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Tuesday, 22 May 2018

पुतली तंत्र – ४ जादू टोना

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पुतली तंत्र – ४ जादू टोना
किया-कराया; जादू-टोना; काला-जादू

अन्य विधि में जानकारियों का प्रयोग

पुतली तंत्र की विधि थोड़ी जटिल है और उसे वन शीट नें बताना भी पडेगा, इसलिए उसे भाग ५ में बताने की मजबूरी है. ये चार भाग जाने बिन आप पुतली तंत्र की पूरी वैज्ञानिकता नहीं समझ सकते और ना ही प्रयोग कर सकते है. ये जानकारियां सभी विधि के अभिचार कर्म के प्राण हैं. इनके बिना अभिचार  कर्म अपनें प्राणों का भी खतरा मोल लेना है. अभिचार भी शायद ही सफल हो.



इन जानकारियों का गृहस्थ जीवन में सामान्य उपयोग

१ गुदामार्ग पर दो मिनट पानी की तेज धार डालते हुए” हूँ अस्त्राय फट “मन्त्र जपते श्वास लेने से और रात में सरसों तेल की पर्याप्त मात्र मालिश करने से श्वांस की बिमारी दूर होती है.

२  सर के चाँद में, कान में तेल दाल कर “अंह:” मन्त्र जपते सोने वाला [गहरी श्वास खींचते समय अं और छोड़ते समय ह :], श्वास, कास, मानसिक तनाव के विकारों से मुक्त हो कर आयु, नीद, भगवत कृपा और सफलता प्राप्त करता है.

३ शिर के चाँद में औषधियों के (विकार के अनुसार) आद्र कल्क बाँध कर सोने से कठिन रोगों से मुक्ति मिलती है.

४ तलवों को साफ़ करके मदिरा से मालिश करके औषधियों का लेप लगाने और शिर को साफ़ कारके उप्रुक्त तेल मर्दन करने से राहू दोष दूर होता है और मष्तिष्क के रोग मिटते हैं.

५  नाभि में तेल डाल कर मालिश करने से (औषधि युक्त) उदार रोग, गर्भाशय विकार, मोटापा, वायुप्रकोप मिटता है.

६ दांत में कीड़े हों तो कान में मदार के रस और घी (बराबर) को गर्म करके आधा आधा घंटा पर डालने से दन्त शूल दो मिनट में मिटता है और कीड़े के दर्द से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है.

७ स्नान के समय का प्रयोग हम पहले बता आयें हैं.

८ प्रति दिन अमृत विन्दु पर केवल मन्त्र से न्यास करने पर ही दिव्य अनुभूतियाँ होने लगती हैं, चाहे किसी इष्ट का शान्ति भाव का मन्त्र हों.

९ शिर के चाँद पर तेज धर पानी डालने से भी (शिव मन्त्र) श्वास के रोग मिटते है.

अभिचार जर्म में इन जानकारियों  का उपयोग

पूजा, न्यास, अभिषेक, गुरुदीक्षा, चक्र पूजा, जप तप, सभी प्रकार के अभिचार कर्म मे इन गणनाओं की जरूरत होती है. शांति कर्म में अमृत योग, वशीकर्ण में अमृत योग, मारण, उच्चात्तन में विष योग की गणना की जाती है. इसी प्रकार ज्योतिष से मजबूत और कमजोर समय को निकाला जाता है. मर्म विन्दु का प्रयोग अभिचार की प्रकृति के अनुसार निकाला जाता है. पुतली तंत्र में तो इसके बिना एक कदम चलना भी खतरनाक है.



