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Tuesday, 6 November 2018

धनतेरस पर क्या खरीदना चाहिए

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धनतेरस पर क्या खरीदना चाहिए
What you should buy this Dhanteras for a prosperous year ahead .

धनतेरस देवी लक्ष्मी और कुबेर का पर्व माना जाता है। इस दिन को लेकर कई मान्यताएं हैं। यदि आप धनतेरस के दिन बताए जाने वाली कुछ वस्तुओं को खरीदेगें तो कभी भी आपके घर में पैसों की कमी नहीं रहेगी। हमेशा आपके घर में अन्न और धन दोनों  पूर्ण रूप से रहेगें। आइये जानते है वे कौनसी शुभ चीजे खरीददारी के लिए बताई गयी है |


ये चीजे खरीदना होता है शुभ:-


धातु की कोई वस्तु : Metal Things
धनतेरस के दिन धातु जैसे पीतल ,सोना व चांदी आदि का सामान  जरूर खरीदें। इस दिन इन चीजों को खरीदने से इंसान की किस्मत बदलती है। और घर में लक्ष्मी कृपा बढ़ती है। पुराने समय से चांदी और सोने के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता रहा है |

गणेश और लक्ष्मी जी की प्रतिमा : Idol of Ganesha and Lakshmi
धनतेरस के दिन आपको देवी लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति लानी चाहिए। इससे पूरे साल घर में धन और अन्न की कमी नहीं होती है। ये देवी देवता  धन और बुद्धि बढ़ाते है |


स्फटिक श्री यंत्र Sphatik Shri Yantra
इस दिन आप घर में  स्फटिक श्री यंत्र को लाने से लक्ष्मी जी घर की ओर खिची चली आती है। दीपावली की लक्ष्मी गणेश पूजा में इस यंत्र की भी पूजा करें और  फिर पूजन के बाद केसरी रंग के कपड़े में इसे लपेटकर अपनी तिजोरी में रखें।
इससे तिजोरी आपके लिए भाग्यशाली हो जाएगी |

झाडू Broom
देवी लक्ष्मी जी का प्रतीक होता है झाडू। धनतेरस के दिन घर में नई झाडू लाने से घर की नकारात्मक उर्जा बाहर चली जाती हैं। और साफ घर में लक्ष्मी जी प्रवेश करती हैं।


कौड़ियां Kodiyaan
धनतेरस के दिन कौडियां खरीदना अति शुभ होता है। जिस घर में कौड़ियां रहती हैं उस जगह कभी धन की कमी नहीं होती है। आप लक्ष्मी पूजा के बाद कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें।


नमक Salt
धनतेरस वाले दिन आपक नमक भी जरूर खरीदें। नमक का इस्तेमाल भी करें। एैसा कहा जाता है कि इस दिन नमक लाने से घर में धन में अधिक बढ़ोत्तरी होती है। और सुख शांति घर में आती है। नमक घर की दरिद्रता को खत्म कर देता है। इस दिन आप नमक का पोछा भी अपने घर में जरूर लगाएं एैसा करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

धनिया Coriandrum seeds
धनिया को धन का प्रतीक और शुभ माना गया है । धनतेरस के दिन साबुत धनिया घर लाना चाहिए। और इसे पूजा करने के बाद अपने घर के आंगन और गमले में डाल देना चाहिए।

कुबेर सिक्का या मूर्ति : Kuber Coin Or Idol
इस दिन कुबेर की छोटी तस्वीर या सिक्का घर पर लाएं। और इसकी पूजा करने के बाद अपने धन रखने वाली जगह पर रखें।

शंख और रुद्राक्ष : Conch and Rudraksh
दक्षिणवर्ती शंख  और सात मुखी रूद्राक्ष को भी धनतेरस के दिन घर पर लाने से घर के सारे कष्ट दूर होते हैं और मां लक्ष्मी आपके घर में विराजती हैं।


स्त्रियों के 16 श्रृंगार सजने के लिए

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हिन्दू महिलाओं के लिए 16 श्रृंगार का विशेष महत्व है। विवाह के बाद स्त्री इन सभी चीजों को अनिवार्य रूप से धारण करती है। हर एक चीज का अलग महत्व है। हर स्त्री चाहती थी की वे सज धज कर सुन्दर लगे |  यह उनके रूप को ओर भी अधिक सौन्दर्यवान बना देता है | यहां जानिए कौन कौनसे है सोलह श्रृंगार :-




1 बिंदी– स्त्रियों के लिए बिंदी लगाना अनिवार्य परम्परा है शास्त्रों के अनुसार बिंदी को घर-परिवार की सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। माथे पर बिंदी जहां लगाईं जाती है, वहां आज्ञा चक्र होता है, इसका संबंध मन से है। यहां बिंदी लगाने से मन की एकाग्रता बनी रहती है।

2 गज़रा– फूलों का गज़रा भी अनिवार्य श्रृंगार माना जाता है। इसे बालों में लगाया जाता है।

3 टीका– विवाहित स्त्रियां माथे पर मांग के बीच में जो आभूषण लगाती हैं, उसे टीका कहा जाता है। यह आभूषण सोने या चांदी का हो सकता है।

4 सिंदूर– विवाहित स्त्रियों के लिए सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है। मान्यता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु में वृद्धि होती है। सिर पर जहां मांग में सिंदूर भरा जाता है, वहां मस्तिष्क की महत्त्वपूर्ण ग्रंथि होती है|

