है। इसलिए जब भी दशा/अन्तर्दशा में मंगल व शनि का संबंध चतुर्थ/चतुर्थेश से बनता है, तब व्यक्ति अपना घर बनाता है उसे भूमि , प्रापर्टी डीलिंग के कार्यों में श्रेष्ठ सफलता मिलती है ।
* अपने घर की चाह रखने वाले जातक नित्य प्रात: स्नान कर गणेशजी को दूर्वा और एक लाल फूल चढ़ाएं। ऐसा लगातार 21 दिन तक करते हुए भगवान श्री गणेश जी से अपने घर की समस्या के निवारण के लिए प्रार्थना करें।
* अपने घर बनवाने के मार्ग में किसी भी प्रकार की अड़चनों को दूर करने के लिए किसी भी मंदिर में एक नीम की लकड़ी का बना हुआ छोटा सजा-संवरा सा घर दान करें।
* अपना घर बनवाने के योग मजबूत करने के लिए मंगलवार के दिन सफेद गाय और उसके बछड़े को लाल मसूर की दाल व गुड़ और घोड़े को चने की भीगी हुई दाल खिलाएं।
*नित्य कौए को दूध में भीगी रोटी और तोतों को सप्तधान डालें। इससे आर्थिक पक्ष मजबूत होने लगता है धीरे धीरे अपना स्वयं का घर बनाने की परिस्थितियाँ बनने लगती है ।
*मंगलवार को लाल मसूर की दाल का दान करने से भी अपना भवन बनाने के योग प्रबल होते हैं ।
* अपने घर के पूजा स्थल अथवा ईशान दिशा में एक मिट्टी का छोटा घर लाकर रखें और उसमें हर रविवार को सरसो तेल का दीपक जलाएं और दीपक जलने के बाद उसमें फिर से कपूर जलाएं। इस मिटटी के घर को भी अपने हाथ से खूबसूरत तरीके से सजाएं। इससे भी ग्रह निर्माण में आने वाली बाधाएं दूर होने लगती है ।
* मान्यताओं के अनुसार यदि किसी घर में चिडिय़ा या गिलहरी अपना घोंसला बना लें तो उस घर में सुख शांति, धन समृद्धि की कोई भी कमी नहीं होती। अत: यदि वह आपके घर में अपना घोसला बना लें तो उसे जबरन हटाना नहीं चाहिए ।
घर में चिडिय़ा का घोंसला बनना शुभ संकेत माना जाता है। कहते है की जिन घरों में चिडिय़ा का घोंसला होता है वहां सभी देवी-देवताओं की असीम कृपा बनी रहती है। उस घर के लोगो को अपना मनचाहा भवन का सुख प्राप्त होता है ।
* जिन लोगों को अपना मकान खरीदने या बनाने की इच्छा है लेकिन कोई न कोई रूकावट लगी रहती है तो वह रविवार से शुरू करके नित्य प्रात: गाय को गुड़ खिलाएं। इस उपाय को पूर्ण श्रद्धा पूर्वक लगातार करने से गौ माता की कृपा से अपना मकान खरीदने में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होने लगती है ।
* अगर आप अपना स्वयं का मकान बनाना चाहते हैं, तो शुक्ल पक्ष के शुक्रवार अथवा नवरात्र के किसी भी दिन एक लाल कपड़े में छ: चुटकी कुमकुम, छ: लौंग, नौ बिंदिया, नौ मुट्ठी साफ़ मिट्टी और छ: कौड़ियाँ लपेट कर किसी भी नदी / बहते हुए पानी में मन ही मन में अपनी मनोकामना कहते हुए विसर्जित कर दें । इस उपाय से माँ दुर्गा की कृपा से शीघ्र ही अपना मकान बनाने में सफलता मिलेगी ।
* अपनी मनचाही जमीन अथवा अपना मनचाहा मकान पाने के लिए नवरात्र अथवा शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को एक उपाय करें । जहाँ पर आप मकान चाहते है उस स्थान की थोड़ी सी मिट्टी लाकर उसे एक कांच की शीशी में डालें । फिर उस शीशी में गंगा जल और कपूर डाल कर घर के ईशान कोण अथवा अपने पूजा घर पर जौ के ढेर पर स्थापित करें । फिर शुक्रवार से नित्य / पूरे नवरात्र उस शीशी के आगे माता का सिद्ध नवार्ण मन्त्र ‘ "ऐं हीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे" ‘ की पांच माला जप करें और उस जौ के ढेर में गंगा जल डालते रहे । नवें दिन / नवमी के दिन हवन के बाद थोड़े से अंकुरित जौ निकाल कर उसे अपनी मन चाही जगह पर डाल दें । काँच की शीशी के अंदर की सामग्री को नदी में विसर्जित कर दें और कांच की खाली शीशी को नदी में न डालकर पीपल के पेड़ के नीचे रख दें । माँ दुर्गा की कृपा से आपको मनचाहा घर मिलने के प्रबल योग बनेगे ।