Ruchi Sehgal

पुतली तंत्र (क्रमांक ५) निर्माण एवं प्रयोग विधि

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पुतली तंत्र (क्रमांक ५) निर्माण एवं प्रयोग विधि
किया-कराया; जादू-टोना; काला-जादू

निर्माण के पदार्थ

साध्य के बाल, प्रयोग किये अधोवस्त्र, कुम्हार के चाक की मिट्टी, साध्य के नक्षत्र वृक्ष की छाल, उड़द का आटा, पीपल, काली मिर्च, और गेरू –



ये शुभ कार्य के लिए प्रयुक्त होता है. अशुभ कार्य के लिए रसोई की कालिख, चिता की राख, सेंधा और समुद्री नमक, हींग, सोंठ, लहसुन भी मिलाया जाता है. बाल को छोड़ कर सभी को कूट कर पुतली बनाई जाती है. बाल से काट कर रोम और सर सहित अन्य बालों का प्रत्यारोपण किया जाता है.

निर्माण मान

सोलह से बारह अंगुल तक व्यक्ति की औसत लम्बाई के अनुसार. नारी में चौदह से बारह अंगुल तक. इसे १६ भाग में बाँट कर, २ में सिर, १ में गर्दन, ६ में कंधे से कमर तक, ६ में जन्घसे पैर तक, ३ पर संधि घुटना दे कर बनाए. यह काम रात में गुप्त रूप से करना चाहिए. सभी अंगो को स्पष्ट चिकना बनाना चाहिए. साध्य से मिलता बनाना चाहिए. चार पुतली बनायीं जाती है.

प्राण प्रतिष्ठा विधान

यंत्र -वृत्त, उसके ऊपर वृत्त उसके ऊपर एक बड़ा वृत्त, उस पर कमल के दस दल, उसमें दसों प्राण शक्ति के नाम. नीचे मध्य से प्राण लिख कर क्रम में धनंजय तक, उसके बाहर चतुरस्त्र. लेखन चन्दन – रक्त चन्दन.

प्राण शक्ति के नाम -प्राण, अपान, समान, व्यान, उदान, नाग,कुर्म, कृकर, देवदत्त, धनन्जय

न्यास – षडंग न्यास – य से स तक के वर्ण से. पहले दो वर्ण, फिर उसमें का अंतिम वर्ण और अगला वर्ण, फिर उसमें का अंतिम और अगला, इसी क्रम से.

ह्री श्रीं यराभ्या हृदये नम :[क्रमश :]

पूजन – ह्रीं श्रीं …….. पादुका पूजयामि. दसों प्राणशक्ति के नाम क्रमश: खाली स्थान में दे दे कर. यंत्र के मध्य में प्राण शक्ति की तीन तीन मन्त्रों से पूजा करके मन्त्र जपें. पूर्व मुखी हो कर मन्त्र जपने की संख्या १२५००० है. दशांस से हवन करें. हवन में मदिरा, मांस, तिल, सरसों तेल, त्रि मधु लोग, तेजपत्ता, कपूर, दालचीनी प्रयुक्त करें.

मन्त्र – अमुष्य प्राण इह प्राणा अमुष्य जीव इह स्थित अमुष्य सर्वेन्द्रियानि अमुष्य, वांमन: प्राणा इहायान्तु स्वाहा

रूप ध्यान –अत्यंत चमकीले सूर्य जैसा विन्दु मध्य में.

पुतली प्राण प्रतिष्ठा

त्वक, स्रइं, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र, ओज इन धातुओं को एक एक करके य से स तक विन्दु लगा कर प्रारंभ में दे कर बाद में “प्रतिष्ठित भव:” कहें. इस समय पुतली को यंत्र के मध्य में रखें. चारो को. ऐसा ९ b करके तब प्राण प्रतिष्ठा मन्त्र १०८० की संख्या में जप करें. मन्त्र पूर्व के अनुसार सिद्ध होना चाहिए .

प्रति दिन इस सख्या में मन्त्र जपने पर एक महीने में यह अभिचार के योग्य होती है. इस पर सभी तरह के प्रयोग किये जा सकते हैं. कुछ के प्रयोग आगे बाते जाएंगे.



