पुराने जमाने मे मुद्रा के चलन मे नही होने पर कौडी का प्रयोग किया जाता था और वस्तुओ की खरीददारी आदि कौडी से की जाती थी,कौडी से गिनती की क्रिया भी पूरी की जाती थी तथा कौडी के अनुसार ही एक दूसरे को सन्देश भेजने की क्रिया की जाती थी। आज भी एक कहावत बडे रूप से कही जाती है कि "दो कौडी की औकात है" या कौडी की औकात नही है फ़िर भी आगे आगे फ़िरने की कोशिश करते हो। कौडी समुद्र और नदियों मे पायी जाती है। सबसे उत्तम समुद्र की कौडी मानी जाती है,तथा नर्मदा के समुद्र मे मिलने के स्थान की कौडी भारी भी होती है और काम की भी मानी जाती है। कौडी का प्रयोग बुध ग्रह के तंत्रो मे किया जाता है। जब बुध ग्रह परेशान करने लगता है तो लोग कौडी को उपाय के रूप मे प्रयोग करते है,तांत्रिक लोग बिना कौडी के कभी तंत्र विद्या का प्रयोग नही करते है। बुध कमन्यूकेशन का ग्रह है जब भी लोग अन्जान लोगो से मुलाकात करने जाते है सिद्ध कौडी को अपने साथ ले जाते है,शमशानी क्रियाओं मे भी कौडी का इस्तेमाल किया जाता है। जहां शिव लिंग पर भस्म का प्रयोग किया जाता है वहां कौडी की भस्म अपनी मान्यता अलग ही रखती है,कई बार कौडी को सजाने के काम मे भी लिया जाता है और इसे मंत्र से अभिषिक्त करने के बाद लोग अपने घर मे भी रखते है भारत मे कई जातिया कौडी को अभिमंत्रित करने या करवाने के बाद बच्चो और पशुओं के गले मे भी बांधते है,कौडी का प्रयोग जुआ आदि खेलने के काम भी लिया जाता है जहां चित्त पट्ट कौडी के रूप मे हार जीत का फ़ैसला किया जाता है,जैसे चार कौडी को उछाला गया और चारो ही पट्ट पड गयी तो बडी जीत या बडी हार मानी जाती है वैसे ही एक दो तीन आदि के लिये भी माना जाता है। चौपड खेल मे कौडी का बहुत महत्व है यह रजबाडो के जमाने मे खेला जाता था तथा आज भी कहीं कहीं चंगा पो नामक खेल खेला जाता है।
कौडियों मे चौसठिया कौडी की अधिक मान्यता है यह अधिकतर समुद्र मे ही मिलती है और गहरे सरोवरो मे भी कभी कभी मिल जाती है।इस कौडी का रूप भी बडा होता है और यह अक्सर दीपावली ग्रहण आदि के समय लोगो की तिजोरियों से बाहर आती है,अन्यथा यह अद्रश्य ही रहती है,किसी को भाग्य से यह किसी समुद्री आइटम बेचने वाले की दुकान पर मिल जाये तो भाग्य वाली बात भी मानी जाती है.
इस कोडी का प्रयोग लोग अपने व्यवसाय स्थान मे बिक्री आदि के बढाने के लिये रखते है किसी खतरनाक काम को करने के लिये यह अपने साथ जेब मे रखकर ले जायी जाती है,अक्सर बीमारी की अवस्था मे इसे सिरहाने रखा जाता है। चौसठिया का रूप अक्सर व्याधि नजर तंत्र आदि को खाने के लिये माना जाता है,इस कौडी की विशेषता होती है कि किसी भी कमरे आदि मे खुले मे रखने के बाद जब इसे साफ़ पानी से धोया जाता है तो इसके अन्दर से पीले रंग का पानी निकलता है साथ ही जब किसी बन्द बक्से और तिजोरी आदि मे रखा जाता है तो धोने पर पानी का रंग कालिमा लिये होता है,बीमारी की अवस्था मे सिरहाने रखने के बाद धोने पर इसके धोने का पानी हल्की लालिमा लिये होता है,कोई दोष नही होने पर यह साफ़ पानी ही दिखाती है।
Tuesday, 22 January 2019
चौसठिया कौडी, chosathiya kodi
वास्तु के अनसुने पर अचूक नियम, vaastu ke niyam
सूर्योदय की पहली किरण का अवरोध मकान के लिये विध्वंशकारी होता है,मन्दिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारा के दक्षिण पश्चिम में जगह खाली होती है या वीराना होता है भूल से कोई मकान होता भी है तो मकान मे रहने वाले नही होते है.
