Thursday, 27 July 2017
मशहूर बॉलीवुड हस्तिया जिन्होंने बच्चा गोद लिया (bollywood clebraties who adopted a kid)
मशहूर बॉलीवुड हस्तिया जिन्होंने बच्चा गोद लिया
माँ बनना सौभाग्य की परन्तु यह सौभाग्य के साथ एक खूबसूरत जिम्मेदारी भी है। करेंगे उन मशहूर बॉलीवुड सेलेब्रिटीज़ की जिन्होंने एक बचा गोद लेकर न केवल खुद को पूरा किया बल्कि किसी अनजान जीवन को भी सवार दिया
सन्नी लेओनी
सनी ने हाल ही में एक प्यारी-सी लड़की को अडॉप्ट किया, सनी और उनके पति डेनियल विबर ने कुछ दिनों पहले से यह तय कर लिया था की वो बहुत जल्द अपने फैमिली स्टार्ट करने का मन बना रहे हैं लेकिन आज सनी ने दिशा कौर नाम की अनाथ लड़की को अडॉप्ट किया गया है.
सुष्मिता सेन
पूर्व मिस यूनिवर्स का खिताब जीत चुकी बॉलीवुड अभिनेत्री सुष्मिता सेन ने रेने और अलीशा नाम की दो बेटियों को गोद लिया। वह अपने काम और दो बेटियों का ध्यान के बीच पूर्ण संतुलन बनाये हुए है उन्होंने मां होने की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया, आज वो सभी के भारतीय महिलाओ के लिए एक मिसाल जो की एकाकी पेरेंट्स हैं.
रवीना टंडन
21 साल की उम्र में रवीना टंडन ने पूजा और छाया नाम की 2 बेटियों को अडॉप्ट किया. हाल ही में छोटी बेटी छाया ने गोवा के रहने वाले शॉन मेंडेस के साथ हिन्दू-कैथलिक रीति से शादी की थी, जिसमें रवीना ने मां फर्ज निभाया था.
सलीम खान
सलमान खान के पिता और स्क्रिप्ट राइटर सलीम खान ने बरसों पहले अपने घर के पास रहने वाली गरीब की बेटी को गोद लिया था. जो देखते ही देखते खान परिवार की आंखों का तारा बन गयी. पिछले ही साल आयुष शर्मा के साथ अर्पिता की शादी हुई और हाल ही में उन्होंने आहिल को जन्म दिया है.
जानिए किस कारन रावण ने सीता को अपने वाटिका मै रखा महल में नहीं (why ravan kept seeta maiya in his garden instead of his palce)
जानिए किस कारन रावण ने सीता को अपने वाटिका मै रखा महल में नहीं
रावण की सोने की लंका का निर्माण कुबेर ने किया था, जिसकी सुंदरता सबसे अद्भुत और विशाल थी। यह पूरी नगरी तथा उसके घर व महल स्वर्ण से निर्मित थे। यह भव्य और विशाल तो थी ही लेकिन इतना आकर्षक थी कि जो इसे देखता, वह मनंमुग्ध हो जाता और इसे बस देखता ही रह जाता. लेकिन फिर भी सीता को कैद करने के बाद रावण ने उन्हें लंका के किसी महल में नहीं बल्कि वाटिका में इसलिए रखा क्योंकि वह नलकुबेर के श्राप से भयभीत था। आइये जानते है के क्या था वह श्राप।
स्वर्ग की खूबसूरत अप्सरा रंभा, कुबेर के पुत्र नलकुबेर से मिलने धरती पर आई थी और जब रावण की दृष्टि रंभा पर पड़ी तो वह उसके सौंदर्य पर मोहित हो गया. रंभा ने उसे कहा भी कि वह नलकुबेर की होने वाली पत्नी हैं लेकिन फिर भी रावण ने उनका सम्मान नहीं किया और रंभा के साथ दुर्व्यवहार किया. जब इस बात की खबर नलकुबेर को मिली तो उसने रावण को श्राप दे दिया कि जब भी वह कभी किसी स्त्री को बिना उसकी स्वीकृति के छुएगा या फिर अपने महल में रखेगा तो वह उसी क्षण भस्म हो जाएगा. इसी श्राप की वजह से रावण ने बिना सीता की स्वीकृति के ना तो उन्हें स्पर्श किया और ना ही उन्हें अपने महल में रखा.
