हस्ताक्षर सिद्धि साधना |
आपके हस्ताक्षर में छुपा है आपकी सक्सेस का राज | कभी सोचा कि आप लाख प्रयत्न करते हो, बहुत मेहनत के बाद भी आपकी अर्जी ठुकरा दी जाती है, जॉब नहीं मिल पाती और अच्छे मार्क लेने के बावजूद भी आपको सीट नहीं मिल पाती | कुछ लोग इसे भाग्य का दोष मान लेते हैं, कुछ मजबूरी | बहुत सोचने के बाद एक विधान की खोज की और हमारे हजारों ऋषि इन विधाओं की खोज करते आ रहे हैं | आज हस्ताक्षर विज्ञान को भी मान्यता प्राप्त है | बस जरूरत है इसे समझने की | मैं यहाँ एक ऐसा ही विधान दे रहा हूँ | आशा करता हूँ कि यह आपके जीवन में बहुत चेंज लाएगा और सफलता आपके कदम चूमेगी | इस विधान से आप अपना मनोरथ सिद्ध करें और यह विधान पहली बार आपके सामने रख रहा हूँ |
कैसे करें हस्ताक्षर सिद्ध?
हमारे शाश्त्रों में ऐसे बहुत से विधान हैं | एक बार मैं एक ऐसे संत से मिला और इस विषय पर चर्चा की, तब उन्होंने कहा कि कुछ पूर्व जन्म के या इस जन्म के ऐसे कर्म होते हैं जो आप में कई प्रकार के दोष उत्पन्न कर देते हैं | आप कई ज्योतिषियों के पास जाते हैं, भाग्य का रोना रोते हैं लेकिन सफलता नहीं मिलती | आप अपने हाथ से जो कर्म करते हैं मगर उसका फल नहीं मिलता वो चाहे कोई दान हो या साधना कर्म | बहुत माला फेरने पर भी सिद्धि बहुत बार दूर ही रहती है | यही नहीं आप अपने हाथ से किसी को द्वा देते हैं तो वो भी असर नहीं करती | ऐसा तब होता है जब आपके गृह आपके अनुकूल न हों या आपके कर्म में दोष हो | फिर कैसे करें कोई कर्म जब असर ही न मिलता हो | इसमें भाग्य को दोष देना ठीक नहीं | दान, जप, पूजा, पाठ आदि के कर्म करने पर भी हमारी स्थिति वहीँ की वहीँ रहती है | गुरु तो शिष्य का शापोधार कर देते हैं पर आज के युग में बहुत कम ज्ञाता होते हैं जो ऐसी क्रिया करते हैं | तभी उन्होंने मुझे एक ऐसे विधान के बारे में बताया जिससे अपने हस्त की सिद्धि हो और हस्त सिद्ध होने के बाद उससे लिखा मंत्र यंत्र आदि कार्य करता ही है और हर साधना कर्म का मिलता है क्योंकि जब आपका हस्त ही सिद्ध हो गया तो पीछे रह भी क्या जाता है | ऐसा बहुत सिद्ध लोग करते हैं कि उनके द्वारा किया गया कर्म फलीभूत हो और वो अपने भक्तों को जो भी आशीष दें वो सफल हो | वो जो भी साधना आदि करें उसमें सफलता मिले, जो भी यंत्र आदि लिखे वो स्वयं सिद्ध हो | मैंने वो कर्म किया और महसूस किया कि वाकई ही ऐसा हो सकता है | अगर हम भाग्य के सहारे ही बैठे रहे तो जन्म लेने का क्या फायदा क्योंकि यह कर्म प्रधान समाज है | अगर कर्म ही फलीभूत न हो तो सोचने की बात है कि कोई तो दोष है जो आपके साधना कर्म को फलीभूत होने नहीं देता | यह आपके हस्त का दोष भी हो सकता है | इसलिए ऐसे विधान बहुत कम मिलते हैं जो आपको हस्त सिद्धि करा दें और आपके द्वारा किया गया हर साधना कर्म, पूजा पाठ या किसी के लिए लिखा गया कोई यंत्र सफलता से काम करे | मैं समझता हूँ यह विज्ञान गुरुगम्य होने के कारण यहाँ जाहिर करना ठीक नहीं | इस विषय पर कभी गुरु इच्छा हुई मिलने पर चर्चा करेंगे और इसके गुप्त पहलू को समझने की कोशिश करेंगे और इसे सिद्ध कर अपने जीवन को एक नई दिशा देंगे | आशा करता हूँ गुरु वो समय जल्दी लायें क्योंकि इन्टरनेट पर ऐसे गूढ़ विषय देने से कॉपी होकर कई वेबसाइट पर चले जाते हैं और ज्ञान का गुप्त तथ्य इन कॉपी पेस्ट वालों के नाम के बीच ही गुम हो जाता है फिर भी बहुत सोचने के बाद एक ऐसा विधान दे रहा हूँ जो आपके हस्ताक्षर सिद्ध कर देता है और जो भी आप अर्जी आदि लिख कर हस्ताक्षर कर देते हैं, उसे स्वीकारा ही जाता है और आपकी मनोकामना पूरी हो जाती है | जो भी अर्जी आदि लिखी होती है उसे मंजूरी मिल जाती है | नागेन्द्रनंद |
विधि
सबसे पहले आप चन्दन की स्याही बनायें और एक अनार की कलम का बंदोबस्त करें | फिर आप गुरु पूजन और गणेश पूजन करें और कलम का पूजन भी करें | एक पेपर पर स्वस्तिक का चिन्ह बनायें और उस चिन्ह के नीचे 2100 बार अपने हस्ताक्षर लिखें जो आपने चन्दन की स्याही से कागज पर लिखने हैं | रोज जितने लिख सको उतने ही आटे में मिला कर गोलियां बना कर मछली को मंत्र पढ़ते हुए डाल दें या पहले लिख लें, जब पूरे हो जाएँ Hतो उसकी 2100 गोली बना लें आटे की और ध्यान रहे लिखे हस्ताक्षर को आटे में मिला कर गूँथ कर गोलियां बनानी हैं | फिर आप किसी नदी या तालाब पर जाकर निम्न मंत्र का जप करते हुए गोलियां मछली को डाल देनी हैं |
जब आपके 2100 2100 बार पूरे हो जाएँ तो किसी ब्राह्मण आदि को भोजन करा कर आशीर्वाद ले लें | इस तरह आपकी साधना पूरी हो जाएगी और आपके हस्ताक्षर चलने लगेंगे, मतलब आपको सक्सेस देने लगेंगे | तो सोच क्या रहे हैं, शुरू हो जाएँ सद्गुरु का नाम लें और सिद्ध करें अपने हस्ताक्षर |
निम्न मंत्र पढ़ते हुए मछलियों को गोली डालें |
साबर मंत्र
|| ॐ श्री गणेशाये नमः मम हस्ताक्षर सिद्धम कुरु कुरु स्वाहा ||
|| Om Shree Ganeshaaye Namah Mam Hastakshar Siddham Kuru Kuru Swaha ||
Ruchi Sehgal
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