दक्षिण का कुआ घर मे उपरत्व के प्रभाव को पैदा करते है या तो घर मे पुरुष संतति होती ही नही है और होती भी है तो नकारा होती है.
घर के ईशान में गन्दगी घर के सदस्यों के अन्दर चरित्र की स्थिति को संदिग्ध रखते है पिता पुत्र के बीच भी वैमनस्यता का होना जरूरी हो जाता है पति पत्नी के बीच रिस्तो में दरार आना और बेकार के रिस्ते बनना भी देखा जाता है.
दलाली के काम करने वाले अक्सर जीवन के किसी भी एक भाग मे अपंगता को ग्रहण कर लेते है और उनकी पहिचान उनके दक्षिण पश्चिम में खिडकी या रोशनदान से होती है.
मकान का अग्नि मुखी दरवाजा आग और चोरी का कारक होता है,यह सब स्त्रियों के कारण ही होता है या तो स्त्री अपने घर के भेद को बाहर देती है या स्त्री के अन्दर बेकार की हवाये आकर मन को उद्वेलित करती है.
घर के वायव्य में झूला का होना किस्मत और प्रसिद्धि को हवा मे झुलाने के लिये माना जाता है,यहां तक कि खुद के रिस्तेदार भी कभी तो अच्छा बोलने लगते है और कभी बुराई करने लगते है.
दक्षिण पश्चिम मुखी मकान मे कोई एक व्यक्ति अपंग जरूर होता है और अपंगता भी खुद के व्यसनो के कारण ही होती है.
घर के दरवाजे पर लकडी या अन्य प्रकार की काटने वाली मशीन से घर में घर के सदस्य ही एक दूसरे को अपने अपने स्वार्थ के लिये काटने लगते है.
जन्म स्थान से पूर्व दिशा की ससुराल पुत्र सन्तान मे कमी देती है पश्चिम की ससुराल पुत्र सन्तान मे बढोत्तरी करती है उत्तर की ससुराल कन्या और पुत्र सन्तान को सन्तुलित रखने वाली होती है जबकि दक्षिण की ससुराल हमेशा कामी और नाम को बदनाम करने वाली सन्तान को ही देती है.
शहर के उत्तर का पानी शहर को धनी बनाता है पूर्व का पानी धर्म को बढाने वाला होता है पश्चिम का पानी शहर को ऊंची इमारतो को देने वाला होता है जबकि दक्षिण का पानी शहर को डाक्टरी और तकनीकी क्षेत्र मे विकास को देने वाला होता है.
ईशान की रसोई घर के मालिक को चिन्ता देने वाली होती है और किसी न किसी कारण से ग्रह स्वामी का मन जलता रहता है अग्नि की रसोई भोजन को देने वाली और घर के सदस्यों की बुद्धि को ठीक रखने वाली होती है नैऋत्य कोण की रसोई घर मे बीमारी को पैदा करने वाली और वायव्य की रसोई भोजन के मदो मे अधिक खर्च करने वाली होती है.
जिस मकान की छत पर पताका स्त्रियों के पैरो में पाजेब और पुरुषों को अपने कान ढककर रखने का चलन होता है उन घरो में बुरी शक्तियां प्रवेश नही कर पाती है.
छत पर शाम के समय स्त्री अगर बाल सुखा रही होती है कंघी कर रही होती है राहु उस स्त्री को मानसिक बीमारी से परेशान किये रहता है.
जिस घर मे अप्राकृतिक शक्तियों का निवास होता है उस घर मे एक्वेरियम में मछलियां अधिक मरती है.
रसोई मे अपने आप बर्तन गिरने लगें तो समझ लेना चाहिये कि किसी प्रकार की कलह होने वाली है यही बात दूध के उफ़न कर गिरने से भी मानी जाती है.
घर मे शाकिनी स्त्री के प्रवेश के पहले ही घर के आंगन को ढक दिया जाता है.
घर के नैतृत्य में रोशनदान तभी खोला जाता है जब घर मे भान्जे भतीजे या साले या मामा का निवास होना शुरु होता है.
घर मे पुत्र संतान के नही होने से अक्सर कुत्ते पालने की प्रथा परिवारों मे होती है जैसे ही पुत्र संतान का आगमन होता है कुत्ता मर जाता है,लेकिन पुत्र के पैदा होने के तेरह महिने के अन्दर दूसरा कुत्ता जरूर पाल लेना चाहिये.