रावण की सोने की लंका का निर्माण कुबेर ने किया था, जिसकी सुंदरता सबसे अद्भुत और विशाल थी। यह पूरी नगरी तथा उसके घर व महल स्वर्ण से निर्मित थे। यह भव्य और विशाल तो थी ही लेकिन इतना आकर्षक थी कि जो इसे देखता, वह मनंमुग्ध हो जाता और इसे बस देखता ही रह जाता. लेकिन फिर भी सीता को कैद करने के बाद रावण ने उन्हें लंका के किसी महल में नहीं बल्कि वाटिका में इसलिए रखा क्योंकि वह नलकुबेर के श्राप से भयभीत था। आइये जानते है के क्या था वह श्राप।
स्वर्ग की खूबसूरत अप्सरा रंभा, कुबेर के पुत्र नलकुबेर से मिलने धरती पर आई थी और जब रावण की दृष्टि रंभा पर पड़ी तो वह उसके सौंदर्य पर मोहित हो गया. रंभा ने उसे कहा भी कि वह नलकुबेर की होने वाली पत्नी हैं लेकिन फिर भी रावण ने उनका सम्मान नहीं किया और रंभा के साथ दुर्व्यवहार किया. जब इस बात की खबर नलकुबेर को मिली तो उसने रावण को श्राप दे दिया कि जब भी वह कभी किसी स्त्री को बिना उसकी स्वीकृति के छुएगा या फिर अपने महल में रखेगा तो वह उसी क्षण भस्म हो जाएगा. इसी श्राप की वजह से रावण ने बिना सीता की स्वीकृति के ना तो उन्हें स्पर्श किया और ना ही उन्हें अपने महल में रखा.
॥ सीताष्टोत्तरशतनामावली ॥ sitashtorrshat namavali
॥ सीताष्टोत्तरशतनामावली ॥
ॐ जनकनन्दिन्यै नमः ।
ॐ लोकजनन्यै नमः ।
ॐ जयवृद्धिदायै नमः ।
ॐ जयोद्वाहप्रियायै नमः ।
ॐ रामायै नमः ।
ॐ लक्ष्म्यै नमः ।
ॐ जनककन्यकायै नमः ।
ॐ राजीवसर्वस्वहारिपादद्वयांचितायै नमः ।
ॐ राजत्कनकमाणिक्यतुलाकोटिविराजितायै नमः ।
ॐ मणिहेमविचित्रोद्यत्रुस्करोत्भासिभूषणायै नमः । १०।
ॐ नानारत्नजितामित्रकांचिशोभिनितंबिन्यै नमः ।
ॐ देवदानवगन्धर्वयक्षराक्षससेवितायै नमः ।
ॐ सकृत्प्रपन्नजनतासंरक्षणकृतत्वरायै नमः ।
ॐ एककालोदितानेकचन्द्रभास्करभासुरायै नमः ।
ॐ द्वितीयतटिदुल्लासिदिव्यपीतांबरायै नमः ।
ॐ त्रिवर्गादिफलाभीष्टदायिकारुण्यवीक्षणायै नमः ।
ॐ चतुर्वर्गप्रदानोद्यत्करपङ्जशोभितायै नमः ।
ॐ पंचयज्ञपरानेकयोगिमानसराजितायै नमः ।
ॐ षाड्गुण्यपूर्णविभवायै नमः ।
ॐ सप्ततत्वादिदेवतायै नमः । २०।
ॐ अष्टमीचन्द्ररेखाभचित्रकोत्भासिनासिकायै नमः ।
ॐ नवावरणपूजितायै नमः ।
ॐ रामानन्दकरायै नमः ।
ॐ रामनाथायै नमः ।
ॐ राघवनन्दितायै नमः ।
ॐ रामावेशितभावायै नमः ।
ॐ रामायत्तात्मवैभवायै नमः ।
ॐ रामोत्तमायै नमः ।
ॐ राजमुख्यै नमः ।
ॐ रञ्जितामोदकुन्तलायै नमः । ३०।
ॐ दिव्यसाकेतनिलयायै नमः ।
ॐ दिव्यवादित्रसेवितायै नमः ।
ॐ रामानुवृत्तिमुदितायै नमः ।
