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Tuesday 22 May 2018

मोहिनी विद्या के नुक्से

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इन नुस्खों को कार्यान्वित करते समय अपने ईष्ट का वास्तविक ध्यान होने पर ये काम करते है-



चिता भस्म के साथ विदारी कंद , वट की जटा, मदार का दूध – तीन घंटे तक खरल में घोंटे। इसमें से तिलक लगाने पर साधक की दृष्टि जिससे मिलती है, वह वशीभूत हो जाता है।
पुष्य नक्षत्र के समय पुनर्नवा की जड़ एवं रूद्र दंती की जड़ लाकर जौ के साथ हाथ में बाँधने पर व्यक्ति जहाँ जाता है, उसे आदर मिलता है।
वायु में उड़कर आया पत्ता, मजीठ, अर्जुन की छाल, तगर को समान मात्रा में मर्दन करके (12 घंटा) भोजन एवं पेय में देने पर वह व्यक्ति देने वाले के प्रति वशीभूत होता है।
श्मशान की महानीली की जड़ की बत्ती से (कूटकर रूई में मिलाकर) चमेली के तेल में दीपक जलाकर काजल बनाये। इसे आँखों में आंजने पर जिससे नजर मिले , वह वशीभूत होता है।
स्त्री के रज से भींगे वस्त्र को बरगद के पेड़ के निच्चे जलाकर, उस राख को धतूरे के रस में 7 घंटा मर्दन करने पर गोली बनाकर कर रहे लें। इसे घिसकर तिलक लगाने या किसी पुरुष को खिलाने पर वशीभूत होता है।
अपने वीर्य में अपामार्ग की जड़ , धतूरे की जड़, हरताल घोंट कर किसी स्त्री को 25 ग्राम खिला देने पर वशीकरण होता है।
बरगद की जटा, इसका दूध, मोरपंख, गोरोचन मिलाकर सात घंटे घोटे। इसका तिलक लगाने पर वशीकरण होता है।
उल्लू का ह्रदय, गौरैया की आंखे, अगर, तगर, अपना रक्त, रक्त चन्दन, लाल कनेर के फूल – समान मात्रा में लेकर 12 घंटे घोंटे। घोटते समय इसमें आक का दूध डालते रहे। यह 30 ग्राम की मात्रा में खिलाने या इसका तिलक करने से वशीकरण होता है।
पुष्य नक्षत्र में धतूरे का फूल, भरणी में फल, विशाखा में पत्ते, हस्त में भी पत्ते, मूल में मूल लाये और छाया में सुखा कर कपूर, गोरोचन, केशर के साथ 6 घंटे घोंटे (मदार के दूध में) इसका तिलक लगाने पर अरुधन्ती के सामान कामिनी भी वश में में हो जाती है।
तालमखाना, कौंच, शतावरी, गोखुरू, अनिचारी, खरेंटी, पेठे की जड़, अकरकरा , गोखरू, – इन्हें चूर्ण करके वस्त्र से छाने। इस चूर्ण को शीशे के साफ़ बर्त्तन में रखें। इसका 10 ग्राम सुबह- 10 ग्राम शाम गाय के दूध के साथ सेवन करनेवाला एक महीने में कामनियों के मन को जीतने वाला (रति में) हो जाता है।
पुष्य , नक्षत्र में सफ़ेद आक की जड़ लाकर लाल तागे से कमर में बांधे। इसे बांधकर जिस स्त्री से एक बार रमण करें, वह साधक के वश में हो जाती है।
कैथ का रस, लालकमल, पीपल, मुलहठी – इसे समान भाग में पीसकर शहद में मिलाकर परस्पर जननेद्रियों पर लेप करके रति क्रीड़ा करने पर (आधा घंटा लगाकर कर हल्का पोंछ लें) स्त्री-पुरुष में प्रेम बना रहता है।
कबूतर की बीट, सेंधानमक , शहद में घोंटकर लिंग पर लेप करके रमण करने से वह कामिनी सदा वश में रहती है। सारे शरीर पर लेप करने से सम्मोहन होता है।
मैनसिल (शोधित), गोरोचन, केसर समान लेकर 6 घंटा घोंटे। इसके तिलक से जो संपर्क में आता है, वशीभूत होता है।
सफ़ेद अपराजिता की जड़ गोरोचन को पीसकर तिलक लगाने से भी सभी वशीभूत होते है।
गोदंती, हरताल, काक जंघा – समान मात्रा में 6 घंटा घोंटे। इसके चूर्ण को किसी के सिर की कॉक पर डालने से और कुछ देर तक रहने से वह वशीभूत होता है।
अपने रक्त या वीर्य या राज के साथ गोरोचन .10 की मात्रा में किसी को खिलाने पर वह वशीभूत होता है।
सहदेई की जड़ को कमर में बंधकर रमण करने से स्त्री वश में रहती है।



Ruchi Sehgal

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