बीज नंतरो में कैसे देखे भगवान , Beej mantro mei kaise kare bhagwan darsha
हमारे भारत वर्ष में अक्षर पूजा की मान्यता रही है,अक्षरों को मूर्तियों में उकेर कर और उनके रूप को सजाकर विभिन्न नाम दिये गये है। समय की धारा में मूर्ति को ही भगवान मान लिया गया और उन्ही की श्रद्धा से पूजा की जाने लगी,हनुमान जी की पूजा का अर्थ भी यही लिया गया। अक्षर "ह" को सजाकर और ब्रह्मविद्या से जोड कर देखा जाये तो "हं" की उत्पत्ति होती है। मुँह को खोलने के बाद ही अक्षर "ह" का उच्चारण किया जा सकता है। अक्षर "हं" को उच्चारित करते समय नाक और मुंह के अलावा नाभि से लेकर सिर के सर्वोपरि भाग में उपस्थित ब्रह्मरन्ध तक हवा का संचार हो जाता है। "हं हनुमतये नम:" का जाप करते करते गला जीभ और व्यान अपान सभी वायु निकल कर शरीर से बाहर हो जाती हैं। इसी प्रकार मारक अक्षर "क" का सम्बोधन करने पर और बीजाक्षर "क्रीं" को सजाने पर मारक शक्ति काली का रूप सामने आता है,लेकिन बीज "क्रां" को सजाने पर पर्वत को धारण किये हुये हनुमान जी का रूप सामने आजाता है,ग्रहों के बीजाक्षरों को उच्चारण करने पर उन्ही अक्षरों के प्रयोग को सकारात्मक,नकारात्मक और द्विशक्ति बीजों का उच्चारण किया जाता है। जैसे मंगल जिनके देवता स्वयं हनुमान जी है,के बीजात्मक मंत्र के लिये "ऊँ क्रां क्रीं क्रौं स: भोमाय नम:" का उच्चारण किया जाता है,इस बीज मंत्र में "क्र" आक्रामक रूप में सामने होता है,बडे आ की मात्रा लगाने पर समर्थ होता है और बिन्दु का प्रयोग करने पर ब्रह्माण्डीय शक्तियों का प्रवेश होता है।
इसी प्रकार से अगर शिव जी के मंत्र को जपा जाता है तो "ऊँ नम: शिवाय" का जाप किया जाता है,अक्षर "श" को ध्यानपूर्वक देखने पर बैठे हुये भगवान शिव का रूप सामने आता है,लेकिन जबतक "इ" की मात्रा नही लगती है,तब तक शब्द "शव" ही रहता है,इ की मात्रा लगते ही "शिव" शक्ति से पूर्ण हो जाता है,शनि देव का रंग काला है और ग्रहों के लिये इनका प्रयोग शक्ति वाले श का प्रयोग किया गया है,अगर शनि के बीज मंत्र को ध्यान से देखें तो "शं" बीज का प्रयोग किया गया है,"ऊँ शं शनिश्चराय नम:" का जाप करने पर भगवान शनि के द्वारा दिये गये कठिन समय को आराम से निकाला जा सकता है।
लेकिन अक्षर "शं" को साकार रूप में सजाने पर मुरली बजाते हुये भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति भी मिलती है,और उस मूर्ति का रंग भी काला है,वृंदावन में कोकिलावन की उपस्थिति इसी बात का द्योतक मानी जा सकती है। शब्द हरि को अगर सजा दिया जाये तो लिटाकर रखने पर सागर के अन्दर लेटी हुयी भगवान विष्णु की प्रतिमा को माना जा सकता है। "श्रीं" शब्द को सजाकर देखा जाये तो लक्ष्मी जी का रूप साक्षात देखा जा सकता है।
ह्रीं को सजाकर देखने पर माता सरस्वती को देखा जा सकता है,इसी प्रकार से विभिन्न अक्षरों को सजाकर देखने पर उन भगवान के दर्शन होते है।
Thursday, 17 January 2019
क्यूँ करे कुलदेवता कुलदेवी की पूजा, kyo kare kuldevta ki pooja
क्यूँ करे कुलदेवता कुलदेवी की पूजा
कौन है ? कुलदेवता/कुलदेवी पूजा क्यो करनी चाहिये ?
