Wednesday, 7 November 2018
नरक दिखाने वाला मंदिर
नरक दिखाने वाला मंदिर
आज हम एक ऐसे विचित्र मंदिर की बात करेंगे जो हमारे मन में भक्तिमय माहौल नही बल्कि कौफ भर देता है | इस मंदिर में देवी देवताओ की मुस्कान भरी प्रतिमा नही बल्कि उनके द्वारा दंड देने वाली मूर्तियाँ स्थापित है | हमारे 18 महापुराणों में से एक है गरुढ़ पुराण | इस पुराण में विस्तार से बताया गया है की मनुष्य को उसके गंदे कर्म के अनुसार किस तरह अलग अलग प्रकार के दिल दहला देने वाली नरक भोगने पड़ते है | इसी बात को ध्यान में रखकर इस मंदिर की स्थापना की गयी है |
कहाँ और किसने बनाया यह मंदिर :
यह मंदिर थाईलैंड के शहर चियांग माइ में है जो बैंकाक से लगभग 700 किलोमीटर दूर स्थित है |
इस मंदिर का निर्माण करते समय सनातन धर्म और बौद्ध धर्म के विचारो को ध्यान में रखा गया है | मंदिर बनाने की सोच बौद्ध भिक्षु प्रा क्रू विशानजालिकॉन की थी |
क्यों बनाया इस मंदिर को :
इस मंदिर को बनाने के पीछे लोगो को यह सन्देश देना था की मरने के बाद भी आपके कर्म आपकी आगे की यात्रा में फल या दंड देने वाले होते है | यदि आप इस जीवन में अच्छे कर्म करते है तो आपको यह सब दंड भोगना नही पड़ेगा पर यदि आपके कर्म पाप लोभ लालच वाले है तो इस मंदिर में लगी मूर्तियाँ आपकी आत्मा के लिए आपबीती हो सकती है |
मंदिर को लेकर विशेष मान्यता :
इस मंदिर को लेकर मुख्य मान्यता यह है की इस मंदिर में दर्शन करने जो भक्त आते है वे अपने पापो प्रायश्चित और पश्चाताप करते है | इन दिल में कौफ भर देने वाली सजाओ को देखकर वे आगे का जीवन अच्छे मनुष्य और कर्मो के साथ बिताती है |
Tuesday, 6 November 2018
साल में एक ही बार खुलने वाले अनोखा मंदिर
साल में एक ही बार खुलने वाले अनोखा मंदिर – नागचंद्रेश्वर मंदिर
हिंदी धर्म में सांपो या नागो को पूजनीय माना जाता है | ये नाग देवता के रूप में माने जाते है | भगवान शिव ने इन्हे अपने आभूषण बना रखे है तो भगवान विष्णु इनकी शय्या पर सोते है |
महाकाल की नगरी उज्जैन में ऐसा ही एक मंदिर है जो नाग देवता को समर्प्रित है | यह मंदिर पुरे साल में बस एक बार खुलता है | वह दिन नागो की पूजा का दिन नागपंचमी का होता है | इस मंदिर का नाम नागचंद्रेश्वर है | देश विदेश से दर्शन करने आते है भक्त | यह मंदिर रात 12 बजे खुलता है और पूरी विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है |
कहाँ है यह नागचंद्रेश्वर मंदिर
यह अनोखा मंदिर उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर के तीसरी मंजिल पर स्थित है | प्रबल मान्यता है की नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में स्वयं नाग राज तक्षक मौजूद रहते है | मंदिर एक दिन के लिए 24 घंटे खुला रहता है |
मंदिर का इतिहास
इस मंदिर में भगवान शिव और माँ पार्वती की प्रतिमा के फन फैलाये नाग पर विराजमान है | यह पहला मंदिर है जहा शिव और पार्वती नाग पर बैठे हुए है | यह प्रतिमा ग्यारवी शताब्दी की है जो नेपाल देश से लायी हुई बताई जाती है | इस मूर्ति के दाए बाए गणेश जी और कार्तिकेय भी बैठे हुए है | सभी प्रतिमाये एक ही स्लेटी रंग के पत्थर पर बनाई हुई है |
अनोखा और एकमात्र मेंढक मंदिर
अनोखा और एकमात्र मेंढक मंदिर – यहा होती है मेंढक की पूजा
मेंढक मंदिर | Frog Temple
भारत में कई ऐसे मंदिर है जहाँ जानवरों की पूजा की जाती है। कुकुरदेव मंदिर में कुत्ते की पूजा तो एक तरफ मत्स्य देवी मंदिर में मछली की पूजा होती है | एक जगह ऐसी है जहा मंदिर का रक्षक एक मगरमच्छ करता है | अब तक हम आपको कई ऐसे मंदिरों के बारे में बता भी चुके है। इसी कड़ी में आज हम आपको बता रहे है भारत के एकमात्र ऐसे मंदिर के बारे में जहां मेंढक की पूजा की जाती है। आइए जानते है कहां है ये मंदिर और क्यों की जाती है मेंढक की पूजा ?
भारत का एक मात्र मेंढक मंदिर ( Frog Temple) उत्तरप्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले के ओयल कस्बें में स्तिथ है। बताया जाता है कि ये मंदिर करीब 200 साल पुराना है। मान्यता है कि सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया गया था।
यह जगह ओयल शैव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र था और यहां के शासक भगवान शिव के उपासक थे। इस कस्बे के बीच मंडूक यंत्र पर आधारित प्राचीन शिव मंदिर भी है।
यह क्षेत्र ग्यारहवीं शताब्दी के बाद से 19वीं शताब्दी तक चाहमान शासकों के आधीन रहा। चाहमान वंश के राजा बख्श सिंह ने ही इस अद्भुत मंदिर का निर्माण कराया था।
तांत्रिक ने किया मंदिर का वास्तु
मंदिर की वास्तु परिकल्पना कपिला के एक महान तांत्रिक ने की थी। तंत्रवाद पर आधारित इस मंदिर की वास्तु संरचना अपनी विशेष शैली के कारण मनमोह लेती है। मेंढक मंदिर में दीपावली के अलावा महाशिवरात्रि पर भी भक्त बड़ी संख्या में आते हैं।
कैसे पहुंचे
लखीमपुर से ओयल 11 किमी दूर है। यहां जाने के लिए आपको पहले लखीमपुर आना होगा। आप बस या टैक्सी करके लखीमपुर से ओयल जा सकते हैं। यदि आप फ्लाइट से आना चाहें तो यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट लखनऊ 135 किमी दूर है। यहां से आपको UPSRTC की बसें लखीमपुर के लिए मिल जाएगी।