लेकिन यह भी सत्य है कि आज की महँगाई के दौर में अपने लिए किसी अच्छी , सुरक्षित और जहाँ पर आधारभूत सुविधाएँ हो ऐसी जगह घर बना पाना एक टेढ़ी खीर भी है। दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी किराये के मकानों में रहती है।
स्वयं की भूमि अथवा मकान बनाने के लिए चतुर्थ भाव का बली होना आवश्यक होता है, मंगल ग्रह को भूमि,भवन का और चतुर्थ भाव का कारक माना जाता है,
अगर आप भी चाहते हैं आपका अपना घर, तो यहाँ पर बताये जा रहे कुछ उपायों को अवश्य ही करें .इनको करने से शीघ्र ही आपके घर खरीदने के योग बनेंगे , मार्ग में आने वाली बाधाएं शान्त होगी ।
* ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल या शनि ग्रह से संबंधित कोई ग्रह दोष हो तो उसे अपने घर का सपना पूरा करने में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए अपनी कुंडली किसी अच्छे ज्योतिष को दिखाकर मंगल और शनि के उपाय अवश्य ही कर लें ।
* मंगल को भूमि तो शनि को निर्माण का कारक माना गया है। इसलिए जब भी दशा/अन्तर्दशा में मंगल व शनि का संबंध चतुर्थ/चतुर्थेश से बनता है, तब व्यक्ति अपना घर बनाता है उसे भूमि , प्रापर्टी डीलिंग के कार्यों में श्रेष्ठ सफलता मिलती है ।
* अपने घर की चाह रखने वाले जातक नित्य प्रात: स्नान कर गणेशजी को दूर्वा और एक लाल फूल चढ़ाएं। ऐसा लगातार 21 दिन तक करते हुए भगवान श्री गणेश जी से अपने घर की समस्या के निवारण के लिए प्रार्थना करें।
* अपने घर बनवाने के मार्ग में किसी भी प्रकार की अड़चनों को दूर करने के लिए किसी भी मंदिर में एक नीम की लकड़ी का बना हुआ छोटा सजा-संवरा सा घर दान करें।
* अपना घर बनवाने के योग मजबूत करने के लिए मंगलवार के दिन सफेद गाय और उसके बछड़े को लाल मसूर की दाल व गुड़ और घोड़े को चने की भीगी हुई दाल खिलाएं।
*नित्य कौए को दूध में भीगी रोटी और तोतों को सप्तधान डालें। इससे आर्थिक पक्ष मजबूत होने लगता है धीरे धीरे अपना स्वयं का घर बनाने की परिस्थितियाँ बनने लगती है ।
*मंगलवार को लाल मसूर की दाल का दान करने से भी अपना भवन बनाने के योग प्रबल होते हैं ।
* अपने घर के पूजा स्थल अथवा ईशान दिशा में एक मिट्टी का छोटा घर लाकर रखें और उसमें हर रविवार को सरसो तेल का दीपक जलाएं और दीपक जलने के बाद उसमें फिर से कपूर जलाएं। इस मिटटी के घर को भी अपने हाथ से खूबसूरत तरीके से सजाएं। इससे भी ग्रह निर्माण में आने वाली बाधाएं दूर होने लगती है ।
* मान्यताओं के अनुसार यदि किसी घर में चिडिय़ा या गिलहरी अपना घोंसला बना लें तो उस घर में सुख शांति, धन समृद्धि की कोई भी कमी नहीं होती। अत: यदि वह आपके घर में अपना घोसला बना लें तो उसे जबरन हटाना नहीं चाहिए ।
घर में चिडिय़ा का घोंसला बनना शुभ संकेत माना जाता है। कहते है की जिन घरों में चिडिय़ा का घोंसला होता है वहां सभी देवी-देवताओं की असीम कृपा बनी रहती है। उस घर के लोगो को अपना मनचाहा भवन का सुख प्राप्त होता है ।