हिन्दू पारिवारिक आराध्य व्यवस्था में कुल देवता/कुलदेवी का स्थान सदैव से रहा है।
प्रत्येक हिन्दू परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज हैं जिन से उन के गोत्र का पता चलता है।
बाद में कर्मानुसार इन का विभाजन वर्णों में हो गया विभिन्न कर्म करने के लिए जो बाद में उन की विशिष्टता बन गया और जाति कहा जाने लगा।
हर जाति वर्ग ,किसी न किसी ऋषि की संतान है , और उन मूल ऋषि से उत्पन्न संतान के लिए वे ऋषि या ऋषि पत्नी कुलदेव / कुलदेवी के रूप में पूज्य हैं।
पूर्व के हमारे कुलों अर्थात पूर्वजों के खानदान के वरिष्ठों ने अपने लिए उपयुक्त कुल देवता अथवा कुलदेवी का चुनाव कर उन्हें पूजित करना शुरू किया था।
जिससे कि एक आध्यात्मिक और पारलौकिक शक्ति कुलों की रक्षा करती रहे ! जिस से उनकी नकारात्मक शक्तियों/ऊर्जाओं और वायव्य बाधाओं से रक्षा होती रहे तथा वे निर्विघ्न अपने कर्म पथ पर अग्रसर रह उन्नति करते रहें।
समय क्रम में परिवारों के एक दुसरे स्थानों पर स्थानांतरित होने ,धर्म परिवर्तन करने आक्रान्ताओं के भय से विस्थापित होने।
जानकार व्यक्ति के असमय मृत होने संस्कारों के क्षय होने ,विजातीयता पनपने ,इन के पीछे के कारण को न समझ पाने आदि के कारण बहुत से परिवार अपने कुल देवता /देवी को भूल गए अथवा उन्हें मालूम ही नहीं रहा की उन के कुल देवता /देवी कौन हैं या किस प्रकार उनकी पूजा की जाती है।
इन में पीढ़ियों से नगरों में रहने वाले परिवार अधिक हैं ,कुछ स्वयंभू आधुनिक मानने वाले और हर बात में वैज्ञानिकता खोजने वालों ने भी अपने ज्ञान के गर्व में अथवा अपनी वर्त्तमान अच्छी स्थिति के गर्व में इन्हें छोड़ दिया या इन पर ध्यान नहीं दिया।
कुल देवता /देवी की पूजा छोड़ने के बाद कुछ वर्षों तक तो कोई ख़ास अंतर नहीं समझ में आता किन्तु उस के बाद जब सुरक्षा चक्र हटता है।
तो परिवार में दुर्घटनाओं नकारात्मक ऊर्जा ,वायव्य बाधाओं का बेरोक-टोक प्रवेश शुरू हो जाता है।
उन्नति रुकने लगती है पीढ़िया अपेक्षित उन्नति नहीं कर पाती ,संस्कारों का क्षय ,नैतिक पतन कलह, उपद्रव ,अशांति शुरू हो जाती हैं।
व्यक्ति कारण खोजने का प्रयास करता है, कारण जल्दी नहीं पता चलता क्यों कि व्यक्ति की ग्रह स्थितियों से इन का बहुत मतलब नहीं होता है।
अतः ज्योतिष आदि से इन्हें पकड़ना मुश्किल होता है , भाग्य कुछ कहता है ,और व्यक्ति के साथ कुछ और घटता है।
कुल देवता या देवी हमारे वह सुरक्षा आवरण हैं ! जो किसी भी बाहरी बाधा नकारात्मक ऊर्जा के परिवार में अथवा व्यक्ति पर प्रवेश से पहले सर्व-प्रथम उस से संघर्ष करते हैं और उसे रोकते हैं।
यह पारिवारिक संस्कारों और नैतिक आचरण के प्रति भी समय समय पर सचेत करते रहते हैं।
यही किसी भी ईष्ट को दी जाने वाली पूजा को ईष्ट तक पहुचाते हैं।
यदि इन्हें पूजा नहीं मिल रही होती है ,तो यह नाराज भी हो सकते हैं ,और निर्लिप्त भी हो सकते हैं।
ऐसे में आप किसी भी ईष्ट की आराधना करे वह उस ईष्ट तक नहीं पहुँचता।
क्यो कि सेतु कार्य करना बंद कर देता है ! बाहरी बाधाये ,अभिचार आदि नकारात्मक ऊर्जा बिना बाधा व्यक्ति तक पहुचने लगती है।
कभी-कभी व्यक्ति या परिवारों द्वारा दी जा रही ईष्ट की पूजा कोई अन्य बाहरी वायव्य शक्ति लेने लगती है।
अर्थात पूजा न ईष्ट तक जाती है ,न उस का लाभ मिलता है।
ऐसा कुलदेवता की निर्लिप्तता अथवा उन के कम शशक्त होने से होता है।
कुलदेवता या देवी सम्बंधित व्यक्ति के पारिवारिक संस्कारों के प्रति संवेदनशील होते हैं , और पूजा पद्धति ,उलट-फेर ,विधर्मीय क्रियाओं अथवा पूजाओं से रुष्ट हो सकते हैं।
