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Saturday 12 May 2018

पुत्र प्राप्ति के कुछ सिद्ध उपाय

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यदि किसी व्यक्ति को संतान प्राप्ति में समस्या आ रही हो, तो ऐसे व्यक्ति इस लेख में लिखे गये सरल उपायों को अपना कर संतान की प्राप्ति अति ही सहजता के साथ कर सकते हैं। किंतु उपायों को अति सावधानी से व श्रद्धा के साथ करना अति आवश्यक होता है।
उपाय निम्नवत हैं:-
दंपति को गुरुवार का व्रत रखना चाहिए।
गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करें, पीली वस्तुओं का दान करें यथासंभव पीला भोजन ही करें।
माता बनने की इच्छुक महिला को चाहिए गुरुवार के दिन गेंहू के आटे की 2 मोटी लोई बनाकर उसमें भीगी चने की दाल और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर नियमपूर्वक गाय को खिलाएं।
शुक्ल पक्ष में बरगद के पत्ते को धोकर साफ करके उस पर कुंकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर थोड़े से चावल और एक सुपारी रखकर सूर्यास्त से पहले किसी मंदिर में अर्पित कर दें और प्रभु से संतान का वरदान देने के लिए प्रार्थना करें निश्चय ही संतान की प्राप्ति होगी ।
गुरुवार के दिन पीले धागे में पीली कौड़ी को कमर में बांधने से संतान प्राप्ति का प्रबल योग बनता है।
माता बनने की इच्छुक महिला को पारद शिवलिंग का रोजाना दूध से अभिषेक करें उत्तम संतान की प्राप्ति होगी ।
हर गुरुवार को भिखारियों को गुड़ का दान देने से भी संतान सुख प्राप्त होता है ।
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में आम की जड़ को लाकर उसे दूध में घिसकर स्त्री को पिलाएं यह सिद्ध एंवम परीक्षित प्रयोग है ।
रविवार को छोड़कर अन्य सभी दिन निसंतान स्त्री यदि पीपल पर दीपक जलाए और उसकी परिक्रमा करते हुए संतान की प्रार्थना करें उसकी इच्छा अति शीघ्र पूरी होगी ।
श्वेत लक्ष्मणा बूटी की 21 गोली बनाकर उसे नियमपूर्वक गाय के दूध के साथ लेने से संतान सुख की अवश्य ही प्राप्ति होती है ।
उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में नीम की जड़ लाकर सदैव अपने पास रखने से निसंतान दम्पति को संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है ।
नींबू की जड़ को दूध में पीसकर उसमे शुद्ध देशी घी मिला कर सेवन करने से पुत्र प्राप्ति की संभावना बड़ जाती है ।
पहली बार ब्याही गाय के दूध के साथ नागकेसर के चूर्ण का लगातार 7 दिन सेवन करने से संतान पुत्र उत्पन्न होता है ।
सवि ( सांवा) का भात और मुंग की दाल खाने से बांझ पन दूर होता है और पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है ।
गर्भ का जब तीसरा महीना चल रहा हो तो गर्भवती स्त्री को शनिवार को थोडा सा जायफल और गुड़ मिलाकर खिलाने से अवश्य ही पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी ।
पुराने चावल को धोकर भिगो दें बनाने से पहले उसके पानी को अलग करके उसमें नीबूं की जड़ को महीन पीसकर उस पानी को स्त्री पी कर अपने पति से सम्बन्ध बनाये वह स्त्री कन्या को जन्म देगी ।
संतान प्राप्ति के लिए पति-पत्नी दोनों को रामेश्वरम् की यात्रा करनी चाहिए तथा वहां सर्प-पूजन करवाना चाहिए। इस कार्य को करने से संतान-दोष समाप्त होता है।
स्त्री में कमी के कारण संतान होने में बाधा आ रही हो, तो लाल गाय व बछड़े की सेवा करनी चाहिए। लाल या भूरा कुत्ता पालना भी शुभ रहता है।
यदि विवाह के दस या बारह वर्ष बाद भी संतान न हो, तो मदार की जड़ को शुक्रवार को उखाड़ लें। उसे कमर में बांधने से स्त्री अवश्य ही गर्भवती हो जाएगी।
जब गर्भ धारण हो गया हो, तो चांदी की एक बांसुरी बनाकर राधा-कृष्ण के मंदिर में पति-पत्नी दोनों गुरुवार के दिन चढ़ायें तो गर्भपात का भय/खतरा नहीं होता।
यदि बार-बार गर्भपात होता है, तो शुक्रवार के दिन एक गोमती चक्र लाल वस्त्र में सिलकर गर्भवती महिला के कमर पर बांध दें। गर्भपात नहीं होगा।
जिन स्त्रियों के सिर्फ कन्या ही होती है, उन्हें शुक्र मुक्ता पहना दी जाये, तो एक वर्ष के अंदर ही पुत्र-रत्न की प्राप्ति होगी।
यदि बच्चे न होते हों या होते ही मर जाते हों, तो मंगलवार के दिन मिट्टी की हांडी में शहद भरकर श्मशान में दबायें।

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