* जिन लोगों को अपना मकान खरीदने या बनाने की इच्छा है लेकिन कोई न कोई रूकावट लगी रहती है तो वह रविवार से शुरू करके नित्य प्रात: गाय को गुड़ खिलाएं। इस उपाय को पूर्ण श्रद्धा पूर्वक लगातार करने से गौ माता की कृपा से अपना मकान खरीदने में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होने लगती है ।
* अगर आप अपना स्वयं का मकान बनाना चाहते हैं, तो शुक्ल पक्ष के शुक्रवार अथवा नवरात्र के किसी भी दिन एक लाल कपड़े में छ: चुटकी कुमकुम, छ: लौंग, नौ बिंदिया, नौ मुट्ठी साफ़ मिट्टी और छ: कौड़ियाँ लपेट कर किसी भी नदी / बहते हुए पानी में मन ही मन में अपनी मनोकामना कहते हुए विसर्जित कर दें । इस उपाय से माँ दुर्गा की कृपा से शीघ्र ही अपना मकान बनाने में सफलता मिलेगी ।
* अपनी मनचाही जमीन अथवा अपना मनचाहा मकान पाने के लिए नवरात्र अथवा शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को एक उपाय करें । जहाँ पर आप मकान चाहते है उस स्थान की थोड़ी सी मिट्टी लाकर उसे एक कांच की शीशी में डालें । फिर उस शीशी में गंगा जल और कपूर डाल कर घर के ईशान कोण अथवा अपने पूजा घर पर जौ के ढेर पर स्थापित करें । फिर शुक्रवार से नित्य / पूरे नवरात्र उस शीशी के आगे माता का सिद्ध नवार्ण मन्त्र ‘ "ऐं हीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे" ‘ की पांच माला जप करें और उस जौ के ढेर में गंगा जल डालते रहे । नवें दिन / नवमी के दिन हवन के बाद थोड़े से अंकुरित जौ निकाल कर उसे अपनी मन चाही जगह पर डाल दें । काँच की शीशी के अंदर की सामग्री को नदी में विसर्जित कर दें और कांच की खाली शीशी को नदी में न डालकर पीपल के पेड़ के नीचे रख दें । माँ दुर्गा की कृपा से आपको मनचाहा घर मिलने के प्रबल योग बनेगे ।
गोविंदा अष्टकम , Govindaashtkam
गोविंदा अष्टकम
सत्यं ज्ञानमनंतं नित्यमनाकाशं परमाकाशम् ।
गोष्ठप्रांगणरिंखणलोलमनायासं परमायासम् ।
मायाकल्पितनानाकारमनाकारं भुवनाकारम् ।
क्ष्मामानाथमनाथं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ १ ॥
गोष्ठप्रांगणरिंखणलोलमनायासं परमायासम् ।
मायाकल्पितनानाकारमनाकारं भुवनाकारम् ।
क्ष्मामानाथमनाथं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ १ ॥
मृत्स्नामत्सीहेति यशोदाताडनशैशव संत्रासम् ।
व्यादितवक्त्रालोकितलोकालोकचतुर्दशलोकालिम् ।
लोकत्रयपुरमूलस्तंभं लोकालोकमनालोकम् ।
लोकेशं परमेशं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ २ ॥
व्यादितवक्त्रालोकितलोकालोकचतुर्दशलोकालिम् ।
लोकत्रयपुरमूलस्तंभं लोकालोकमनालोकम् ।
लोकेशं परमेशं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ २ ॥
त्रैविष्टपरिपुवीरघ्नं क्षितिभारघ्नं भवरोगघ्नम् ।
कैवल्यं नवनीताहारमनाहारं भुवनाहारम् ।
वैमल्यस्फुटचेतोवृत्तिविशेषाभासमनाभासम् ।
शैवं केवलशांतं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ ३ ॥
कैवल्यं नवनीताहारमनाहारं भुवनाहारम् ।
वैमल्यस्फुटचेतोवृत्तिविशेषाभासमनाभासम् ।
शैवं केवलशांतं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ ३ ॥
गोपालं प्रभुलीलाविग्रहगोपालं कुलगोपालम् ।
गोपीखेलनगोवर्धनधृतिलीलालालितगोपालम् ।
गोभिर्निगदित गोविंदस्फुटनामानं बहुनामानम् ।