सामान्यतया इन की पूजा वर्ष में एक बार अथवा दो बार निश्चित समय पर होती है ,यह परिवार के अनुसार भिन्न समय होता है ,और भिन्न विशिष्ट पद्धति होती है।
शादी-विवाह-संतानोत्पत्ति आदि होने पर इन्हें विशिष्ट पूजाएँ भी दी जाती हैं।
यदि यह सब बंद हो जाए तो या तो यह नाराज होते हैं ! या कोई मतलब न रख मूकदर्शक हो जाते हैं ,और परिवार बिना किसी सुरक्षा आवरण के पारलौकिक शक्तियों के लिए खुल जाता है।
परिवार में विभिन्न तरह की परेशानियां शुरू हो जाती हैं ! अतः प्रत्येक व्यक्ति और परिवार को अपने कुल देवता या देवी को जानना चाहिए तथा यथायोग्य उन्हें पूजा प्रदान करनी चाहिए।
जिससे परिवार की सुरक्षा उन्नति होती रहे।
बेड के नीचे रखे ये चीज़े और बदलेकिस्मत, bed ke neeche rakhe ye cheeje
अगर आप सितारे बदलना चाहते हैं तो अपने बेड पर आराम करते हुए भी बदल सकते हैं |. ये आपको अजीब लग रहा होगा कि ये कैसे हो सकता है? लेकिन ये सच है क्योंकि ज्योतिष के अनुसार कुछ ऐसे उपाय होते है जो बेड पर सोकर भी कर सकते हैं जिनसे किस्मत बदली जा सकती हैं. जानें कैसे –
* अगर आपकी कुंडली में सूर्य अशुभ है व उसका कुप्रभाव आपको परेशान कर रहा है तो पलंग के नीचे तांबे के पात्र में जल या तकिए के नीचे लाल चंदन रखें |.
* यदि चंद्र से परेशान हों तो पलंग के नीचे चांदी के बर्तन में जल रखें या चांदी के आभूषण धारण करें |.
* यदि कुंडली में मंगल अशुभ है तो पलंग के नीचे कांसे के बर्तन में जल रखें या सोने-चांदी मिश्रित आभूषण तकिए के नीचे रखें |.
* यदि आप बुध से परेशान हों तो तकिए के नीचे सोने के आभूषण रखें |.
* गुरु से परेशान हों तो पलंग के नीचे पीतल के बर्तन में जल रखें या हल्दी की गांठ पीले कपड़े में बांधकर तकिए के नीचे रखें |.
* शुक्र से संतप्त हों तो चांदी की मछली बनाकर तकिए के नीचे रखें या पलंग के नीचे चांदी के पात्र में जल रखें |.
* शनि से संतप्त हों तो लोहे के पात्र में पलंग के नीचे जल रखें या तकिए के नीचे लोहा या नीलम रखें।
सेल्फी फ़ोटो से खोले किस्मत Selfie photo se khole kismat
हम लोग जो सेल्फी लेते है वो भी हमारे जीवन के कई राज खोलती है आप के चेहरे को देख कर आप के बारे में काफी कुछ बाते पता चल सकती है।यदि आप किसी परेशानी से जूझ रहे है तो अपनी सेल्फी द्वारा कैसे उस परेशानी से निजात पाये।
सेल्फी के कुछ आजमाए हुए प्रयोग-
1.आप को यदि अपने कामों में सफलता नही मिल रही है। योग्यता के अनुसार कार्यक्षेत्र नही मिल पा रहा है तो आप उगते सूर्य के साथ अपनी सुन्दर सेल्फी लीजिये ओर बेडरूम में पूर्व दिशा की दीवार पर टांग दीजिये तथा नित्य सबसे पहले इसे 6 मिनिट लगातार देखिये ओर उत्तम कार्यक्षेत्र की कामना कीजिये।
2.यदि आप से सब ही अकारण नाराज़ रहते है तो आप फूलों के साथ सेल्फी लीजिये ओर प्रेम की दिशा उत्तर-पूर्व में फ़ोटो फ्रेम करवा कर टांग दीजिये ओर नित्य 7 मिनिट प्रेम से खुद को निहारिये।
3.आप के जीवन मे स्थायित्व नही है तो पहाड़ के साथ सेल्फी लीजिये ओर कक्ष में दक्षिण दिशा की तरफ पर फ़ोटो बनवा कर किसी अलमारी में रखिये दीवार पर नही टांगना है।और नित्य खुद को बरगद की मिट्टी का तिलक लगाइए ओर स्थायित्व की 9 मिनिट तक कामना कीजिये।
4.आप पर यदि खर्चा कमाई से भारी पड़ रहा है तो हनुमान मंदिर के साथ सेल्फी लेकर दक्षिण की तरफ अलमारी में रखिये ओर खुद को गुड़ का भोग लगा कर नित्य 9 मिनिट निहारिये ओर ऐसी कामना कीजिये कि कर्ज समाप्त हो रहा है।
