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Friday 18 May 2018

डाईन सिद्धि और रक्षा कवच

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प्राय: सभी गांव में अभिचार कर्म करने वाली चार या पांच औरतें या मर्द होते हैं जो अपनी ईर्ष्या के वश मे आकर दूसरों के ऊपर षट्कर्म करती हैं, ये डाईन कहलाती हैं इनके ईष्ट "दरहा भूत" या शक्तिशाली भूत होते हैं,ये हमेशा दूसरों अपनी तंत्र क्रिया द्वारा दुख ही देती हैं,इनके कर्म को गांव मे प्रत्यक्ष रूप मे कोई नहीं जानता है । इनके कर्म का कोई सबूत नहीं होता,न ही इनके पूजा पाठ का कोई सबूत मिलता है । इनका तंत्र अत्यंत शक्तिशाली होता है, इनके परिवार वाले भी इनकी क्रियाओं को नही जानते,जैसे जैसे ये बूढ़े होते जाते हैं इनकी शक्ति बढ़ती जाती है । इनका मंत्र सिर्फ दो तीन शब्दों का होता है जिस परिवार को अत्यअधिक दुख देना हो उनके यहां अपने माहवारी कपड़े से जुक्ति बनाकर मंत्र शक्ति से उनके घर के दरवाजे मे गाड़ देती हैं जिससे वहां किसी भी देवी देवता का प्रवेश निषेध हो जाता है और उनके द्वारा लगाया गया भूत लंबे समय तक दुख देता रहता है ।

इनकी साधना बड़ी ही गोपनीय तरीके से होती है ये दीपावली के दिन अपने गांव को मंत्र से बांध कर शमसान में 8-10 के ग्रूप मे एकत्र होकर अपने गुरू डाईन के समक्ष नग्न होकर कमर में झाड़ू लपेटकर अपने मल मूत्र से जमीन को लीपकर गोल घेरे बनाकर रातभर नाचती हैं और अपनी शक्ति बढ़ाती हैं ।

पहली बार ये अनजाने में या जानबूझकर इस विद्या को सीखती हैंं,तब इनके गुरू मंत्र सिखाने के बाद सिद्धी के लिए बलि मांगती हैं वो भी इनके पति या प्रिय पुत्र की बलि,इंकार करने पर ये पागल हो जाती हैं और हां कहने पर बलि के लिए नियुक्त व्यक्ति अपने आप मर जाता है और गांव मे या परिवार मे किसी को कुछ पता भी नही चलता है इनकी सिद्धी होने के बाद ये पेड़ पौधों,पालतू जानवर,पक्षीआदि पर प्रयोग करना प्रारंभ कर देते हैं बाद मे मनुष्यों पर प्रयोग करते हैं ।

बहुत सी ( 99%) डाईन इस विद्या को सीखना नहीं चाहती हैं क्योंकि इनका भविष्य अत्यंत दुखदायी कष्टप्रद होती है ये बात गांव के सभी लोग जानते हैं किंतु जो सीनियर या बुजुर्ग डाईन होते हैं उन्हेंअपना चेला बनाना अति आवश्यक होता है स्वयं की मृत्यु से पहले चार या पांच चेला बनाना उनकी मजबूरी होती है,नहीं तो उनके ईष्ट भूत स्वयंको बहुत तंग करता है इसलिए वो ऐसे स्त्री या पुरूष को चुनती हैं जिनके अंदर ईर्ष्या की भावना बहुत ज्यादा हो या अपने ही परिवार के किसी सदस्य को चुनती हैं उन्हें अपने वश मे करके अपने साथ घुमाती फिराती हैं और चार पांच मंत्र सिखा देती हैं इस तरह से चेला बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है । इसके अलावा वो कम उम्र की अपने ही परिवार की एक या दो लड़की के ऊपर शक्तिपात कर देती हैं ताकि उस लड़की जितने साल बाद भी विवाह हो उसके बाद लड़की के उपर अपने आप की गुन (विद्या) जागृत होने लगते हैं सपने में मंत्र और विधि मिलने लगती है इस तरह से डाईन बनने की प्रक्रिया होती है ।

डाईन लोगों के गुन को परमानेंट भ्रष्ट नहीं किया जा सकता है इनसे हर व्यक्ति डरता है और नफरत करता हैं इनकी मौत अत्यधिक दर्दनाक और कष्टदायी होती है इनकी आयु अत्यधिक लंबी होती है इसके अलावा ये दूसरों की उम्र चुराकर बहुत लंबी उम्र तक जीते हैं जैसे जैसे ये बूढ़ी होती है वैसे वैसे इनकी शक्ति बढ़ती जाती है इस तरह के कार्य करने वा मर्द को डईया कहा जाता है किंतु डाईन की संख्या डईया से तीगुना तक होती है डाईन अत्यधिक चालाक और शातिर होती हैं ।

एक वरिष्ठ डाईन के ऊपर मारण क्रिया करना बहुत ही कठिन है कोई उच्च कोटि का अघोरी ही कर सकता है क्योंकि क्योंकि इनका ईष्ट भूत चौबीस घंटा इनकी सुरक्षा करता है और इनका पिण्ड चौबीस घंटा बंधा रहता है उसपर भी ये हर पल ये सतर्क रहते हैं इसके अलावा इनके परिवार के किसी सदस्य पर भी कोई तांत्रिक क्रिया या मारण क्रिया नहीं कर सकता, चाहे कहीं भी रहें,क्योंकि इनका पिण्ड भी हमेशा बंधा रहता है इनके हर पल की खबर डाईन को ईष्ट भूत देता रहता है वह एक कर्ण पिशाचिनी की तरह कार्य करता है इसी कारण डाईन के परिवार बेफिक्र और खुशी खुशी रहते हैं उनकी खेती बाड़ी और गाय बैल सभी पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं एक डाईन दूसरे डाईन के परिवार वालों को भी दुख नहीं पहुंचा सकती,और किसी साधारण परिवार के ऊपर किया गया तांत्रिक क्रिया को बिल्कुल ठीक नहीं कर सकती है,ये सिर्फ दुख देने का काम कर सकती है ठीक करने का काम नही कर सकती है किंतु हां स्वयं के द्वारा किये गये तांत्रिक क्रिया को स्वयं अपनी इच्छा से जब चाहे तब ठीक कर सकता है किंतु ऐसा वो जब तक स्वयं पर बहुत ज्यादा दबाव न पड़े तब तक बिल्कुल नहीं करती हैं । ये उन्हीं परिवार वालों को दुख देती हैं जो धार्मिक,आध्यात्मिक और सीधे साधे हों,उनपरिवार वालों सेडरती हैं जो क्रिमनल प्रवृत्ति के हों,एक डाईन के पास परि



Ruchi Sehgal

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