गोपीगोचरदूरं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ ४ ॥
गोपीखेलनगोवर्धनधृतिलीलालालितगोपालम् ।
गोभिर्निगदित गोविंदस्फुटनामानं बहुनामानम् ।
गोपीगोचरदूरं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ ४ ॥
गोपीमंडलगोष्ठीभेदं भेदावस्थमभेदाभम् ।
शश्वद्गोखुरनिर्धूतोद्गत धूलीधूसरसौभाग्यम् ।
श्रद्धाभक्तिगृहीतानंदमचिंत्यं चिंतितसद्भावम् ।
चिंतामणिमहिमानं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ ५ ॥
शश्वद्गोखुरनिर्धूतोद्गत धूलीधूसरसौभाग्यम् ।
श्रद्धाभक्तिगृहीतानंदमचिंत्यं चिंतितसद्भावम् ।
चिंतामणिमहिमानं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ ५ ॥
स्नानव्याकुलयोषिद्वस्त्रमुपादायागमुपारूढम् ।
व्यादित्संतीरथ दिग्वस्त्रा दातुमुपाकर्षंतं ताः
निर्धूतद्वयशोकविमोहं बुद्धं बुद्धेरंतस्थम् ।
सत्तामात्रशरीरं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ ६ ॥
व्यादित्संतीरथ दिग्वस्त्रा दातुमुपाकर्षंतं ताः
निर्धूतद्वयशोकविमोहं बुद्धं बुद्धेरंतस्थम् ।
सत्तामात्रशरीरं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ ६ ॥
कांतं कारणकारणमादिमनादिं कालधनाभासम् ।
कालिंदीगतकालियशिरसि सुनृत्यंतम् मुहुरत्यंतम् ।
कालं कालकलातीतं कलिताशेषं कलिदोषघ्नम् ।
कालत्रयगतिहेतुं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ ७ ॥
कालिंदीगतकालियशिरसि सुनृत्यंतम् मुहुरत्यंतम् ।
कालं कालकलातीतं कलिताशेषं कलिदोषघ्नम् ।
कालत्रयगतिहेतुं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ ७ ॥
बृंदावनभुवि बृंदारकगणबृंदाराधितवंदेहम् ।
कुंदाभामलमंदस्मेरसुधानंदं सुहृदानंदम् ।
वंद्याशेष महामुनि मानस वंद्यानंदपदद्वंद्वम् ।
वंद्याशेषगुणाब्धिं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ ८ ॥
कुंदाभामलमंदस्मेरसुधानंदं सुहृदानंदम् ।
वंद्याशेष महामुनि मानस वंद्यानंदपदद्वंद्वम् ।
वंद्याशेषगुणाब्धिं प्रणमत गोविंदं परमानंदम् ॥ ८ ॥
गोविंदाष्टकमेतदधीते गोविंदार्पितचेता यः ।
गोविंदाच्युत माधव विष्णो गोकुलनायक कृष्णेति ।
गोविंदांघ्रि सरोजध्यानसुधाजलधौतसमस्ताघः ।
गोविंदं परमानंदामृतमंतस्थं स तमभ्येति ॥
गोविंदाच्युत माधव विष्णो गोकुलनायक कृष्णेति ।
गोविंदांघ्रि सरोजध्यानसुधाजलधौतसमस्ताघः ।
गोविंदं परमानंदामृतमंतस्थं स तमभ्येति ॥
इति श्री शंकराचार्य विरचित श्रीगोविंदाष्टकं समाप्तं
कृष्णा अष्टकम, krishna ashtkam
कृष्णा अष्टकम
वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम् ।
देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
अतसी पुष्प संकाशं हार नूपुर शोभितम् ।
रत्न कंकण केयूरं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
रत्न कंकण केयूरं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
कुटिलालक संयुक्तं पूर्णचंद्र निभाननम् ।
विलसत् कुंडलधरं कृष्णं वंदे जगद्गुरम् ॥
विलसत् कुंडलधरं कृष्णं वंदे जगद्गुरम् ॥
मंदार गंध संयुक्तं चारुहासं चतुर्भुजम् ।
बर्हि पिंछाव चूडांगं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
बर्हि पिंछाव चूडांगं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
उत्फुल्ल पद्मपत्राक्षं नील जीमूत सन्निभम् ।
यादवानां शिरोरत्नं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