5.आपको आर्थिक परेशानी है तो किसी पीपल के पेड़ के साथ सेल्फी लीजिये ओर फ्रेम करवा कर पश्चिम की दीवार पर फ़ोटो टांगना है।नित्य 8 मिनिट स्वयं से यह कहना है कि आप धनवान है।सिर्फ इतना ही कहना अपनी तरफ से कोई शब्द नही जोड़ें।
6.गणेश जी साथ सेल्फी लेने से अभिचार कर्म से बचा जा सकता है।वॉर गुरुवार दोपहर बाद सेल्फी लेवे।
7.जीवन मे कोई खुशी नही है जीवन निराश है तो खुद को किसी हरे घास के मैदान में खड़ा करके फिर सुबह जल्दी जब सूर्य उग जाए तब बुधवार को सेल्फी लेकर फोन में वालपेपर में लगा ले सुबह नित्य इसके दर्शन करें।जीवन मे खुशियां उत्पन्न होनी शुरू हो जाएगी।
Sunday, 6 January 2019
नजर उतारने के प्राचीन उपाय, najar utarne ke prachin upay
1. नमक, राई, राल, लहसुन, प्याज के सूखे छिलके व सूखी मिर्च अंगारे पर डालकर उस आग को रोगी के ऊपर सात बार घुमाने से बुरी नजर का दोष मिटता है।
2. शनिवार के दिन हनुमान मंदिर में जाकर प्रेमपूर्वक हनुमान जी की आराधना कर उनके कंधे पर से सिंदर लाकर नजर लगे हुए व्यक्ति के माथे पर लगाने से बुरी नजर का प्रभाव कम होता है।
3. खाने के समय भी किसी व्यक्ति को नजर लग जाती है। ऐसे समय इमली की तीन छोटी डालियों को लेकर आग में जलाकर नजर लगे व्यक्ति के माथे पर से सात बार घुमाकर पानी में बुझा देते हैं और उस पानी को रोगी को पिलाने से नजर दोष दूर होता है।
4. कई बार हम देखते हैं, भोजन में नजर लग जाती है। तब तैयार भोजन में से थोड़ा-थोड़ा एक पत्ते पर लेकर उस पर गुलाब छिड़ककर रास्ते में रख दे। फिर बाद में सभी खाना खाएँ। नजर उतर जाएगी।
5. नजर लगे व्यक्ति को पान में गुलाब की सात पंखुड़ियाँ रखकर खिलाए। नजर लगा हुआ व्यक्ति इष्ट देव का नाम लेकर पान खाए। बुरी नजर का प्रभाव दूर हो जाएगा।
6. लाल मिर्च, अजवाइन और पीली सरसों को मिट्टी के एक छोटे बर्तन में आग लेकर जलाएँ। िफर उसकी धूप नजर लगे बच्चे को दें। किसी प्रकार की नजर हो ठीक हो जाएगी।
शत्रु शमन के लिए shtru shaman ke liye upay
2. यदि कोई व्यक्ति बगैर किसी कारण के परेशान कर रहा हो, तो शौच क्रिया काल में शौचालय में बैठे-बैठे वहीं के पानी से उस व्यक्ति का नाम लिखें और बाहर निकलने से पूर्व जहां पानी से नाम लिखा था, उस स्थान पर अप बाएं पैर से तीन बार ठोकर मारें। ध्यान रहे, यहप्रयोग स्वार्थवश न करें, अन्यथा हानि हो सकती है
नौकरी नहीं लगने पर ये उपाय करें , nokri lagaane ke liye upay
2. नौकरी नहीं लगने पर ये उपाय करें :-हर शनिवार के दिन नहाकर के सरसों के तेल में 7 बेसन के पकोड़े बनाने है और कौओ को खिलाने है | ऐसा 7 शनिवार करना है | आपकी नौकरी जल्दी लग जायगी |
प्रेत बाधा के लिए टोटका pret baadha dur karne ka totka
एक काजल की डिब्बी लेनी है अमावस्या के दिन और अपने दुश्मन का नाम बोलना है 21 बार और फिर फूक मारनी है और फिर किसी सुनसान जगह पर जा कर जमीन में गाड़ देनी है | नौकरी , व्यापार शनि और राहु के लिए अमावस्या के दिन गोशाला में पानी का दान करवाना है ।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए laxmi prapti ke liye totka
स्वस्थ्य , नौकरी और व्यवसाय हेतु कुछ टोटके , swathya, nokri aor vyavsay hetu totke
नौकरी , व्यापार , शनि और राहु के लिए अमावस्या के दिन आप अपनी क्षमता के अनुसार 100 ग्राम या उससे अधिक बेंगन खरीदकर किसी ज़रूरत मंद को दान करे
नौकरी , व्यापार , शनि और राहु के लिए अमावस्या के दिन 100 ग्राम चाय पत्ती किसी ज़रूरतमंद को दान कर दे !
