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Friday 17 August 2018

जाति प्रथा मै भेदभाव के कारण जानिये

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मुस्लिम शासन आने के बाद हिन्दू समाज में फुट डालने का काम शुरू हुआ | अंग्रेजों ने इस विरोध को नफरत में बदलने का काम किया ताकि भारत के लोगो में कभी एकता न आ सके | जब तक हिन्दू समाज में एकता रही भारत को पूरी दुनिया में 'सोने की चिड़िया' कहा जाता था | जिनको आज दलित कहा जाता है वे समाज के मुख्य धारा का हिस्सा थे | बाल्मीकि जी ने संस्कृत में रामायण लिखी जिस से सिद्ध होता है कि समाज के सभी लोग संस्कृत की शिक्षा प्राप्त करते थे | वेद-व्यास ने महाभारत और भगवत-गीता की रचना की | वे भी दलित समाज से सम्बंधित थे परन्तु इन पुस्तकों को भारतीय समाज में सबसे ज्यादा सम्मान प्राप्त था और है | नाई को सारे भारत में सबसे ज्यादा भरोसा प्राप्त था | उसके द्वारा बताये परिवार में ही लड़का-लड़की की रिश्ता किया जाता था |*ब्राह्मणों ने समाज को तोड़ा नही अपितु जोडा है। छुआ-छूत भारतीय समाज में प्राचिन काल में नहीं था | शबरी के झूठे बेर भी क्षत्रिय जाति के राम ने बिना किसी भेदभाव, छुआ-छूत के खाए | छुआ-छूत का आरम्भ भारत में मुस्लिमों के आने के बाद हुआ क्योंकि वे मांसाहारी भोजन खाते थे,उनके प्रभाव में आकर भारत की कुछ जातियों के लोगो ने जब मांसाहार खाना शुरू किया तो ब्राह्मणों में उनके छुए खाने को मना किया | कुम्हार समाज के सभी लोगो के लिए बर्तन  बनाते थे, ब्रह्माण अपने बर्तन आप तो बनाते नहीं थे | जुलाहे सबके लिए ही कपडे बनाते थे | समाज में लेन-देन प्रणाली ही लागु थी,पैसा नहीं था, अनाज या वस्तुओं की अदला-बदली ही की जाती थी | लोहार,खाती,बढ़ई सभी किसान की मदद करते थे और गाँव में सभी उनकी सहायता लेते थे| फसल कटाई के समय सभी की मदद ली जाती थी | कटाई के बाद सभी को अनाज में हिस्सा दिया जाता था
🤷♂ 🤝ब्राह्मण ने विवाह के समय समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े *दलित* को जोड़ते हुये अनिवार्य किया कि *दलित* स्त्री द्वारा बनाये गये चुल्हे पर ही सभी शुभाशुभ कार्य होगें।
इस तरह सबसे पहले *दलित* को जोडा गया .....
🤷♂ 🤝 *धोबन*के द्वारा दिये गये जल से से ही कन्या सुहागन रहेगी इस तरह धोबी को जोड़ा...
🤷♂ 🤝 *कुम्हार* द्वारा दिये गये मिट्टी के कलश पर ही देवताओ के पुजन होगें यह कहते हुये कुम्हार को जोड़ा...  🤷♂ 🤝 *मुसहर जाति* जो वृक्ष के पत्तों से पत्तल/दोनिया बनाते है यह कहते हुये जोड़ा कि इन्हीं के बनाए गये पत्तल/दोनीयों से देवताओं का पुजन सम्पन्न होगे...
🤷♂ 🤝 *कहार* जो जल भरते थे यह कहते हुए जोड़ा कि इन्हीं के द्वारा दिये गये जल से देवताओं के पुजन होगें...
🤷♂ 🤝 *बिश्वकर्मा* जो लकड़ी के कार्य करते थे यह कहते हुये जोड़ा कि इनके द्वारा बनाये गये आसन/चौकी पर ही बैठकर वर-वधू देवताओं का पुजन करेंगे ...
🤷♂ 🤝 फिर जुलाहा जाति  जोड़ते हुये कहा गया कि इनके द्वारा सिले हुये वस्त्रों (जामे-जोड़े) को ही पहनकर विवाह सम्पन्न होगें...
🤷♂ 🤝फिर  बंजारा जाति की  औरतों* को यह कहते हुये जोड़ा गया कि इनके द्वारा पहनाई गयी चूडियां ही बधू को सौभाग्यवती बनायेगी...
🤷♂ 🤝 *धारीकार* जो डाल और मौरी को दुल्हे के सर पर रख कर द्वारचार कराया जाता है,को यह कहते हुये जोड़ा गया कि इनके द्वारा बनाये गये उपहारों के बिना देवताओं का आशीर्वाद नहीं मिल सकता.... *
  🤷♂ 🤝 *डोम* जो गंदगी साफ और मैला ढोने का काम किया करते थे उन्हें यह कहकर जोड़ा गया कि *मरणोंपरांत* इनके द्वारा ही प्रथम मुखाग्नि दिया जायेगा....
👉इस तरह समाज के सभी वर्ग जब आते थे तो घर कि महिलायें मंगल गीत का गायन करते हुये उनका स्वागत करती है।
और पुरस्कार सहित दक्षिणा देकर बिदा करती थी...,
*ब्राह्मणों का दोष कहाँ है*?...हाँ *ब्राह्मणों* का दोष है कि इन्होंने अपने ऊपर लगाये गये निराधार आरोपों का कभी *खंडन* नहीं किया, जो *ब्राह्मणों* के अपमान का कारण बन गया। इस तरह जब समाज के हर वर्ग की उपस्थिति हो जाने के बाद ब्राह्मण *नाई* से पुछता था कि क्या सभी वर्गो कि उपस्थिति हो गयी है...?
🤙 *नाई* के हाँ कहने के बाद ही *ब्राह्मण* मंगल-पाठ प्रारम्भ किया करते हैं।
*ब्राह्मणों* द्वारा जोड़ने कि क्रिया को छोड़वाया कुछ *ब्राह्मण विरोधी* लोगों ने और दोष ब्राह्मणों पर लगा दिया।
🙏 *ब्राह्मणों* को यदि अपना खोया हुआ वह सम्मान प्राप्त करना है तो इन बेकार वक्ताओं के वक्तव्यों का कड़ा विरोध कर रोक लगानी होगी।......
देश में फैले हुये समाज विरोधी *साधुओं* और *ब्राह्मण विरोधी* ताकतों का विरोध करना होगा जो अपनी अज्ञानता को छिपाने के लिये *वेद और ब्राह्मण* कि निन्दा करतेे हुये पूर्ण भौतिकता का आनन्द ले रहे हैं।......


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