Ruchi Sehgal

खतरनाक किया कराया का लक्षण और निदान(Black Magic)

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खतरनाक किया कराया का लक्षण और निदान(Black Magic)
किया-कराया; जादू-टोना;

किसी स्त्री या पुरुष को ऐसे भयभीत और झुरझुरा देने वाला सपने आना, जो वह किसी से कह भी न सके।  सुबह कमजोरी होना और सारा दिन बुझे रहना।  मल-मूत्र –दिल की धड़कन-मासिक के विकार रहना।
दौरे पड़ना। पैर के तलवों पिंडलियों से या नाभिक के नीचे से किसी भारी अदृश्य शक्ति का ऊपर चढना और ह्रदय एवं मस्तिष्क को जकड़ लेना।  चीखना-चिल्लाना बिस्तर से उठ कर भागना और बेहोशी।
अनजानी अदृश्य शक्ति द्वारा वश में कर लेना और रतिक्रीड़ा करना-करवाना। बदन पर इस रति का दाग उभरना
नींद न आना , सर में लगातार दर्द(Headache), वीभत्स सपने।  आत्महत्या (Suicide) कर लेने की दशा।
पानी से भागना/नहाने से भागना/घर से भागना /सोते में उठाकर भागना – इनमें से कोई भी, जब कोई कारण न हो।
पति से सहवास की भारी अनिच्छा, मगर दूसरे को देखकर उत्तेजित हो जाना या रोमांटिक हो जाना।
पत्नी से रति न कर पाना, पर दूसरी स्त्री के साथ कोई समस्या नहीं ।
जागते हुए या तन्द्रा में ऐसी चीजों म शक्तियों को देखना जो सामान्य दृष्टि में नहीं आते। भूत-प्रेत-छाया-देवी-देवता, पितर को देखना। भयभीत होकर चीखना या पागलों की तरह उससे बातें करना।
एकाएक दृष्टि रोककर कुछ देखना, फिर चिल्लाते हुए बेहोश हो जाना या दौरे पड़ना, जिसमें रोना-गाना-हंसना , श्राप देना, आशीर्वाद देना, हिंसक हो जाना या अपने कपड़े फाड़ना-उतारना, अश्लील हरकतें करना आदि कोई भी होता है ।
अपने अंदर किसी और के होने और उसका दबाब महसूस करने , दो इच्छाओं का एक साथ होना, कोई जबरदस्ती जो न करना चाहे, वह करवाता है।
भविष्यवाणी करना . अपनी या अन्य की मृत्यु की तिथि , अनिष्ट की तिथि बताना। बर्बाद होने का श्राप देना या स्वयं अपनी बर्बादी का बिलाप करते कलपना ।
आँख बंद करते ही भय और भयानक चेहरे दृश्य दिखाई देना, जिससे भयभीत होकर सो न पाना।
कीड़ो को बिस्तर या अपने ऊपर आक्रमण करते अनुभूत करना, बिस्तर बार-बार झाड़ना अजब-गजब चीजों को आक्रमण करते अनुभूत करना, बिलखना ।
हर चीज से मृत्यु का भय। भय कि कोई कुछ खिलाकर मार डालेगा।  उस व्यक्ति का नाम लेना और भला-बुरा कहना ।
व्यवसाय , कार्य नौकरी आदि में बार – बार परिश्रम करने पर भी असफलता और सपने में या जागते हुए भारी अनिष्ट होते हुए देखना ।
कोई शरीर तोड़ रहा है, टुकड़े-टुकड़े कर रहा है या मार रहा है या तलवार लेकर काटना चाहता है ।
बिना कारण के रोना, पैखाना-पेशाब करने के पहले रोने लगना, मासिक प्रारम्भ होने से पहले हर बार होना, मरने की इच्छा प्रकट करना , यह कहना कि वह जिन्दा न रहेगा।
उग्र निर्लज्जता , नाचना –गाना, कपड़े उतारना , नग्न (nude) हो जाना , कपड़े खोते भागना , दौरे के बाद कुछ याद न रहना



Ruchi Sehgal