5 काजल– आँखों की सुंदरता बढ़ने के लिए काजल लगाया जाता है। काजल लगाने से स्त्री पर किसी की बुरी नजर नहीं लगती हैं। साथ ही, आँखों से संबंधित कई रोगों से बचाव भी हो जाता है।

6 मंगल सूत्र और हार– स्त्रियां गले में हार पहनती है। विवाह के बाद मंगल सूत्र भी अनिवार्य रूप से पहनने की परम्परा है। मंगलसूत्र के काले मोतियों से स्त्री पर बुरी नज़र का बुरा असर नहीं पड़ता हैं।
7 लाल रंग का कपडे– कन्या विवाह के समय जो ख़ास कपडें पहनती है, वह भी अनिवार्य श्रृंगार है। ये परिधान लाल रंग का होता है और इसमें ओढनी, चोली और घाघरा शामिल होता है।

8 मेहंदी– किसी भी स्त्री के लिए मेहंदी भी अनिवार्य श्रृंगार माना गया है। किसी भी मांगलिक कार्यक्रम के दौरान स्त्रियां अपने हाथों और पैरों में मेहंदी रचाती है। ऐसा माना जाता है कि विवाह के बाद नववधू के हाथों में मेहंदी जितनी अच्छी रचती है, उसका पति उतना ही ज्यादा प्यार करने वाला होता है। मेहंदी त्वचा से जुडी कई बीमारियों में औषधि का काम करती है।

9 बाजूबंद– सोने या चांदी के कडें स्त्रियां बाहों में धारण करती हैं, इन्हें बाजूबंद कहा जाता है। ये आभूषण स्त्रियों के शरीर से लगातार स्पर्श होते रहता है, जिससे धातु के गुण शरीर में प्रवेश करते हैं, ये स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।

10 नथ– स्त्रियों के लिए नथ भी अनिवार्य श्रृंगार है। इसे नाक में धारण किया जाता है। नथ धारण करने पर कन्या की सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं। नाक छिदवाने से स्त्रियों को एक्यूपंक्चर के लाभ मिलते हैं, जिनसे स्वास्थ्य ठीक रहता हैं।

11 कानों के कुंडल– कानो में पहने जाने वाले कुंडल भी श्रृंगार का अनिवार्य अंग है। यह भी सोने या चांदी की धातु के हो सकते हैं। कान छिदवाने से भी स्वास्थ्य संबंधी कई लाभ मिलते है। ये भी एक्यूपंक्चर ही है।

12 चूड़ियां या कंगन– स्त्रियों के लिए चूड़ियां पहनना अनिवार्य है। यह लाख , काँच , चाँदी सोने और अन्य धातुओ से बनती है |  विवाह के बाद चूड़ियां सुहाग की निशानी मानी जाती है। सोने या चांदी की चूड़ियां पहनने से ये त्वचा से लगातार संपर्क में रहती हैं, जिससे स्त्रियों को स्वर्ण और चांदी के गुण प्राप्त होते हैं जो कि स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।

13 कमरबंद– कमर में धारण किए जाने वाला आभूषण है कमरबंद। पुराने समय में कमरबंद को विवाह के बाद स्त्रियां अनिवार्य रूप से धारण करती थी। यह चाँदी या सोने के बने होते थे |

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14 अंगूठी– उँगलियों में अंगूठी पहनने की परम्परा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इसे भी 16 श्रृंगार जगह दी गयी है |

15 पायल– पायल पैरो में पहनने के लिए स्त्रियों के लिए महत्त्वपूर्ण आभूषण है। इसके घुंघरुओं की आवाज़ से घर का वातावरण सकारात्मक बनता है। यह चांदी की बनी होती है |

16 बिछुए – विवाह के बाद खासतौर पर पैरों की उँगलियों में पहने जाने वाला आभूषण है बिछुए। यह रिंग या छल्ले की तरह होता है। इसे बिछुड़ी भी कहते है |


किस तरह सीता है रावण की पुत्री

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एक बार गृत्स्मद नामक ब्राह्मण अपनी पुत्री के रूप में लक्ष्मी को पाने के पूजा अर्चना करते रहते है | वे हर दिन पूजा अर्चना कर एक कलश में मंत्रोच्चारण के साथ दूध की कुछ बुँदे इसमे डालते रहते है | एक दिन वो ऋषि वहा नही होते और उनके पीछे से उस जगह रावण पहुँच जाता है और ऋषियों का वध करके उनका रक्त उस कलश में डालकर लंका ले आता है | मंदोदरी को यह कलश त्रिक्षण विष बताकर दे दिया जाता है |

कुछ दिनों के लिए फिर रावण विहार के लिए चले जाते है पर उनकी पत्नी मन्दोदरी उनकी किसी बात से बहूत दुखी होती है और अपनी आत्महत्या के लिए उसी कलश से जहर का सेवन कर लेती है | पर यह वरदानी कलश होने से वो मरने की बजाय गर्भवती हो जाती है | रावण की अनुपस्थी में इस तरह गर्भवती होना रावण के क्रोध को जगाने जैसा था |

यह सोचकर वे भी तीर्थ यात्रा के बहाने कुरुक्षेत्र आ जाती है और अपने गर्भ को निकालकर भूमि में दफना देती है | इसके बाद पुनः लंका आ जाती है | समय के साथ यह भ्रूण परिपक्व हो जाता है |

एक दिन मिथिला के राजा जनक जब इस जमीन पर हल चला रहे होते है तब धरा को जोतने से उन्हें यह पुत्री प्राप्त होती है जो जनक नंदिनी कहलाती है | पर इस कथा के अनुसार तो सीता की माँ रावण की पत्नी मंदोदरी ही हुई |