नौकरी , व्यापार , शनि और राहु के लिए हर शनिवार को बेसन में बिना नमक और मिर्च डालें 7 पकोड़े सरसो के तेल में बना कर कौओ को खिलाना है | ये कार्य हर शनिवार को करना है इसको करने से सभी समस्या आर्थिक, नौकरी और पारिवारिक दूर होंगी |
लाजवर्त पत्थर के लाभ laajvart pathar ke laabh
2.) व्यक्ति पर बुरी नजर, काला जादू , टोने - टोटके का प्रभाव नहीं होता है । लाजवर्त कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है लाजवर्त पत्थर के लाभ :लाजवर्त तीनो क्रूर ग्रहो (शनि, राहु और केतु ) के दोषो और दुष्प्रभावो को खत्म करता है ।
3.) काला जादू ख़त्म करता है और बुरी नज़र से बचाव करता है यदि आपको शनि की साढ़ेसाती चल रही है तो आप लाजवर्त धारण कर सकते है और लाभ प्राप्त कर सकते है । यदि किसी व्यक्ति द्वारा घर पर या आप पर कुछ किया-कराया हुआ अनुभव होता हो या फिर घर में वास्तुदोष हो तो लाजवर्त को धारण करने से लाभ मिलता है ।
4.यदि आपको केतु और राहु की महादशा या अन्तर्दशा चल रही है तो आप लाजवर्द धारण कर सकते है और लाभ प्राप्त कर सकते है ।
5. नौकरी और व्यवसाय में आ रही अड़चनो को दूर करता है ।पितृ दोष को खत्म करता है ।
6. लाजवर्त विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभदायक है । लाजवर्त विद्यार्थी का आत्म विश्वास बढ़ा देता है और विद्यार्थी की शिक्षा में एकाग्रता भी बढ़ जाती है ।
7. लाजवर्त को धारण करने के बाद धीरे धीरे आपके व्यवसाय में तरक्की होती है | यदि व्यवसाय काला जादू या टोना - टोटका की वजह से मंदा चल रहा है तो आपको लाजवर्त धारण करने से लाभ अवश्य मिलेगा ।
8. अगर घर में बरकत नही होती है तो बरकत होने लगती है | अगर आपके शत्रु ज़्यादा है या आपका शत्रु आपको परेशान करता है या आप पर जादू टोना करवाता है तो आपका उसके किए हुए जादू टोना से बचाव करता है और आपके शत्रु को परास्त करता है | आपका शत्रु आपके सामने शक्तिहीन हो जाता है |
9. लाजवर्त को धारण कर ने से डिप्रेशन/तनाव दूर होता है । और सेहत अच्छी होती है । लाजवर्त राहु, केतु और शनि द्वारा आ रही बाधाओ को दूर करता है और व्यक्ति को सफलता मिलने लगती है |
10. लाजवर्त को धारण करने के बाद व्यक्ति का दुर्घटना और एक्सीडेंट से बचाव रहता है । यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो आपको लाजवर्त धारण कर ने से लाभ अवश्य मिलेगा । आपको लाजवर्त शनिवार को चाँदी की अंगूठी में बनवा के सीधे हाथ की मध्यमा उंगली (middle finger) में धारण करना है |
Premi ko Uski Patni se Dur Karne ke Upay Mantra-1 प्रेमी को उसकी पत्नी से दूर करने का तांत्रिक उपाय तरीका मंत्र टोटका
2 ) एक पानी वाला नारियल ले लें | साथ में कुछ धतूरे के बीज तथा कपूर ले | फिर आप नारियल- पानी, बीज और कपूर को साथ में मिलाकर पीस ले | इसके बाद इसमें थोड़ा सा शहद मिलाएं | अब आप इस निश्रण से तिलक करें | तिलक करते हुए अपने प्रेमी का नाम का स्मरण करते हुए तिलक करें | अगर संभव हो तो तिलक कर अपने प्रेमी के सामने जाए | आपका प्रेमी आपके वशीभूत हो जाएगा |
3) अभिमंत्रित किया हुआ ३ गोमती चक्र ले ले | अब इसमें सिंदूर लगा कर प्रज्वलित होलिका में दहन कर दे अपने प्रेमी की पत्नी का नाम लेते हुए |
