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Saturday, 12 May 2018

लूना चमारिन योगिनी

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रक्षा करने, जादू टोना, भूत, प्रेत, पिशाच, ओझा, डाकिनी या शाकिनी, तांत्रिक माया जाल, किया कराया आदि अभिचार कर्म रोगों को दूर करना 
|| ॐ नमो आदेश गुरु को
लूना चमारीन  जगत की बिजुरी
मोती हेल चमके
जो “अमुक” पिंड में जान करे विजान करे
तो उस रण्डी पे फिरे
दुहाई तख़्त सुलेमान पैगंबर की
फिरे मेरी भकित
गुरु की शक्ति
फुरो मंत्र इश्वरोवाचा ||
विधि :- इस मन्त्र को सिद्ध करके बहुत ही बेहतरीन ढंग से इसका प्रयोग किया जा सकता हैं और इसके प्रयोग के परिणाम भी सुगमता से प्राप्त होते हैं | इस मन्त्र का जप केवल 7 दिनों तक 1 माला जप करना हैं और कब, कैसे वो आप FAQ पेज  में देख सकते हैं | जब ये मन्त्र सिद्ध हो जाये तो आप इसका प्रयोग अपनी या किसी अन्य की रक्षा करने, जादू टोना, भूत, प्रेत, तांत्रिक माया जाल, किया कराया आदि रोगों को दूर करने में सफल हो जाओगे |
या फिर कोई मकान, दुकान, भूखंड या पलाट भूत-प्रेत, पिशाच, तांत्रिक, ओझा, डाकिनी या शाकिनी के अभिचार कर्म प्रभावित हो, तो उस मकान, दुकान, भूखंड या पलाट में भोजपत्र पर अष्टगंध की स्याही और अनार की कलम से उपरोक्त मन्त्र को  लिखकर लगा दें | ( अगर उपलब्ध नहीं हो सके तो किसी भी साधारण से सफ़ेद कागज पर लाल या काली  स्याही प्रयोग करें )  मन्त्र को लिखते समय इस मन्त्र का मन ही मन उच्चारण भी करते रहें और फिर उस मकान, दुकान, भूखंड या पलाट में लगा दे | इसके प्रभाव से वह जगह भूत-प्रेत, पिशाच, तांत्रिक, ओझा, डाकिनी या शाकिनी के अभिचार कर्म से मुक्त हो जाएगीं |

भूत प्रेत साधना

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भूत- प्रेत साधना
तंत्र में भूत – प्रेत का अस्तित्व स्वीकार किया गया है | यह माना गया है की मृत्यु के उपरांत मनुष्य को कई बार प्रेत योनी में जाना पड़ता है पर पुनर्जन्म की अनेक घटनाए इस सम्बन्ध में सोचने के लिए विवश कर देती है | मृत्यु के बाद की दुनिया का कही कुछ न कुछ अस्तित्व है | इस बात को स्वीकार करना पड़ता है | प्रेत योनी में जाकर मनुष्य कई बार उत्पाती हो जाता है | वह अनेक प्रकार के आतंक बिखरा देता है | इस प्रकार का उपद्रव शान्त करने का विधान तंत्र शास्त्र में है | हमारे योग्य तांत्रिक उनका समय -समय पर प्रयोग करते है | प्रेतों की उपद्रवी सकती पर नियंत्रण करने के लिए निम्नलिखित तंत्र है-
‘ ॐ ह्रंच ह्रंच ह्रंच फट स्वाहा | ‘
ये बहुत ही सरल साधना है | किसी एकांत स्थान में शिव जी की मूर्ति की स्थापना कर प्रत्येक अर्धरात्रि में २५ बार पाठ आवश्यक है | इस प्रकार नियमित रूप से बिना नागा के २५०० हजार मंत्र का पाठ १०० दिन तक लगातार करना आवश्यक है | जप की माला रूद्राक्ष की होनी चाहिए | दिशा पूर्व या उत्तर की होनी चाहिए | २५०००० हजार मंत्र का पाठ हो जाये तो साधक शिव जी की आकृति की पूजा कर आ जाये | इस प्रकार की साधना करने के बाद साधक भूत-प्रेत ग्रस्त किसी भी व्यक्ति को या स्थान को मुक्त कर सकता है | साधक के आदेश का पालन भूत-प्रेत करते है और साधक भूत-प्रेत को देख सकता है और उनसे बात भी कर सकता है | …… .

पीताम्बरा रुद्राक्ष

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पीताम्बरा रुद्राक्ष

प्रचंड पीताम्बरा रुद्राक्ष १.जिसके धारण कर लेने मात्र से गृह अपनी चल बदल देते है और अनुकूल हो जाते है,न चाहते हुए भी उन्हें हमारे हिसाब से चलना पड़ता है,भगवती पीताम्बर का ऐसा वज्र पड़ता है ग्रहों पर की वे मजबूर हो जाते है आपको सुख देने के लिये. २. जिसके धारण करने से शत्रु शत्रुता भूलकर शरण में आ जाते है,और उनका स्तम्भन हो जाता है.सारी तंत्र बाधा अपने आप समाप्त हो जाती है,तथा साधक के जीवन में सुख का आगमन होने लगता है.जिस घर में स्थापित होगा वहा कोई तंत्र बाधा असर नहीं करेगी.साधक एक तरह से हर क्षेत्र में सफलता पता है तथा जिस साधना के वक़्त इसे धारण करेगा वो साधना अवश्य सफल होगी ३.इसके धारण करने वाले की ग्रहस्ती में सुख का आगमन होता है,पारिवारिक समबन्ध मधुर हो जाते है. और सबसे बड़ी बात साधना के वक़्त जिसके शारीर पर ये रुद्राक्ष होगा कोई शक्ति साधक का कुछ नहीं बिगड़ पायेगी,ये रुद्राक्ष यम वरुण अग्नि जल इन्द्र आदि के पसीने छुडवा दे तो और किसी की बात ही क्या करे.साधक के लिये ये एक कवच है.शमशान में धारण करके चले गए तो सारी दुष्ट शक्तिया साधक से दस हाथ दूर रहती है,और क्या कहू इस रुद्राक्ष के बारे में आप स्वयं करे और इसका चमत्कार देखे. जल्द ही इस रुद्राक्ष को कैसे तैयार किया जाये कैसे सिद्ध किया जाये इसकी विधि आप सब के बिच लेकर आऊंगा.पर इस रुद्राक्ष को वही साधक सिद्ध कर सकता है जिसने अपने जीवन में कभी गुरु मंत्र अथवा ॐ नमः शिवाय का एक लाख जप किया हो.अतः ये साधना उन लोगो को ही दी जाएगी यदि आप मुजह्से असत्य बोलकर ये साधना लेते है और इसे करते है तो इसके जवाबदार वे लोग होंगे जिन्होंने असत्य बोलकर साधना ली है,क्युकी इस साधना की पहली और आखरी शर्त ही यही है की जिसने गुरु मंत्र अथवा ॐ नमः शिवाय के जप एक लाख किये हो वो ही इसे करे अन्यथा ये इस साधना से हानि हो सकती है नहीं,बल्कि हो ही जाएगी ये अटल सत्य है.अतः ये साधना टाइप होने के बाद में सभी को सूचित कर दूंगा आप अपने इमेल देकर प्राप्त कर लेना अगर अपने इस शर्त को पूरा कर लिया हो तो.माँ मेरे सभी साधक भाइयो का कल्याण करे.जय माँ