ॐ चित्रकूटकृतालयायै नमः ।
ॐ अनुसूयाकृताकल्पायै नमः ।
ॐ अनल्पस्वान्तसंश्रितायै नमः ।
ॐ विचित्रमाल्याभरणायै नमः ।
ॐ विराथमथनोद्यतायै नमः ।
ॐ श्रितपंचवटीतीरायै नमः ।
ॐ खद्योतनकुलानन्दायै नमः । ४०।
ॐ खरादिवधनन्दितायै नमः ।
ॐ मायामारीचमथनायै नमः ।
ॐ मायामानुषविग्रहायै नमः ।
ॐ छलत्याजितसौमित्र्यै नमः ।
ॐ छविनिर्जितपंकजायै नमः ।
ॐ तृणीकृतदशग्रीवायै नमः ।
ॐ त्राणायोद्यतमानसायै नमः ।
ॐ हनुमद्दर्शनप्रीतायै नमः ।
ॐ हास्यलीलाविशारदायै नमः ।
ॐ मुद्रादर्शनसंतुष्टायै नमः । ५०।
ॐ मुद्रामुद्रितजीवितायै नमः ।
ॐ अशोकवनिकावासायै नमः ।
ॐ निश्शोकीकृतनिर्जरायै नमः ।
ॐ लंकादाहकसंकल्पायै नमः ।
ॐ लंकावलयरोधिन्यै नमः ।
ॐ शुद्धीकृतासिंतुष्टायै नमः ।
ॐ शुमाल्यांबरावृतायै नमः ।
ॐ संतुष्टपतिसंस्तुतायै नमः ।
ॐ संतुष्टहृदयालयायै नमः ।
ॐ श्वशुरस्तानुपूज्यायै नमः । ६०।
ॐ कमलासनवन्दितायै नमः ।
ॐ अणिमाद्यष्टसंसिद्ध(ऐ नमः ।
ॐ कृपावाप्तविभीषणायै नमः ।
ॐ दिव्यपुष्पकसंरूढायै नमः ।
ॐ दिविषद्गणवन्दितायै नमः ।
ॐ जपाकुसुमसंकाशायै नमः ।
ॐ दिव्यक्षौमांबरावृतायै नमः ।
ॐ दिव्यसिंहासनारूढायै नमः ।
ॐ दिव्याकल्पविभूषणायै नमः ।
ॐ राज्याभिषिक्तदयितायै नमः । ७०।
ॐ दिव्यायोध्याधिदेवतायै नमः ।
ॐ दिव्यगंधविलिप्तांग्यै नमः ।
ॐ दिव्यावयवसुन्दर्यै नमः ।
ॐ हय्यंगवीनहृदयायै नमः ।
ॐ हर्यक्षगणपूजितायै नमः ।
ॐ घनसारसुगन्धाढ(आयै नमः ।
ॐ घनकुञ्चितमूर्धजायै नमः ।
ॐ चन्द्रिकास्मितसम्पूर्णायै नमः ।
ॐ चारुचामीकरांबरायै नमः ।
ॐ योगिन्यै नमः । ८०।
ॐ मोहिन्यै नमः ।
ॐ स्तंभिन्यै नमः ।
ॐ अखिलाण्डेश्वर्यै नमः ।
ॐ शुभायै नमः ।
ॐ गौर्यै नमः ।
ॐ नारायण्यै नमः ।
ॐ प्रीत्यै नमः ।
ॐ स्वाहायै नमः ।
ॐ स्वधायै नमः ।
ॐ शिवायै नमः । ९०।
ॐ आश्रितानन्दजनन्यै नमः ।
ॐ भारत्यै नमः ।
ॐ वाराह्यैः ।
ॐ वैष्णव्यै नमः ।
ॐ ब्राह्म्यैः ।
ॐ सिद्धवन्दितायै नमः ।
ॐ षढाधारनिवासिन्यै नमः ।
ॐ कलकोकिलसल्लापायै नमः ।
ॐ कलहंसकनूपुरायै नमः ।
ॐ क्षान्तिशान्त्यादिगुणशालिन्यै नमः । १००।
ॐ कन्दर्पजनन्यै नमः ।
ॐ सर्वलोकसमारध्यायै नमः ।
ॐ सौगन्धसुमनप्रियायै नमः ।
ॐ श्यामलायै नमः ।
ॐ सर्वजनमंगलदेवतायै नमः ।
ॐ वसुधापुत्र्यै नमः ।
ॐ मातङ्ग्यै नमः ।
ॐ सीतायै नमः ।
ॐ हेमाञ्जनायिकायै नमः ।
ॐ सीतादेवीमहालक्ष्म्यै नमः । ११०।
ॐ सकलसांराज्यलक्ष्म्यै नमः ।
ॐ भक्तभीष्टफलप्रदायै नमः ।
ॐ ।ष्टा।ष्टफलप्रदायै नमः । ११३।
। इति सीताष्टोत्तरशतनामावलिः सम्पूर्णा ।
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