यादवानां शिरोरत्नं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
रुक्मिणी केलि संयुक्तं पीतांबर सुशोभितम् ।
अवाप्त तुलसी गंधं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
अवाप्त तुलसी गंधं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
गोपिकानां कुचद्वंद कुंकुमांकित वक्षसम् ।
श्रीनिकेतं महेष्वासं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
श्रीनिकेतं महेष्वासं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
श्रीवत्सांकं महोरस्कं वनमाला विराजितम् ।
शंखचक्र धरं देवं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
शंखचक्र धरं देवं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥
कृष्णाष्टक मिदं पुण्यं प्रातरुत्थाय यः पठेत् ।
कोटिजन्म कृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ॥
कोटिजन्म कृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ॥
अच्युतं अष्टकम , Achyuta ashtkam
अच्युतं केशवं रामनारायणं अष्टकम
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिका वल्लभं
जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥ १ ॥
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिका वल्लभं
जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥ १ ॥
अच्युतं केशवं सत्यभामाधवं
माधवं श्रीधरं राधिका राधितम् ।
इंदिरामंदिरं चेतसा सुंदरं
देवकीनंदनं नंदजं संदधे ॥ २ ॥
माधवं श्रीधरं राधिका राधितम् ।
इंदिरामंदिरं चेतसा सुंदरं
देवकीनंदनं नंदजं संदधे ॥ २ ॥
विष्णवे जिष्णवे शंकने चक्रिणे
रुक्मिणी राहिणे जानकी जानये ।
वल्लवी वल्लभायार्चिता यात्मने
कंस विध्वंसिने वंशिने ते नमः ॥ ३ ॥
रुक्मिणी राहिणे जानकी जानये ।
वल्लवी वल्लभायार्चिता यात्मने
कंस विध्वंसिने वंशिने ते नमः ॥ ३ ॥
कृष्ण गोविंद हे राम नारायण
श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे ।
अच्युतानंत हे माधवाधोक्षज
द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक ॥ ४ ॥
श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे ।
अच्युतानंत हे माधवाधोक्षज
द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक ॥ ४ ॥
राक्षस क्षोभितः सीतया शोभितो
दंडकारण्यभू पुण्यताकारणः ।
लक्ष्मणोनान्वितो वानरैः सेवितो
अगस्त्य संपूजितो राघवः पातु माम् ॥ ५ ॥
दंडकारण्यभू पुण्यताकारणः ।
लक्ष्मणोनान्वितो वानरैः सेवितो
अगस्त्य संपूजितो राघवः पातु माम् ॥ ५ ॥
धेनुकारिष्टकाஉनिष्टिकृद्-द्वेषिहा
केशिहा कंसहृद्-वंशिकावादकः ।
पूतनाकोपकः सूरजाखेलनो
बालहोपालकः पातु मां सर्वदा ॥ ६ ॥
केशिहा कंसहृद्-वंशिकावादकः ।
पूतनाकोपकः सूरजाखेलनो
बालहोपालकः पातु मां सर्वदा ॥ ६ ॥
बिद्युदुद्-योतवत्-प्रस्फुरद्-वाससं
प्रावृडम्-भोदवत्-प्रोल्लसद्-विग्रहम् ।
वान्यया मालया शोभितोरः स्थलं
लोहिताङ्-घिद्वयं वारिजाक्षं भजे ॥ ७ ॥
प्रावृडम्-भोदवत्-प्रोल्लसद्-विग्रहम् ।
वान्यया मालया शोभितोरः स्थलं
लोहिताङ्-घिद्वयं वारिजाक्षं भजे ॥ ७ ॥
कुंचितैः कुंतलै भ्राजमानाननं
रत्नमौलिं लसत्-कुंडलं गंडयोः ।
हारकेयूरकं कंकण प्रोज्ज्वलं
किंकिणी मंजुलं श्यामलं तं भजे ॥ ८ ॥
रत्नमौलिं लसत्-कुंडलं गंडयोः ।
हारकेयूरकं कंकण प्रोज्ज्वलं
किंकिणी मंजुलं श्यामलं तं भजे ॥ ८ ॥
