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Friday 18 May 2018

धनदा यक्षिणी साधना

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|| Dhanda Yakshini sadhna

यक्षिणी साधना जहां धन देती है वही आपकी कामना पूर्ति भी करती है | जीवन में आ रही परेशानियों को सहज समझ कर उनका निवारण करने का गुण प्रदान करती है | एक सच्चे मित्र की तरह साथ देती हुई साधक का हर प्रकार से मंगल करती है | यक्षिनियाँ माता की सहचरियां होती हैं और साधक की साधना में निखार ला देती हैं | सही मायने में देखा जाए तो यक्षिणी साधना जीवन में बसंत ऋतु के समान है | जब साधक निरंतर साधना करते हुए ऊर्जा को सहन करते करते मन से कुछ तपस के कारण ऊब सा जाता है या यह कहूँ कि तेज को सहन करने की वजह से कई बार मन की स्थिति ऐसी हो जाती है कि उसके लिए जीवन में, मन में एक वैराग पैदा होने से उदासी सी आ जाती है | ऐसे वक़्त में यक्षिणी उसे नई उमंग देते हुए मन को आनंद से भर देती है | उसके जीवन में वर्षा की फुहार की तरह कार्य करती है | जब साधक आनंद से सराबोर होता है तो साधना करने की ललक उसे जीवन में और शक्ति अर्जित करने को प्रेरित करती है | यह साधक के जीवन में प्रेम को समझने का गुण पैदा करती है | उसके जीवन को धन धान्य आदि सुख प्रदान करती है | धनदा यक्षिणी की साधना मंत्र शाश्त्रों में नाना प्रकार से दी हुई है | जीवन में स्वर्ण क्षण होते हैं जब साधक किसी यक्षिणी का सहचर्य प्राप्त करता है | यक्षिणी साधना दुर्लभ है पर दुष्कर नहीं | यह सहज ही संपन्न हो जाती है बस इसे समझने की जरूरत है | जो साधक जीवन में धन आदि सुख चाहते हैं उन्हे यह साधना संपन्न करनी चाहिए और यह साधना साधक के मन में साधना के प्रति प्रेरणा पैदा करती है | 

यहाँ मैं धनदा यक्षिणी की साधना दे रहा हूँ | आशा करता हूँ यह साधना आपके जीवन को जरूर नई दिशा देगी | इसके लिए साधना के नियमो की पालना करनी अनिवार्य है | यक्षिणी रूप सौन्दर्य से परिपूर्ण होती है यह साधक का काया कल्प तक कर देती है | धनदा यक्षिणी 20 -22 वर्ष की सौन्दर्य की मूर्ति है | इसकी आंखे झील सी गहराई लिए हुई नीली दिखाई देती हैं | गौर वर्णीय मुख के दोनों तरफ दो बालों की बल खाती दो लटाएं और लंबी वेणी बालों पर कजरा सा लगाए सुंदर रूप चंद्रमा जैसा जिस सौन्दर्य की आप कल्पना भी नहीं कर सकते उसके बारे में अधिक कुछ नहीं कह सकता और प्रेम से मन को प्रफुल्लित सी करती हुई जब आपके सामने आती है तो उस वक़्त कैसा मंजर होता है यह आप स्वयं करके देख लें | मेरा इस यक्षिणी ने कई बार साथ दिया | जब भी जीवन में उदासीन क्षण आए इसने मुझे सँभाला और हमेशा मित्रवत व्यवहार किया | जब भी मुझे इसकी सलाह की जरूरत पड़ी एक सच्चे मित्र की तरह मुझे सलाह दी और कई बार ऐसे क्षण आए जब मैंने अपने आपको अकेला सा महसूस किया लेकिन इसने मुझे कभी अकेलेपन का एहसास नहीं होने दिया | जब भी ऐसा टाइम आया इसको मैंने मेरे कंधे पर अपनी बाजू रखते हुए अपने साथ खड़ी पाया | मैंने कभी इससे धन की लालसा नहीं की लेकिन मेरा कोई कार्य रुका भी नहीं | बहुत समय हो गया इस साधना को किए हुए | कुछ वर्षों से बेशक मैंने इसे याद नहीं किया फिर भी कभी कभी यह खुद मुझे याद दिला ही देती है | कई बार ऐसे क्षण आए जब यह स्वयं आकर मिली एक दोस्त की तरह | यह बातें हर एक को नहीं बताई जाती क्योंकि यह साधना के निजी अनुभव होते हैं | जब मैंने यह साधना की थी तो धनदा यक्षिणी स्तोत्र जरूर करता था साथ में | तभी एक दिन एक सौन्दर्य की मूर्ति मेरे सामने अचानक आ गई और जिसे देखते ही आदमी अपने होश तक खो देता है पर मैं हमेशा इन शक्तियों से मित्रवत ही रहा हूँ और शुद्ध प्रेम पूर्ण ही रहा हूँ | बस अंत में यही कहूँगा कि जीवन में अगर प्रेम की परिभाषा समझनी है तो आप यक्षिणी का सहचर्य प्राप्त करें | सद्गुरु आपको सफलता प्रदान करें |


विधि

1.  यह साधना 21 दिन की है | 21 दिन में स्वा लाख मंत्र जप जरूरी है |

2.  इसके लिए दो सामग्री यक्षिणी यंत्र और यक्षिणी माला आप कहीं से भी प्राप्त कर सकते हैं | अगर सामग्री न हो तो इसे करने के लिए एक लाल वस्त्र पर यक्षिणी की नारी रूप की सुंदर तस्वीर बनाकर अथवा मूर्ति आदि बनाकर भी की जा सकती है | यह साधकों को सुविधा के लिए बता रहा हूँ या आप स्फटिक या पारद श्री यंत्र पर भी इसका प्रयोग कर सकते हैं | माला अगर यक्षिणी माला न हो तो लाल चन्दन की माला श्रेष्ठ रहती है |

3.  वस्त्र पीले अनसिले पहनें मतलब आप पीली धोती और पीतांबर ले सकते हैं |

4. दिशा उतर ठीक है |

5. मंत्र जप 21 दिन में स्वा लाख करना है |

6. गुरु जी और गणेश जी का पंचौपचार पूजन करें | साधना के लिए अनुमति लें फिर यक्षिणी यंत्र जो कि अपने सामने एक बाजोट पर पीला या लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करना है उसका पूजन करें | पूजन में धूप, दीप, फल,



Ruchi Sehgal

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