रामचरित मानस गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध ग्रन्थ है यह ग्रन्थ स्थानीय अवधी भाषा में लिखा गया था। उस समय के सभी विद्वानों ने तथा प्रकृष्ट पंडितो ने इस ग्रन्थ का भरपूर विरोध किया था। क्युकी उनका मानना था संस्कृत भाषा के आलावा और किसी भाषा में पूजा अर्चना व् देव स्तुति नहीं की जा सकती। परन्तु गोस्वामी तुलसीदास केवल लेखक , पंडित और ज्ञानी नहीं थे अपितु श्री राम के दृढ़ भक्त भी थे और ऐसा कैसे हो सकता है के प्रभु अपने भक्तो के प्रेम और मान की रक्षा न करे। धीरे धीरे इस ख्याति दूर तक फ़ैल गई और स्थानीय भाषा और हिंदी में रचित दोहे सभी लोगो को बहुत भाये। आज हम इसी ग्रन्थ के कुछ महत्व पूर्ण मंत्रो के बारे में बताने जा रहे है। यह मंत्र शत्रु करेंगे। निम्नलिखित मंत्रो का जाप आपको शत्रु की बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करेंगे।
शत्रुता समाप्ति के लिए
गरल सुधा रिपु करहि मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
गरल सुधा रिपु करहि मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
शत्रुनाश के लिए
बयरु न कर काहू सन कोई।
राम प्रताप विषमता खोई।।
शत्रु का सामना करने के लिए
कर सारंग कटि माथा।
अरि दल दलन चले रघुनाथा।
प्रयोजन में विजय पाने के लिए
तेहि अवसर सनि सिवधनुभंगा।
आयऽभृगुकुलकमल पतंगा।।
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