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Tuesday 22 May 2018

किस देवता की पूजा की जाये

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किस देवता की पूजा की जाये
किसको इष्ट बनायें ?

हमने देखा है कि पूजा एवं अनुष्ठान के सम्बन्ध में भारत के घर घर में भारी अनिष्ट का कार्य किया जा रहा है. लोग अपने कल्याण और सुख-समृद्धि के लिए देवी-देवता की पूजा करते हैं, परन्तु उन्हें यह ज्ञात नहीं कि पूजा द्वारा वे अपने अनिष्ट और भाग्याविकार को आमंत्रित कर रहे हैं.



जब भी मैंने इस सम्बन्ध में लोगो को सावधान किया है, लोग बुरी तरह चौंके हैं. भला कल्याणकारी देवी-देवता अनिष्ट कैसे कर सकते हैं? यहाँ गलती यह हो रही है कि सभी देवी-देवता कल्याणकारी हैं, परन्तु वे तब कल्याणकारी हैं, जब आपको उनकी आवश्यकता है.

आप मोटे है, चर्बी बढ़ रही है और लक्ष्मीजी की निरंतर पूजा कर रहे हैं. धना-सम्पत्ति तो बाद की चीज है, आप अपनी अकाल मृत्यु और घोर दु:ख को आमंत्रित कर रहे हैं | आपको लक्ष्मी की नहीं , दुर्गा की पूजा करनी चाहिए.

इसी प्रकार आपमें काम, क्रोध, उत्तेजना अधिक है और आप काली या भैरवजी की पूजा कर रहे हैं. आप कलह, झगड़े, राजदण्ड और अकाल मृत्यु को आमंत्रित कर रहे हैं, आपको शिव की पूजा करनी चाहिए.

यह सभी देवी-देवता एवं गुरु की पूजा में है. सरस्वती की पूजा भावुक व्यक्तियों के लिए उचित नहीं है. इसी प्रकार आप चंचल प्रकृति के सक्रिय व्यक्ति हैं, तो आपके लिए दुर्गाजी की पूजा उचित नहीं है.

आप स्वयं विचारिये! यदि सभी देवी-देवता सभी के लिए उपयुक्त होते, तो इनमें इतनी विभिन्नता क्यों होती ?… किसी भी देवी या देवता की पूजा आप मन्दिर में कर रहे हैं,तो इसका यह अर्थ है कि उस देवी या देवता को आप अपने शरीर में बुला रहे हैं. वास्तव में, सभी पहले से शरीर में हैं. आप ब्रह्माण्ड से उनकी शक्ति को शरीर में खींचकर उनकी शक्ति बढ़ा रहे हैं.

अब यदि वह शक्ति पहले से आपके शरीर में अधिक है, तो शरीर का सारा ऊर्जा समीकरण असन्तुलित ही जाएगा. उस शक्ति का गुण इतना बढ़ जाएगा कि आप उस शक्ति के कारण ही विनष्ट हो जायेंगे. उदाहरण के रूप में, यदि क्रोधी हैं और भैरवजी या कालीजी की शक्ति आमंत्रित कर रहे हैं, तो क्रोध की अधिकता ऐसा अनर्थ करवा देगा कि आप या तो आत्महत्या कर लेंगे या किसी की हत्या जेल चले जायेंगे. उसे जबरदस्ती दबायेंगे, तो पागल हो जायेंगे.

विस्मय यह है की ज्योतिष में रत्न,अंगूठी, तावीज आदि के चुनाव में सावधानी बरती जाती है. परन्तु पूजा, अनुष्ठान में हम अंध श्रध्दा के शिकार हैं. फलत: परिश्रम भी करते हैं और लाभ के बदले हानि और अनिष्ट के शिकार हो जाते हैं.



Ruchi Sehgal

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