अच्युतस्याष्टकं यः पठेदिष्टदं
प्रेमतः प्रत्यहं पूरुषः सस्पृहम् ।
वृत्ततः सुंदरं कर्तृ विश्वंभरः
तस्य वश्यो हरि र्जायते सत्वरम् ॥
प्रेमतः प्रत्यहं पूरुषः सस्पृहम् ।
वृत्ततः सुंदरं कर्तृ विश्वंभरः
तस्य वश्यो हरि र्जायते सत्वरम् ॥
MADHURASHTAKAM – HINDI
अधरं मधुरं वदनं मधुरं
नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ १ ॥
नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ १ ॥
वचनं मधुरं चरितं मधुरं
वसनं मधुरं वलितं मधुरम् ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ २ ॥
वसनं मधुरं वलितं मधुरम् ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ २ ॥
वेणु-र्मधुरो रेणु-र्मधुरः
पाणि-र्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ३ ॥
पाणि-र्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ३ ॥
गीतं मधुरं पीतं मधुरं
भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ४ ॥
भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ४ ॥
करणं मधुरं तरणं मधुरं
हरणं मधुरं स्मरणं मधुरम् ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ५ ॥
हरणं मधुरं स्मरणं मधुरम् ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ५ ॥
गुंजा मधुरा माला मधुरा
यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ६ ॥
यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ६ ॥
गोपी मधुरा लीला मधुरा
युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ७ ॥
युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ७ ॥
गोपा मधुरा गावो मधुरा
यष्टि र्मधुरा सृष्टि र्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ८ ॥
यष्टि र्मधुरा सृष्टि र्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ ८ ॥
॥ इति श्रीमद्वल्लभाचार्यविरचितं मधुराष्टकं संपूर्णम् ॥
Adharam Madhuram Vadanam Madhuram Nayanam Madhuram Hasitam Madhuram |
Hrdayam Madhuram Gamanam Madhuram Madhura-Adhipater-Akhilam Madhuram ||1||
Vacanam Madhuram Caritam Madhuram Vasanam Madhuram Valitam Madhuram |
Calitam Madhuram Bhramitam Madhuram Madhura-Adhipater-Akhilam Madhuram ||2||
Vennur-Madhuro Rennur-Madhurah Paannir-Madhurah Paadau Madhurau |
Nrtyam Madhuram Sakhyam Madhuram Madhura-Adhipater-Akhilam Madhuram ||3||
Giitam Madhuram Piitam Madhuram Bhuktam Madhuram Suptam Madhuram |
Ruupam Madhuram Tilakam Madhuram Madhura-Adhipater-Akhilam Madhuram ||4||
Karannam Madhuram Tarannam Madhuram Harannam Madhuram Ramannam Madhuram |
Vamitam Madhuram Shamitam Madhuram Madhura-Adhipater-Akhilam Madhuram ||5||
Gun.Jaa Madhuraa Maalaa Madhuraa Yamunaa Madhuraa Viicii Madhuraa |
Salilam Madhuram Kamalam Madhuram Madhura-Adhipaterakhilam Madhuram ||6||
Gopii Madhuraa Liilaa Madhuraa Yuktam Madhuram Muktam Madhuram |
Drssttam Madhuram Shissttam Madhuram Madhura-Adhipaterakhilam Madhuram ||7||
Gopaa Madhuraa Gaavo Madhuraa Yassttir-Madhuraa Srssttir-Madhuraa |
Dalitam Madhuram Phalitam Madhuram Madhura-Adhipaterakhilam Madhuram ||8||
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