हम सब जातने है कि होली हमारे भारतीय पर्वों में मुख्य पर्वों में से एक है। होली का दिन बड़ी ही धूम के साथ मनाया जाता है क्योकि होली किसी और से नहीं बल्कि रंगों के साथ परिवार वालों के साथ मिलकर खेली जाती है। ये तो हम सब जानते है कि भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह से होली मनाई जाती है। लेकिन होली से जुड़ी एक बात है जो बहुत ही कम लोग जानते है । वो ये है कि होली से शिव-पार्वती की एक कहानी भी जुड़ी हुई है तो चलिए जानत है इस कथा के बारे में..
होली की एक पौराणिक कथा के अनुसार हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान भोलेनाथ से हो जाए परंतु शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। तब कामदेव पार्वती की सहायता के लिए को आए।
उन्होंने प्रेम बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई। शिवजी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी।
कामदेव का शरीर उनके क्रोध की ज्वाला में भस्म हो गया। फिर शिवजी ने पार्वती को देखा।
पार्वती की आराधना सफल हुई और शिव जी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। होली के दिन इस पौराणिक कथा के वाचन से दांपत्य जीवन में प्रेम रस बना रहता है। अविवाहितों को भी मनचाहे साथी पाने के लिए इस कथा का श्रवण होली के दिन करना चाहिए।(a uncommon story of lord shiva and parvati)
होली की एक पौराणिक कथा के अनुसार हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान भोलेनाथ से हो जाए परंतु शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। तब कामदेव पार्वती की सहायता के लिए को आए।
उन्होंने प्रेम बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई। शिवजी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी।
कामदेव का शरीर उनके क्रोध की ज्वाला में भस्म हो गया। फिर शिवजी ने पार्वती को देखा।
पार्वती की आराधना सफल हुई और शिव जी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। होली के दिन इस पौराणिक कथा के वाचन से दांपत्य जीवन में प्रेम रस बना रहता है। अविवाहितों को भी मनचाहे साथी पाने के लिए इस कथा का श्रवण होली के दिन करना चाहिए।(a uncommon story of lord shiva and parvati)
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