भूत- प्रेत साधना
तंत्र में भूत – प्रेत का अस्तित्व स्वीकार किया गया है | यह माना गया है की मृत्यु के उपरांत मनुष्य को कई बार प्रेत योनी में जाना पड़ता है पर पुनर्जन्म की अनेक घटनाए इस सम्बन्ध में सोचने के लिए विवश कर देती है | मृत्यु के बाद की दुनिया का कही कुछ न कुछ अस्तित्व है | इस बात को स्वीकार करना पड़ता है | प्रेत योनी में जाकर मनुष्य कई बार उत्पाती हो जाता है | वह अनेक प्रकार के आतंक बिखरा देता है | इस प्रकार का उपद्रव शान्त करने का विधान तंत्र शास्त्र में है | हमारे योग्य तांत्रिक उनका समय -समय पर प्रयोग करते है | प्रेतों की उपद्रवी सकती पर नियंत्रण करने के लिए निम्नलिखित तंत्र है-
‘ ॐ ह्रंच ह्रंच ह्रंच फट स्वाहा | ‘
ये बहुत ही सरल साधना है | किसी एकांत स्थान में शिव जी की मूर्ति की स्थापना कर प्रत्येक अर्धरात्रि में २५ बार पाठ आवश्यक है | इस प्रकार नियमित रूप से बिना नागा के २५०० हजार मंत्र का पाठ १०० दिन तक लगातार करना आवश्यक है | जप की माला रूद्राक्ष की होनी चाहिए | दिशा पूर्व या उत्तर की होनी चाहिए | २५०००० हजार मंत्र का पाठ हो जाये तो साधक शिव जी की आकृति की पूजा कर आ जाये | इस प्रकार की साधना करने के बाद साधक भूत-प्रेत ग्रस्त किसी भी व्यक्ति को या स्थान को मुक्त कर सकता है | साधक के आदेश का पालन भूत-प्रेत करते है और साधक भूत-प्रेत को देख सकता है और उनसे बात भी कर सकता है | …… .
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