4) एक सफेद कागज पर आप अपना और अपने प्रेमी अपने प्रेमी का नाम लिख दे लाल रंग की स्याही से सोमवार के दिन | अब दिए गए मंन्त्र का जाप करें २५० बार | मंन्त्र है– “ओम सुदर्शनाय हुं फट स्वाहा”.. मंत्र जाप पूरा हो जाने के बाद कागज को घर में किसी ऐसे स्थान पर रखें जहां पर किसी की नजर उस पर ना पड़े | फिर २ दिन बाद इसे किसी सुनसान जगह पर गाड़ दे |
5) “ओम नमो त्रिजट लंबोदर वद वद अमुक (नाम) आकर्षण आकर्षण स्वाहा”.. इस मंत्र को सबसे पहले सिद्ध कर ले २१०० बार मंन्त्र जाप द्वारा | सिद्ध करने के लिए किसी पूर्णिमा या ग्रहण अथवा अमावस्या वाले दिन का चुनाव करे | इसके बाद अल्प मात्रा में जल लेकर अभिमंत्रित करें १०८ बार मंन्त्रों का जाप करते हुए | इस जल को रात को सोते वक्त अपने सिरहाने रख कर सोए | आधी रात को उठकर इसे पी लें | ४० दिनों तक लगातार इस प्रयोग को करें, आपकी मनोकामना की पूर्ति होगी |
Saturday, 5 January 2019
सर्व वशीकरण मंत्र sarva vashikaran mantra
सर्व वशीकरण मंत्र
मंत्र
ॐ राजा मोहे प्रजा मोहे ब्राह्मण वाणिया हनुमंत रूपमे जगत मोहा तो रामचन्द्र परमाणिया गुरुकी शक्ति मेरी भक्ति स्फूरों मंत्र ईश्वरी वाचा ॥
विधि
प्रथम रामचंद्र भगवान का १०८ बार स्मरण करे, घी का दिया जलाए और गूगल का धूप करे, फिर ३७ दिन तक हररोज १४१ बार मंत्र का जप करे। एस करने से मंत्र सिद्ध होगा।
प्रयोग विधि
जब जरूर हो तब चौराहे मे खड़ा रहकर इस मंत्र को ९ बार पढ़कर एक चुटकी धूल लेकर तिलक करे। जो भी देखेगा वह वश होगा।
पुरुष वश करने का मंत्र purush vashikaran mantra
पुरुष वश करने का मंत्र
मंत्र
ॐ नमो आदेश गुरुको महा यक्षिणी पति मेव वश्यं कुरु कुरु स्वाहा; स्फूरों मंत्र ईश्वरी वाचा ॥
विधि
इस मंत्र को अपने आप मे सिद्ध मंत्र हे। फिर भी इस मंत्र को किसी भी दिन १०८ बार जप करना चाहिए।
प्रयोग विधि
इस मंत्र से को १०८ बार पढ़कर रजःस्वला स्त्री का रुधिर, गोरोचन और केल का रस, इन सब को एक साथ मिलाकर तिलक किया जाए तो पुरुष वश होता हे। यथाशक्ति दान करना।
पानी वशीकरण paani vashikaran
पानी वशीकरण
मंत्र
ॐ ह्रीं नमो मोहिन्यै सर्वलोकान मे वशं कुरु कुरु स्वाहा ॥
विधि
काली चौदश के दिन धूप-दीप करके १०८ बार इस मंत्र का जप करने से सिद्ध होता हे।
प्रयोग विधि
इस मंत्र से पानी को २१ बार मंत्रित करके उस पानी से मुह को धोकर किसी के भी साथ बात करने से वह व्यक्ति वश हो जाती हे।
द्रष्टि वशीकरण मंत्र drishti vashikaran mantra
द्रष्टि वशीकरण मंत्र
मंत्र
ॐ नमः भगवती पुर पुर वेशनी पुरधी पतये सर्व जगदभंयंरिछी मै ॐ रंग रं रीं क्लीं वालोसल्पंचकाम बाण सर्व श्री समस्त नर नारी गणं मम वश्य नय नय स्वाहा ॥
विधि
इस मंत्र को आसो सुदी अष्टमी के दिन दस हजार जप करके सिद्ध कर लेना।
प्रयोग विधि
मंत्र को पढ़ के मुछ को ताव देते हुए जिसे भी देखा जाए वह वश होता हे।
लौंग वशीकरण loung vashikaran
लौंग वशीकरण
मंत्र
ॐ नमो भगवती चामुंडे महा हृदय कंपिनि स्वाहा ॥
विधि
किसी भी मंगलवार के दिन इस मंत्र को १००८ बार जप करनेसे सिद्ध होता हे।
प्रयोग विधि
लौंग को १०८ बार मंत्रित करके जिसे भी खिलाया जाए वह अवश्य वश होता हे।